आज के समय में क्रेडिट कार्ड सिर्फ पेमेंट का जरिया नहीं, बल्कि स्मार्ट मनी मैनेजमेंट का हिस्सा बन चुके हैं।
क्या एक से ज्यादा क्रेडिट कार्ड रखने चाहिए?
आजकल हर बैंक रिवॉर्ड्स और ऑफर्स से भरे क्रेडिट कार्ड दे रहा है। पर क्या आपको एक कार्ड रखना चाहिए या ज्यादा? आइए समझते हैं फायदे और नुकसान।
इमरजेंसी के लिए बैकअप कार्ड
अगर एक कार्ड किसी कारण से काम न करे,
तो दूसरा कार्ड तुरंत काम आ सकता है।
इमरजेंसी में ये बैकअप बहुत मददगार होता है।
ज्यादा कार्ड = ज्यादा रिवॉर्ड्स और कैशबैक
हर कार्ड की अपनी खासियत होती है — कोई पेट्रोल पर ऑफर देता है, तो कोई ट्रैवल पर।
अलग-अलग खर्चों पर ज्यादा रिवॉर्ड्स पाने के लिए कई कार्ड फायदेमंद हो सकते हैं।
क्रेडिट लिमिट बढ़ने से क्रेडिट स्कोर सुधरता है?
कई कार्ड्स होने से कुल क्रेडिट लिमिट बढ़ती है।
इससे आपका क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेशियो कम रहता है
और CIBIL स्कोर बेहतर होता है।
ज्यादा ऑफर्स, ज्यादा बचत
अलग-अलग बैंकों के कार्ड्स पर
EMI, कैशबैक और डिस्काउंट्स मिलते हैं।
एक कार्ड तक सीमित रहने से आप कई ऑफर्स मिस कर सकते हैं।
अलग-अलग बिलिंग साइकिल से फायदा भी, रिस्क भी
हर कार्ड की बिल डेट अलग होती है,
जिससे पेमेंट प्लानिंग आसान हो जाती है।
लेकिन तारीख भूलने पर लेट फीस और ब्याज का झटका लग सकता है।
ज्यादा कार्ड्स = ज्यादा मैनेजमेंट
हर कार्ड की ड्यू डेट, इंटरेस्ट रेट,
लेट फीस ट्रैक करना मुश्किल हो सकता है।
गलती महंगी पड़ सकती है।
खर्च करने की आदत पर कंट्रोल जरूरी
कई बार ज्यादा कार्ड्स होने से
लोग लिमिट से ज्यादा खर्च करने लगते हैं।
उधारी बढ़ती है, ब्याज भी।
नतीजा — फाइनेंशियल तनाव।
एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?
वित्तीय सलाहकारों की मानें तो:
2 से 3 कार्ड काफी होते हैं।
जरूरत और चुकाने की क्षमता के हिसाब से ही कार्ड लें।
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स्मार्ट यूजर के लिए टिप्स
हर कार्ड के रिवॉर्ड और ड्यू डेट ट्रैक करें
ऑटो-डेबिट सेट करें
रिमाइंडर लगाएं
और सबसे जरूरी – अपनी आदतों को समझें।