YearEnder 2025 for Stock Market Movement: घरेलू स्टॉक मार्केट में इस साल 2025 में काफी रौनक रही और इक्विटी बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी 50 रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया। हालांकि मार्केट की यह रौनक हर तरफ नहीं बिखरी बल्कि कुछ स्टॉक्स की चमक बढ़ी तो कुछ फीके पड़े। करीब 90% स्टॉक्स ऐसे हैं, जो अभी भी अपने एक साल के हाई से काफी नीचे बने हुए हैं। इनकम टैक्स और जीएसटी दरों में कटौती जैसे सरकारी सपोर्ट और मजबूत घरेलू निवेश के बावजूद इनमें रौनक नहीं आ पाई। इंडेक्स लेवल पर बात करें तो लॉर्ज कैप स्टॉक्स का परफॉरमेंस बेहतर रहा। सेंसेक्स और निफ्टी 10-10% ऊपर चढ़ गए। हालांकि बीएसई मिडकैप इंडेक्स में करीब 1% की मामूली तेजी आई तो बीएसई स्मॉल कैप इंडेक्स करीब 8% गिर गया।
बाजार के जानकारों ने निवेशकों को आगाह किया है कि सिर्फ कीमतों में गिरावट के आधार पर निवेश की जल्दबाजी न करें क्योंकि कुछ मामलों में यह कारोबारी या वित्तीय चुनौतियों से जुड़ी हैं। मार्केट एनालिस्ट्स ने निवेशकों को इस गिरावट का फायदा उठाते हुए क्वालिटी वाले स्टॉक्स में पैसे लगाने की सलाह दी है।
सिर्फ 10% स्टॉक्स ही उबर पाए हैं झटके से
मार्केट से जुड़े आंकड़ों के मुताबिक NSE के 2667 स्टॉक्स में से करीब 90% स्टॉक्स एक साल के हाई से 20% से अधिक डाउनसाइड हैं तो 413 स्टॉक्स 10-20% डाउनसाइड हैं। वहीं करीब 1,532 कंपनियों के शेयर तो एक साल के हाई से 20-50% डाउनसाइड हैं। कई शेयरों में तो गिरावट और भी तेज रही। लगभग 397 शेयर अपने 12-महीने के रिकॉर्ड हाई से 50–75% तो करीब 30 कंपनियां करीब 75% नीचे हैं। वहीं सिर्फ 10% स्टॉक्स ही एक साल के निचले स्तर से उबरकर अपने 52-हफ्ते के हाई लेवल के आसपास पहुंच गए।
क्या कहना है एक्सपर्ट्स का?
एक स्वतंत्र एनालिस्ट अंबरीश बालिगा का कहना है कि शेयरों में जो भारी गिरावट है, वह जरूरी नहीं है कि कंपनियों की कमजोर कमाई के चलते हो क्योंकि हालिया नतीजे उम्मीद के मुताबिक या उम्मीद से बेहतर रहे। अंबरीश के मुताबिक यह दबाव मुख्य रूप से खुदरा निवेशकों, एचएनआई (हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स) और PMS (पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज) प्लेयर्स के फीका रुझान के चलते आया जिन्होंने मुख्य रूप से टॉप के 300 स्टॉक्स में ही खरीदारी पर फोकस किया। विदेशी निवेशकों की बिकवाली और म्यूचुअल फंडों का बड़ी और हाई लिक्विड वाली कंपनियों पर फोकस के चलते बाकी स्टॉक्स पर दबाव बना रहा। एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज के प्रमुख (फंडामेंटल रिसर्च) सौरभ जैन का कहना है कि इस समय जो गिरावट है, वह मार्केट ढहने का नहीं बल्कि मार्केट साइकिल का हिस्सा है।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीड ने अपने हालिया नोट में उम्मीद जताई कि अगला साल 2026 बेहतर हो सकता है। इसे कंपनियों के कमाई में रिकवरी से सपोर्ट मिलेगा। ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि अधिकतर सेक्टर्स में कमाई बेहतर हुई है लेकिन ऑटोमोबाइल और कंज्यूमर स्टेपल्स में मार्जिन पर रिस्क प्रेशर बना हुआ है। ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि जीएसटी और इनकम टैक्स रेट में कटौती और ब्याज की कम दरें घरेलू खपत में सुधार की उम्मीद पर इसे सपोर्ट मिल रहा है। इसके अलावा भारत और अमेरिका के बीच कारोबारी सौदे को लेकर पॉजिटिव माहौल बना है जिससे मार्केट को सपोर्ट मिला है। कोटक का मानना है कि इससे रुपये में रिकवरी हो सकती है जो देश के ट्रेड बैलेंस में अचानक तेज गिरावट के चलते झटकों से जूझ रहा है।
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