Zerodha के फाउंडर और सीईओ Nithin Kamath ने कहा कि भारत में 10 करोड़ डॉलर से ज्यादा की कई कंपनियां खड़ी करने के अवसर कम हैं। भारत अभी भी कम खर्च क्षमता वाला देश है। उन्होंने कहा, ईमानदारी से कहूं तो भारत एक गरीब देश हैं। उन्होंने कहा कि कस्टमर्स को जोड़ने पर ज्यादा खर्च करने वाली या ऊंची इम्प्लॉई कॉस्ट वाली कंपनियों को फंडिंग की कमी की स्थिति में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
ऑनलाइन स्टॉकब्रोकर कंपनी के सीईओ ने मनीकंट्रोल को दिए एक इंटरव्यू में ये बातें कहीं। उन्होंने कहा, 10 करोड़ डॉलर वैल्यूएशन वाली 1,000 कंपनियां नहीं हो सकतीं, क्योंकि इसका मतलब होगा कि उनका कम से कम 1 करोड़ डॉलर रेवेन्यू है। ऐसी स्थिति में वे करोड़ों डॉलर के रेवेन्यू के साथ 10-50 करोड़ डॉलर की कंपनी बन जाएंगी, जो लगभग असंभव है।
ऊंची वैल्यूएशन मतलब उम्मीदें पूरी करनी होंगी
कामत ने कहा, यदि आप स्टार्टअप्स की गिनती करें तो 1 करोड़ डॉलर रेवेन्यू वाली गिनी-चुनी कंपनियां होंगी। लेकिन सभी फाउंडर्स कह रहे हैं कि उन्होंने ऐसा कर दिखाया है और यही वजह है कि वे ऊंची वैल्यूएशन पर पैसा जुटा रही हैं। ऊंची वैल्यूएशन का मतलब है कि आपने अपने इनवेस्टर्स के मन में ज्यादा उम्मीदें पैदा कर दी हैं। फिर तो आपको उनकी उम्मीदें पूरी करनी होंगी।
कामत ने कहा कि शॉर्ट टर्म में यह अच्छा लगता है, लेकिन लंबी अवधि में देखें तो यह इकोसिस्टम के लिए अच्छा नहीं है। इस तरह आप अस्थायी बिजनेस खड़े कर रहे हैं।
खास नहीं बढ़ेगा जिरोधा का प्रॉफिट
वित्त वर्ष 23 में जिरोधा के रेवेन्यू और प्रॉफिट में खास बढ़ोतरी नहीं होने के सवाल पर कामत ने कहा, बीते साल की तुलना में इस साल कम रहने जा रहा है। डेढ़ से दो महीने होने जा रहे हैं, कंपनी का रेवेन्यू 20-25 फीसदी कम है। यह सामान्य रूप से बाजार में गिरावट की वजह से है। लॉगइन 25-30 फीसदी कम हैं। शेयरों में गिरावट है। फंडामेंटल में बदलाव हुआ है।
उन्होंने कहा, निश्चित रूप से कंपनियों के लिए फंड जुटाना मुश्किल होने जा रहा है और स्टार्टअप प्रॉफिटेबिल नहीं हैं। इसलिए उन पर भी इनका कुछ असर होने जा रहा है।
कर्मचारियों की छंटनी से सबसे ज्यादा प्रभावित स्टार्टअप्स के सवाल पर कामत ने कहा, निश्चित रूप से अच्छी कंपनियां भी हैं। हालांकि, समग्र रूप में कंपनियां खासा पैसा बहा रही हैं। अगर आपक कॉइनबेस पर नजर डालते हैं तो बड़ी समस्या यह है कि कर्मचारियों की संख्या 2,000 से बढ़कर 6,000 हो गई है। कई कर्मचारियों को बिजनेस ओनर्स की तरह भुगतान किया गया है।