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Zomato और Swiggy नए लेबर कोड पर धड़ाम, लेकिन ब्रोकरेजेज के इस रुझान पर लौटे निवेशक

सरकार ने नए लेबर फ्रेमवर्क को गिग, माइग्रेंट, अनऑर्गेनाइज्ड और प्लेटफॉर्म-इकॉनमी वर्कर्स के लिए रोजगार को औपचारिक करने, सोशल सिक्योरिटी का दायरा बढ़ाने और उन्हें मजबूत करने की कोशिशों के तहत पेश किया है। इसका जोमैटो की एटर्नल और स्विगी पर झटका पड़ने की आशंका के बीच शेयर फिसले तो लेकिन एनालिस्ट्स का मानना है कि अधिक दिक्कत नहीं है, जानिए क्यों

Edited By: Jeevan Deep Vishawakarmaअपडेटेड Nov 24, 2025 पर 12:59 PM
Zomato और Swiggy नए लेबर कोड पर धड़ाम, लेकिन ब्रोकरेजेज के इस रुझान पर लौटे निवेशक
ब्रोकरेज फर्मों ने सरकार के नए कानूनों के तहत गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए अनिवार्य सोशल-सिक्योरिटी कॉन्ट्रिब्यूशंस के फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स कंपनियों की लागत पर असर की गणना की। एनालिस्ट्स का कहना है कि नए बदलावों को अपनाने के लिए कंपनियों की स्ट्रैटेजी के तहत डिलीवरी फीस में थोड़ी बढ़ोतरी हो सकती है।

नए लेबर कोड्स (New Labour Codes) के लागू होने पर आज ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म जोमैटो (Zomato) की पैरेंट कंपनी एटर्नल (Eternal) और स्विगी (Swiggy) के शेयरों में बिकवाली का दबाव दिखा। इस दबाव में एटर्नल और स्विगी के शेयर शुरुआती कारोबार में 2% तक टूट गए। यह गिरावट प्लेटफॉर्म कंपनियों के लिए ऑपरेटिंग कॉस्ट बढ़ने की आशंका पर आई। हालांकि जब ब्रोकरेज फर्मों ने कहा कि लॉन्ग टर्म में इसका वित्तीय असर सीमित ही रहेगा तो निवेशक लौटे और निचले स्तर से शेयरों ने 2% तक रिकवरी की।

फिलहाल बीएसई पर यह 0.20% की बढ़त के साथ इंट्रा-डे में ₹302.65 (Eternal Share Price) पर है। इससे पहले इंट्रा-डे में यह 2.07% टूटकर ₹295.80 तक फिसल गया था जिससे यह 2.50% उछलकर ₹303.20 के भाव तक पहुंच गया था। वहीं स्विगी की बात करें तो फिलहाल यह 0.86% की बढ़त के साथ ₹398.05 (Swiggy Share Price) पर है। इंट्रा-डे में यह 0.16% टूटकर ₹394.00 तक आ गया था जिससे यह 1.95% उछलकर ₹401.70 तक पहुंच गया था।

Zomato की Eternal और Swiggy पर सीमित असर?

सरकार ने नए लेबर फ्रेमवर्क को गिग, माइग्रेंट, अनऑर्गेनाइज्ड और प्लेटफॉर्म-इकॉनमी वर्कर्स के लिए रोजगार को औपचारिक करने, सोशल सिक्योरिटी का दायरा बढ़ाने और उन्हें मजबूत करने की कोशिशों के तहत पेश किया है। ब्रोकरेज फर्मों ने सरकार के नए कानूनों के तहत गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए अनिवार्य सोशल-सिक्योरिटी कॉन्ट्रिब्यूशंस के फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स कंपनियों की लागत पर असर की गणना की। एनालिस्ट्स का कहना है कि नए बदलावों को अपनाने के लिए कंपनियों की स्ट्रैटेजी के तहत डिलीवरी फीस में थोड़ी बढ़ोतरी हो सकती है।

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