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ITR Filing 2025: टैक्स रिफंड मिलने में देरी? कहीं आपने भी तो नहीं की हैं ये 8 गलतियां

ITR Filing 2025: क्या आपका ITR रिफंड अभी तक नहीं आया? कई लोग जाने-अनजाने में कुछ ऐसी गलतियां कर देते हैं, जिनकी वजह से रिफंड का पैसा अटक जाता है। जानिए कहीं आपने भी ये 8 गलतियां नहीं की हैं।

अपडेटेड Jul 19, 2025 पर 18:20
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ITR Filing 2025: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ITR फाइल करने वालों का रिफंड भी तेजी से प्रोसेस कर रहा है। अगर आपने रिटर्न फाइल कर दिया है और अब तक रिफंड नहीं मिला, तो देरी की कई वजह हो सकती हैं। यहां जानिए 8 सबसे आम कारण, जिनकी वजह से आपका रिफंड अटक सकता है।

1. गलत डिडक्शन क्लेम
टैक्सपेयर्स अक्सर ऐसे डिडक्शन क्लेम कर देते हैं, जिनका उनके पास कोई प्रूफ नहीं होता। आयकर विभाग ऐसे मामलों में रिफंड प्रोसेस रोक सकता है और नोटिस भेज सकता है। फर्जी HRA, 80C या मेडिकल इंश्योरेंस क्लेम पर विशेष नजर है।

2. AIS में गड़बड़ी
AIS में बैंक ब्याज, शेयर डिविडेंड या अन्य इनकम का मिसमैच होना आम है। अगर आपने ITR में कुछ जोड़ा और AIS में नहीं दिखा, तो सिस्टम रिफंड होल्ड कर सकता है। छोटी गलतियां भी स्क्रूटनी का कारण बन सकती हैं।

3. TDS क्रेडिट मैच न होना
कई बार फॉर्म 26AS और AIS में TDS दिखता है, लेकिन कंपनी ने उसे ठीक से फाइल नहीं किया होता। ऐसी स्थिति में आपका रिफंड अटक सकता है क्योंकि क्रेडिट सिस्टम में मैच नहीं करता। यह दिक्कत खासकर फ्रीलांसरों या कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स के साथ आती है।

4. बैंक अकाउंट वेरिफाई नहीं
रिफंड सीधे बैंक खाते में भेजा जाता है। लेकिन अगर वह खाता ई-वेरिफाइड नहीं है या लिंक्ड नहीं है, तो रिफंड फेल हो सकता है। इनकम टैक्स पोर्टल पर जाकर अकाउंट की स्टेटस जांचना जरूरी है।

5. रिफंड प्रोसेस होने में देरी
कई बार ITR वैरिफाई करने के बाद भी प्रोसेसिंग में वक्त लगता है। सिस्टम में 'under processing' दिखता रहता है और लोग घबरा जाते हैं। CBDT के मुताबिक, 30–45 दिन तक इंतजार करना सामान्य माना जाता है।

6. रिफंड जनरेट हुआ लेकिन क्रेडिट नहीं मिला
कुछ मामलों में रिफंड जनरेट हो जाता है, लेकिन बैंक से फेल होकर लौट आता है। इसका कारण अकाउंट डीएक्टिवेट होना, IFSC बदलना या KYC इनकम्प्लीट होना हो सकता है। ऐसी स्थिति में दोबारा NPC (refund reissue request) डालनी होती है।

7. स्क्रूटनी या असेसमेंट में फंसा मामला
अगर किसी ITR को स्क्रूटनी में लिया गया है या असेसमेंट नोटिस आया है, तो रिफंड रोका जा सकता है। विभाग पहले उस क्लेम की पुष्टि करता है, फिर रिफंड जारी करता है। ऐसे केस में प्रक्रिया लंबी हो जाती है।

8. टैक्स बकाया का रिफंड से एडजस्ट होना
कई बार रिफंड कटकर आता है क्योंकि पिछले सालों का कोई टैक्स ड्यू बकाया होता है। विभाग उसे रिफंड से एडजस्ट कर लेता है और उसकी जानकारी ईमेल या SMS से देता है। इसे समझना जरूरी है ताकि कोई कन्फ्यूजन न हो। (सभी फोटो: Canva)