Eternal Q2 Result: जोमैटो (Zomato) की पैरेंट कंपनी एटर्नल के लिए चालू वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही जुलाई-सितंबर 2025 मिली-जुली रही। एक तरफ कंपनी का कंसालिडेटेड प्रॉफिट सालाना आधार पर 63% से अधिक घट गया तो दूसरी तरफ कंपनी का ऑपरेशनल रेवेन्यू इस दौरान 183% से अधिक बढ़ गया। इसका असर कंपनी के शेयरों पर भी दिखा। कारोबारी नतीजे आने के पहले एटर्नल के शेयर 3.91% उछलकर ₹368.40 के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गए थे। हालांकि नतीजे आने के बाद शेयरों को शॉक लगा और इस रिकॉर्ड हाई से यह 8.18% टूटकर ₹338.25 पर आ गए। निचले स्तर पर रिकवरी से भी शेयर संभल नहीं पाए और दिन के आखिरी में पिछले कारोबारी दिन के क्लोजिंग प्राइस ₹354.55 के मुकाबले 1.73% की गिरावट के साथ ₹348.40 पर बंद हुए हैं।
Zomato की Eternal के लिए कैसी रही सितंबर तिमाही?
कंसालिडेटेड लेवल पर एटर्नल का कंसालिडेटेड प्रॉफिट सितंबर 2025 तिमाही में सालाना आधार पर 63.07% टूटकर ₹65 करोड़ पर आ गया। हालांकि इस दौरान कंपनी का ऑपरेशनल रेवेन्यू 183.18% उछलकर ₹13,590 करोड़ पर पहुंच गया। कंपनी के खर्च भी रॉकेट की स्पीड से बढ़े जोकि 188.79% बढ़कर ₹13,813 करोड़ हो गया। तिमाही आधार पर कंपनी का मुनाफा बढ़ा है क्योंकि जून तिमाही में इसे ₹25 करोड़ शुद्ध मुनाफा हासिल हुआ था। सितंबर तिमाही के आखिरी में कंपनी का कैश बैलेंस तिमाही आधार पर ₹18,857 करोड़ से घटकर ₹18,314 करोड़ रह गया। एटर्नल ने एक पूर्ण मालिकाना हक वाली सब्सिडरी एटर्नल जनरल सर्विस फाउंडेशन (एटर्नल फाउंडेशन) बनाने का भी ऐलान किया है।
अलग-अलग बिजनेस की कैसी रही स्थिति?
एटर्नल के फूड डिलीवरी बिजनेस का एडजस्टेड रेवेन्यू सालाना आधार पर सितंबर तिमाही में 22% उछलकर ₹2,863 करोड़ पर पहुंच गया। जून तिमाही में यह आंकड़ा ₹2,657 करोड़ था। नेट ऑर्डर वैल्यू (NOV) की बात करें तो यह सालाना आधार पर ₹8,281 करोड़ और तिमाही आधार पर ₹8,967 करोड़ से सितंबर तिमाही में ₹9,423 करोड़ पर पहुंच गया। जोमैटो के फूड डिलीवरी वर्टिकल का एवरेज मंथली ट्रांजैक्टिंग कस्टमर (MTCs) तिमाही आधार पर 2.29 करोड़ और सालाना आधार पर 2.07 करोड़ से बढ़कर सितंबर तिमाही में 2.41 करोड़ पर पहुंच गए।
जोमैटो के गोइंग आउट बिजनेस को सितंबर तिमाही में करारा शॉक लगा। इस बिजनेस का रेवेन्यू सितंबर तिमाही में सालाना आधार पर करीब 26% की गिरावट के साथ ₹189 करोड़ पर आ गया। जून तिमाही में यह आंकड़ा ₹207 करोड़ था। हालांकि इस बिजनेस का एनओवी सालाना आधार पर ₹1,562 करोड़ से बढ़कर सितंबर तिमाही में ₹2,063 करोड़ पर पहुंच गया।
अब जोमैटो की क्विक कॉमर्स इकाई ब्लिंकिट की बात करें तो सितंबर तिमाही में इसे ऑपरेटिंग लेवल पर ₹156 करोड़ का लॉस (EBITDA Loss) हुआ। पिछले साल की समान तिमाही में यह आंकड़ा ₹8 करोड़ था। हालांकि यह घाटा आक्रामक तरीके से डार्क स्टोर बढ़ाने की स्ट्रैटेजी के चलते आई। हालांकि तिमाही आधार पर जून तिमाही में ₹162 करोड़ के एडजस्टेड ऑपरेटिंग लॉस से कम रहा। सितंबर तिमाही में सालाना आधार पर ब्लिंकिट का रेवेन्यू रॉकेट की स्पीड से 756% उछलकर ₹9,891 करोड़ पर पहुंत गया। इसे इंवेंटरी ओनरशिप मॉडल की तरफ शिफ्ट होने से सपोर्ट मिला। जून तिमाही में में यह ₹2,400 करोड़ था। एनओवी की हात करें तो सालाना आधार पर यह 137% और तिमाही आधार पर 27% बढ़कर ₹11,679 करोड़ पर पहुंच गया। ब्लिंकिट का नेट एवरेज ऑर्डर वैल्यू (AOV) तिमाही आधार पर ₹521 की तुलना में हल्का सा ही बढ़कर ₹524 पर पहुंचा लेकिन सालाना आधार पर ₹531 की तुलना में इसमें गिरावट आई। ब्लिंकिट के डार्क स्टोर्स की संख्या सितंबर तिमाही में सालाना आधार पर 791 से बढ़कर 1,816 पर पहुंच गई और एवरेज मंथली ट्रांजैक्टिंग यूजर्स भी इस दौरान 89 लाख से उछलकर 2.08 करोड़ पर पहुंच गए।
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