स्प्लेंडर बाबा
स्प्लेंडर बाबा ने गुजरात से महाकुंभ तक 14 दिन तक अपनी तीन पहियों वाली मोटरसाइकिल से यात्रा की। इस यात्रा का उद्देश्य उनके आस्था और भक्ति को दिखाना था। उनका यह कदम महाकुंभ की विशालता और भक्ति के महत्व को उजागर करता है। स्प्लेंडर बाबा ने अपने रास्ते में मिल रही कठिनाइयों का सामना किया और धर्म की सेवा में अपनी निष्ठा दिखाई।(image source: social media)
ई-रिक्शा बाबा
ई-रिक्शा बाबा का वाहन केवल एक साधारण ई-रिक्शा नहीं है, बल्कि यह उनके घर और उनके आध्यात्मिक यात्रा का हिस्सा भी है। इस ई-रिक्शा को सौर ऊर्जा से चलाया जाता है और इसमें उनका किचन और ध्यान करने की जगह भी होती है। बाबा इस वाहन के माध्यम से देशभर में धार्मिक और पर्यावरणीय जागरूकता फैलाते हैं।(image source: social media)
चाबी वाले बाबा
चाबी वाले बाबा एक विशाल 20 किलोग्राम की चाबी लेकर चलते हैं, जिसे वह "राम नाम की चाबी" कहते हैं। उनका मानना है कि इस चाबी के माध्यम से वह आंतरिक शांति को खोल सकते हैं। बाबा का विश्वास है कि यह चाबी मानसिक शांति और आत्म-संयम का प्रतीक है, और वे इसे दूसरों को भी शांति प्राप्त करने का रास्ता बताते हैं।(image source: social media)
एंबेसडर बाबा
एंबेसडर बाबा का 1972 मॉडल का एंबेसडर कार उनके जीवन का एक अहम हिस्सा है। यह गाड़ी उनकी घर भी है और उनके आध्यात्मिक यात्रा का साथी भी। बाबा ने इस गाड़ी को अपनी यात्रा का माध्यम बनाया और इसके माध्यम से भारत के विभिन्न हिस्सों में धार्मिक संदेश पहुंचाते हैं। उनकी साधना और जीवनशैली परंपराओं और आधुनिकता का बेहतरीन मिश्रण है।(image source: social media)
रुद्राक्ष बाबा
रुद्राक्ष बाबा 11,000 रुद्राक्ष पहनते हैं, जो उनके भगवान शिव के प्रति अडिग भक्ति का प्रतीक हैं। ये रुद्राक्ष न केवल धार्मिक प्रतीक हैं, बल्कि बाबा के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखते हैं। रुद्राक्ष को शिवजी के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है, और बाबा का मानना है कि ये उनकी पूजा और तपस्या में मदद करते हैं।(image source: social media)
दिगंबर नागा बाबा
दिगंबर नागा बाबा ने 5 साल से अपना हाथ उठाए रखा है, जो उनके तपस्या का हिस्सा है। इस अनूठे कार्य को बाबा ने सनातन धर्म की रक्षा और आत्मसमर्पण के रूप में किया है। उनका मानना है कि यह एक शक्तिशाली साधना है, जिससे वह धर्म की सेवा और भगवान की उपासना कर सकते हैं। यह कार्य उनके गहरे समर्पण और आत्मिक शुद्धता का प्रतीक है।(image source: social media)
खड़ेश्वर नागा बाबा
खदेश्वर नागा बाबा पिछले 12 सालों से लगातार खड़े होकर तपस्या करते हैं। उनका उद्देश्य केवल आध्यात्मिक साधना नहीं है, बल्कि वह पर्यावरण संरक्षण पर भी जोर देते हैं। उनकी अपील है कि हम प्लास्टिक का उपयोग बंद करें और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक साफ-सुथरी और स्थायी दुनिया छोड़ें। उनकी यह तपस्या समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारी को दर्शाती है।(image source: social media)
छोटू बाबा
छोटू बाबा की सबसे अद्वितीय पहचान है उनका 32 साल से स्नान न करने का व्रत। उनका यह तपस्या उनके धार्मिक समर्पण का प्रतीक है। बाबा का मानना है कि इस प्रकार की तपस्या से आत्मा को शुद्ध किया जा सकता है और उनका ध्यान केवल ईश्वर में लगा रहता है। (image source: social media)