जीरोधा का प्रॉफिट 62 फीसदी बढ़ा है। कंपनी का प्रॉफिट फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में 62% फीसदी बढ़कर 4,700 करोड़ रुपये पहुंच गया। ब्रोकरेज फर्म ने 25 सितंबर को यह बताया। इस दौरान कंपनी का रेवेन्यू 21 फीसदी बढ़कर 8,320 करोड़ रुपये रहा। कंपनी के सीईओ नितिन कामत ने कहा है कि हमने शानदार फाइनेंशियल ट्रैक रिकॉर्ड को जारी रखा है। रेवेन्यू और प्रॉफिट दोनों ही लिहाज से फाइनेंशियल ईयर 2023-24 जबर्दस्त रहा।
ऑपरेटिंग मार्जिन 57 फीसदी
उन्होंने कहा कि इस प्रॉफिट में 1,000 करोड़ रुपये का अनरियलाइज्ड गेन शामिल नहीं है। यह हमारे फाइनेंशियल में दिखेगा। Zerodha देश की सबसे बड़ी डिस्काउंट ब्रोकर फर्म है। कंपनी ने जितना प्रॉफिट कमाया है, उससे पता चलता है कि उसका ऑपरेटिंग मार्जिन 57 फीसदी है। अगर इसमें अनरियलाइज्ड गेंस जोड़ दिया जाए तो ऑपरेटिंग मार्जिन बढ़कर 69 फीसदी तक जा सकता है। इसकी तुलना दुनिया की दिग्गज कंपनियों के ऑपरेटिंग मार्जिन से की जा सकती है।
एपल, माइक्रोसॉफ्ट से ज्यादा ऑपरेटिंग मार्जिन
Microsoft का ऑपरेटिंग मार्जिन इस साल 44 फीसदी रहा। Apple का मार्जिन 29 फीसदी, Google का मार्जिन 31 फीसदी और Amazon Web Services का मार्जिन 37 फीसदी था। दुनिया की दिग्गज चिप बनाने वाली कंपनी Nvidia का ऑपरेटिंग मार्जिन 64 फीसदी था।
गोल्ड और शेयरों में कंपनी का निवेश
अनरियलाइज्ड गेंस का मतलब उस प्रॉफिट से है, जो जीरोधा को अपने निवेश पर होगा। जीरोधा ने बतौर कंपनी गोल्ड और शेयरों में निवेश किया है। कामत ने कहा कि पिछले तीन सालों के प्रॉफिट को देखा जाए तो कंपनी का नेटवर्थ इसके कस्टमर फंड्स का करीब 40 फीसदी है। उन्होंने कहा कि यह हमें ट्रेडिंग के लिहाज से सबसे सुरक्षित ब्रोकिंग फर्म बनाता है।
जीरोधा का हेडक्वार्टर बेंगलुरु है। इस ब्रोकरेज फर्म ने FY23 में 6,875 करोड़ रेवेन्यू और 2,907 करोड़ रुपये प्रॉफिट कमाया था। कंपनी के एक्टिव क्लाइंट्स की संख्या इस साल अगस्त में 79 लाख थी। हालांकि, यह कुछ दूसरी ब्रोकरेज फर्मों की क्लाइंट्स की संख्या से कम है। NSE के डेटा के मुताबिक, Groww के एक्टिव क्लाइंट्स की संख्या 1.2 करोड़ थी। ग्रो के FY24 के प्रॉफिट और रेवेन्यू के डेटा अभी उपलब्ध नहीं हैं।
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FY25 में घट सकती है रेवेन्यू ग्रोथ
इस साल ब्रोकरेज फर्मों से जुड़े कुछ नियमों में बदलाव होने वाले हैं। इससे जीरोधा के FY25 के प्रॉफिट पर असर पड़ सकता है। कामत के मुताबिक, सेबी के ट्रू-टु-लेबल डायरेक्टिव की वजह से जीरोधा के रेवेन्यू में 10 फीसदी गिरावट आ सकती है। इसका मतलब है कि इस नियम की वजह से स्टॉक एक्सचेंज वॉल्यूम के आधार पर ब्रोकरेज फर्मों को रिबेट नहीं दे सकेंगे। इसके अलावा SEBI फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग में रिटेल इनवेस्टर्स के पार्टिसिपेशन पर अंकुश लगाने की कोशिश कर रहा है। इससे जीरोधा के रेवेन्यू में 30-50 फीसदी कमी आ सकती है।