Zomato Stock Price: फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो के शेयर में 9 सितंबर को तेजी है। हालांकि यह बहुत ज्यादा नहीं है। ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने जोमैटो शेयर के लिए 'बाय' रेटिंग बरकरार रखी है। साथ ही बेस केस टारगेट 335 रुपये रखा है। यह शेयर के पिछले बंद भाव से 29 प्रतिशत ज्यादा है। बुलिश केस में जेफरीज ने शेयर के लिए 360 रुपये और डाउनसाइड सिनेरियो में 200 रुपये का टारगेट प्राइस तय किया है।
जेफरीज ने जोमैटो के फूड डिलीवरी सेगमेंट में ऐसी कई पहलों को गिनाया है, जिनसे कंपनी की मार्केट पोजीशन मजबूत होने की उम्मीद है। जोमैटो का शेयर बीएसई पर सुबह पिछले बंद भाव 260.05 रुपये पर ही खुला। दिन में यह 2 प्रतिशत तक चढ़ा और 265 रुपये के हाई तक गया। कारोबार बंद होने पर शेयर 1 प्रतिशत बढ़त के साथ 263.20 रुपये पर सेटल हुआ। कंपनी का मार्केट कैप 2.32 लाख करोड़ रुपये है।
वित्त वर्ष 2027 तक किस रफ्तार से बढ़ सकता है रेवेन्यू
ब्रोकरेज ने कहा कि Zomato भारत में ग्रो कर रही फूड सर्विसेज इंडस्ट्री और डिजिटल कॉमर्स के बढ़ते इस्तेमाल पर बेस्ड है। इसके मंथली लेनदेन करने वाले वर्तमान में केवल 2 करोड़ यूजर्स हैं। लेकिन कंपनी के पास कस्टमर एक्वीजीशन और रेवेन्यू ग्रोथ के लिए काफी गुंजाइश है। जोमैटो का ब्लिंकइट तेजी से बढ़ते क्विक-कॉमर्स स्पेस में मार्केट लीडर है और इसके मार्जिन में तेज सुधार देखने को मिल सकता है।
जेफरीज को बेस केस में वित्त वर्ष 2024 से वित्त वर्ष 2027 तक डिलीवरी रेवेन्यू में लगभग 20 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) का अनुमान है। उम्मीद है कि जैसे-जैसे जोमैटो ऑपरेशंस बढ़ाएगी, कॉस्ट एफीशिएंसी और सुविधा के लिए भुगतान करने की ग्राहकों की बढ़ती इच्छा के माध्यम से यूनिट इकोनॉमिक्स में लगातार सुधार होगा। बुलिश केस में जेफरीज को कंपनी का डिलीवरी रेवेन्यू वित्त वर्ष 2024 से वित्त वर्ष 2027 तक 25 प्रतिशत CAGR से बढ़ने की उम्मीद है।
इन फैक्टर्स से शॉर्ट टर्म में चढ़ सकता है स्टॉक
जेफरीज ने ऐसी कई चीजें गिनाई हैं, जो शॉर्ट टर्म में स्टॉक को आगे बढ़ा सकती हैं। पॉजिटिव फैक्टर्स में अनुकूल मैक्रोइकोनॉमिक वातावरण, विवेकाधीन खर्च में वृद्धि, डिजिटल कॉमर्स को तेजी से अपनाया जाना, साथ ही एवरेज ऑर्डर वैल्यूज (AOVs) और यूनिट इकोनॉमिक्स में अपेक्षा से बेहतर ट्रेंड शामिल हैं। इसके अलावा ग्रॉसरी सेगमेंट में सफल विस्तार से ग्रोथ को और बढ़ावा मिल सकता है। संभावित निगेटिव फैक्टर्स में बाजार में प्रवेश करने वाली नई कंपनियों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा, अनुमान से धीमी मार्केट ग्रोथ और प्लेटफॉर्म कारोबारों को प्रभावित करने वाले प्रतिकूल रेगुलेटरी बदलाव शामिल हैं।
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