डिस्काउंट ब्रोकरेज फर्म जीरोधा ने मार्जिन ट्रेडिंग फैसिलिटी (एमटीएफ) सेगमेंट में 5 फीसदी बाजार हिस्सेदारी हासिल कर ली है। जीरोधा ने दिसंबर 2024 में अपने ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म काइट पर इस सर्विस की शुरुआत की थी। कंपनी को को-फाउंडर और सीईओ नितिन कामत ने इस बारे में बताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस बारे में एक पोस्ट किया। इस पोस्ट में उन्होंने कहा है कि हमने दिसंबर 2024 में एमटीएफ शुरू किया था। इस सेगमेंट में हमारी बाजार हिस्सेदारी तेजी से बढ़ी है। यह 0 फीसदी से 5 फीसदी हो गई है।
एमटीएफ कर्ज लेकर शेयर खरीदने की सुविधा देती है
Nithin Kamath ने पोस्ट में यह भी कहा कि यह नहीं पता कि मुझे इससे खुश होना चाहिए या चिंतित होना चाहिए। अब तक MTF इस्तेमाल करने वाले सभी ट्रेडर्स का नेट पीएंडएल पोजीशन पॉजिटिव है। एमटीएफ ट्रेडर्स को कर्ज लेकर शेयर खरीदने की सुविधा देती है। सिर्फ डिलीवरी वाले शेयरों को खरीदने के लिए इस सुविधा का इस्तेमाल होता है। यूजर्स ट्रेड वैल्यू का 80 फीसदी तक कर्ज इस फैसिलिटी से ले सकते हैं। कर्ज लिए गए पैसे पर रोजाना 0.04 फीसदी इंटरेस्ट लगता है। इसका मतलब है कि हर लाख रुपये पर रोजाना 40 फीसदी इंटरेस्ट लगता है।
यूजर्स को अकाउंट में एमटीएफ एक्टिवेट करना पड़ता है
जीरोधा के एमटीएफ फैसिलिटी का इस्तेमाल करने के लिए यूजर्स को अपने अकाउंट में MTF को एक्टिवेट करना पड़ता है। पावर ऑफ अटॉर्नी (PoA) या डीमैट डेबिट एंड प्लेज इंस्ट्रक्शन (DDPI) वाले अकाउंट्स तुरंत एक्टिवेट कर दिए जाते हैं, जबकि दूसरे अकाउंट्स के एक्टिवेट होने में एक दिन का समय लगता है। एमटीएफ के जरिए प्लेस होने वाले ऑर्डर के साथ पोर्टफोलियो में 'M' मार्क लगा होता है। रोजाना लगने वाले इंटरेस्ट और मार्जिन से जुड़ी जरूरत की जानकारी कंसोल एमटीएफ स्टेटमेंट के जरिए हासिल की जा सकती है।
कर्ज लिए गए पैसे पर रोजाना की दर से इंटरेस्ट लगता है
एमटीएफ के जरिए प्लेस होने वाले ऑर्डर पर 0.03 फीसदी हर एग्जिक्यूटेड ऑर्डर पर 20 रुपये में से जो कम होता होता वह ब्रोकरेज लगता है। प्रति आईएसआईएन 30 रुपये प्लस जीएसटी का प्लेज चार्ज लगता है। अनप्लेजिंग के लिए कोई चार्ज नहीं है। स्कावयर ऑफ करने के लिए हर स्कावयर ऑफ ऑर्डर पर 50 रुपये प्लस जीएसटी चार्ज देना पड़ता है। हालांकि, जीरोध इनवेस्टर्स के कर्ज लेकर शेयर ट्रेडिंग के खिलाफ रही है।
कर्ज लेकर शेयर खरीदने में रिस्क काफी ज्यादा
जीरोधा ने पहले यूजर्स को कर्ज के पैसे से ट्रेडिंग के खतरों को लेकर सावधान किया था। इक्विटी के डिलीवरी ट्रेड्स लंबे समय तक बनाए रखे जा सकते हैं, जबकि कर्ज लेकर किए गए ट्रेड्स (leveraged trades) पर रोजाना इंटरेस्ट चुकाना पड़ता है। इससे इनवेस्टमेंट पर मिलने वाला प्रॉफिट कम हो जाता है। अगर स्टॉक की कीमतें गिरती हैं तो यूजर्स को या तो मार्जिन बढ़ाना पड़ता है या पोजीशन क्लोज करनी पड़ती है।
जीरोधा पहले एमटीएफ नहीं शुरू करना चाहती थी
कामत ने यह बताया था कि जीरोधा पहले एमटीएफ शुरू नहीं करना चाहती थी। लेकिन, इंडस्ट्री में इसके इस्तेमाल को देखते हुए उसे यह सुविधा शुरू करनी पड़ी। जीरोधा देश की सबसे बड़ी ब्रोकरेज फर्मों में से एक है। इसकी शुरुआत 2010 में हुई थी। यह लो कॉस्ट ब्रोकरेज फर्म है, जो यूजर्स को कम कॉस्ट में शेयर ट्रेडिंग की सुविधा ऑफर करती है।