नवंबर के पहले सप्ताह से ही देश भर में गेहूं की बुवाई शुरू हो जाती है। ये गेहूं के लिए सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। ऐसे में केंद्र नियामतपुर के कृषि एक्सपर्ट डॉ एनसी त्रिपाठी बताते हैं कि अगर किसान इन 5 कृषि के तकनीकों का इस्तेमाल करें तो कम लागत में अधिक से अधिक उपज किया जा सकता है। (Image- Google)
1. सीड कम फ़र्टिलाइज़र- यह एक आधुनिक कृषि उपकरण है जो गेहूं की बुवाई को अधिक कुशल और प्रभावी बनाता है। इस मशीन के इस्तेमाल से एक समान दूरी पर बीज और उर्वरक को खेत में गहराई तक बिखेरती है। इससे जहां बीजों की बर्बादी कम होती है वहीं समय की भी बहुत अधिक बचत होती है। इससे खेती का लगात भी काफी कम होता है। (Image- Google)
2. डॉ एनसी त्रिपाठी बताते हैं कि अगर किसान अपने खेतों में गेहूं की बुवाई करने से पहले जीरो टिलेज या शून्य जुताई का इस्तेमाल करें तो इससे जहां खेतों की जुताई में लगने वाले खर्च को कम किया जा सकता है वहीं उत्पादन को भी बढ़ाया जा सकता है। दरअसल जीरो टिलेज या शून्य जुताई एक ऐसी खेती की तकनीक है जिसमें बुवाई से पहले खेत को जोता नहीं जाता। यह तकनीक मिट्टी की संरचना को बनाए रखने, पानी के संरक्षण और मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद करती है। इस विधि से गेहूं बुवाई लगभग 10 दिन पहले की जा सकती है। 3 से 4 हजार प्रति हेक्टेयर तक किसानों को बचत भी होती है। (Image- Google)
3. रोटरी ड्रिल- यह एक ऐसी कृषि मशीन है जो खेत की तैयारी, खाद डालना और बीज बोने का काम एक साथ करती है। इसके इस्तेमाल से गेहूं के खेतों को कम समय में तैयार किया जा सकता है। रोटरी डिस्क ड्रिल मशीन, खेतों में फसल कटाई के बाद अवशेष हटाने और बुवाई करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मशीन है। इसे भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान ने बनाया है। इस मशीन से गेहूं, चावल, सोयाबीन, मटर, जौ, हरा चना, और अरहर जैसी कई तरह की फ़सलें बोई जा सकती हैं। (Image- Google)
4. रेज्ड बेड प्लांटर एक कृषि यंत्र है जिसकी मदद से खेत में क्यारियां बनाई जाती हैं और बुआई की जाती है। इस मशीन से बुआई करने के कई फ़ायदे होते हैं। इससे गेहूं और चने जैसी फ़सलों पर तेज हवा या आंधी का असर नहीं पड़ता। इसका उपयोग कर के खेत में उठे हुए बेड बनाए जाते हैं। उठे हुए बेड पानी को जमा नहीं होने देते। इससे गेहूं के पौधे खराब नहीं होते और उत्पादन भी अच्छी मात्रा में हो पता है। (Image- Google)
5. सतही बीजाई का करें इस्तेमाल- इस तकनीक में मिट्टी के गीलेपन को ध्यान में रखकर सुखा या 6-10 घंटे तक भिंगोकर रखा गेहूँ का बीज प्रयोग में लाया जा सकता है। भिंगोया हुआ बीज हेल्दी व् सामान रूप से अंकुरित होता है। यदि सुखा बीज प्रयोग करना है तो दोपहर के बाद बिखेरना चाहिए ताकि रात के ठंडे मौसम में बीज नमी को ग्रहण कर सके। यह बहुत ही आवश्यक है कि जब तक गेहूँ के पौधे जड़ न पकड़ ले भूमि में गीलापन बना रहे। बीज के अंकुरण के लिए खेत में पानी इकट्ठा होने से रोकना चाहिए। (Image- Google)