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Voler Car IPO Listing: लिस्ट होते ही लोअर सर्किट, ₹90 के शेयरों की एंट्री पर आईपीओ निवेशकों को झटका

Voler Car IPO Listing: वोलर कार बड़ी-बड़ी एमएनसी और कॉरपोरेट क्लाइंट्स को एंप्लॉयी ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज (ETS) मुहैया कराती है। इसके आईपीओ को निवेशकों का अच्छा रिस्पांस मिला था। इस आईपीओ के तहत सिर्फ नए शेयर जारी हुए हैं। चेक करें कंपनी की कारोबारी सेहत कैसी है और आईपीओ के जरिए जुटाए गए पैसों का इस्तेमाल कंपनी कैसे करेगी?

Edited By: Moneycontrol Hindi Newsअपडेटेड Feb 19, 2025 पर 4:30 PM
Voler Car IPO Listing: लिस्ट होते ही लोअर सर्किट, ₹90 के शेयरों की एंट्री पर आईपीओ निवेशकों को झटका
Voler Car IPO Listing: वोलर कार का ₹27.00 करोड़ का आईपीओ सब्सक्रिप्शन के लिए 12-14 फरवरी तक खुला था। आज इसके शेयरों की लिस्टिंग हुई है।

Voler Car IPO Listing: कॉरपोरेट एंप्लॉयीज को ट्रांसपोर्टेशन की सुविधाएं मुहैया कराने वाली वोलर कार के शेयरों की आज NSE SME प्लेटफॉर्म पर फीकी एंट्री हुई। फ्लैट लिस्टिंग के बाद शेयर थोड़ा ऊपर जाकर लोअर सर्किट पर आ गए। इसके आईपीओ को ओवरऑल 13 गुना से अधिक बोली मिली थी। आईपीओ के तहत 90 रुपये के भाव पर शेयर जारी हुए हैं। आज NSE SME पर इसकी 90.00 रुपये पर एंट्री हुई है यानी कि आईपीओ निवेशकों को कोई लिस्टिंग गेन नहीं मिला। हालांकि आईपीओ निवेशकों की खुशी थोड़ी ही देर में फीकी हो गई जब शेयर 92.90 रुपये के भाव पर जाकर लोअर सर्किट पर आ गए।

टूटकर यह 85.50 रुपये (Voler Car Share Price) के लोअर सर्किट पर आ गया। निचले स्तर पर खरीदारी से रिकवरी हुई और यह ₹93.90 पर पहुंच गया। हालांकि फिर मुनाफावसूली का दबाव दिखा। दिन के आखिरी में यह 89.35 रुपये पर बंद हुआ है यानी कि पहले कारोबारी दिन की समाप्ति पर आईपीओ निवेशक अब 0.72 फीसदी घाटे में हैं।

Voler Car IPO के पैसे कैसे होंगे खर्च

वोलर कार का ₹27.00 करोड़ का आईपीओ सब्सक्रिप्शन के लिए 12-14 फरवरी तक खुला था। इस आईपीओ को निवेशकों का अच्छा रिस्पांस मिला था और ओवरऑल यह 13.62 गुना सब्सक्राइब हुआ था। इसमें क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) के लिए आरक्षित हिस्सा 9.34 गुना, नॉन-इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (NII) का हिस्सा 18.56 गुना और खुदरा निवेशकों का हिस्सा 13.94 गुना भरा था। इस आईपीओ के तहत 10 रुपये की फेस वैल्यू वाले 30 लाख नए शेयर जारी हुए हैं। इन शेयरों के जरिए जुटाए गए पैसों का इस्तेमाल कंपनी वर्किंग कैपिटल की जरूरतों को पूरा करने, इश्यू से जुड़े खर्चों को भरने और आम कॉरपोरेट उद्देश्यों में करेगी।

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