महाकुंभ 2025 का आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक किया जाएगा। इस बार लगभग 10 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। ऐसे में श्रद्धालुओं की सुरक्षा और उनकी सुविधा के लिए कई खास व्यवस्थाएं की गई हैं।(image source: X)
महाकुंभ में शाही स्नान की परंपरा बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें सबसे पहले साधु-संत गंगा में स्नान करते हैं, इसके बाद आम श्रद्धालु इस पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं। माना जाता है कि महाकुंभ के समय ग्रहों और नक्षत्रों की विशेष स्थिति के कारण संगम का जल विशेष चमत्कारी गुणों से भर जाता है, जो श्रद्धालुओं को शारीरिक और मानसिक शुद्धि प्रदान करता है। (IMAGE SOURCE: X)
इस महाकुंभ के दौरान संतों ने रथों, ऊंटों और घोड़ों पर सवार होकर यात्रा को और भी भव्य बना दिया। यह यात्रा धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखने का एक अद्भुत तरीका है। (IMAGE SOURCE: X)
अखाड़े इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण और पृथ्वी की रक्षा के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करेंगे। संतों ने सनातन धर्म के प्रचार के साथ-साथ पर्यावरण संकट को भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा बताया है, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इस महान परंपरा का आनंद उठा सकें। (IMAGE SOURCE: X)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रयागराज में महाकुंभ से जुड़ी कई महत्वपूर्ण विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे। इन परियोजनाओं में लगभग 5500 करोड़ रुपये की लागत आई है। (IMAGE SOURCE: X)
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी महाकुंभ की तैयारियों का निरीक्षण करेंगे। उनका ध्यान खासकर मेला स्थल की इंफ्रास्ट्रक्चर और स्वास्थ्य सेवाओं पर रहेगा, ताकि मेले का आयोजन सुचारू रूप से किया जा सके। (IMAGE SOURCE: X)
महाकुंभ में स्थानीय लोगों और प्रशासन ने श्रद्धालुओं का स्वागत विशेष रूप से फूलों की वर्षा से किया, जिसने वातावरण को और भी भक्तिमय बना दिया। (IMAGE SOURCE: X)
महाकुंभ के दौरान शाही स्नान के लिए 5 महत्वपूर्ण तिथियां निर्धारित की गई हैं। पहला शाही स्नान 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा) को होगा। दूसरा शाही स्नान 14 जनवरी (मकर संक्रांति) को, तीसरा 29 जनवरी (मौनी अमावस्या), चौथा 2 फरवरी (बसंत पंचमी) और अंतिम शाही स्नान 26 फरवरी (महाशिवरात्रि) को होगा। ये तिथियां विशेष धार्मिक महत्व रखती हैं और लाखों श्रद्धालु इन दिन स्नान करने के लिए संगम पर पहुंचते हैं। (IMAGE SOURCE: X)
इस तरह महाकुंभ 2025 न केवल धार्मिक अवसर है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, पर्यावरण और सामाजिक जागरूकता को बढ़ावा देने का भी एक महत्वपूर्ण मौका है। (IMAGE SOURCE: X)