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ATM ट्रांजैक्शन, FD रेट, चांदी की हॉलमार्किंग... 1 सितंबर से बदलेंगे 5 नियम, आपकी जेब पर होगा सीधा असर

1 सितंबर 2025 से कई बड़े नियम बदलेंगे। इनका सीधा असर आम आदमी की जेब और निवेश योजनाओं पर पड़ेगा। जानिए कौन से नियम बदलेंगे और एक्सपर्ट की क्या सलाह है।

Edited By: Suneel Kumar
अपडेटेड Aug 26, 2025 पर 18:21
ATM ट्रांजैक्शन, FD रेट, चांदी की हॉलमार्किंग... 1 सितंबर से बदलेंगे 5 नियम, आपकी जेब पर होगा सीधा असर

1. SBI कार्डधारकों के लिए नए नियम
1 सितंबर से SBI क्रेडिट कार्ड उपयोगकर्ताओं को ज्यादा सावधान रहना होगा। ऑटो-डेबिट फेल होने पर अब 2% पेनल्टी लगेगी और अंतरराष्ट्रीय ट्रांजैक्शन पर अतिरिक्त शुल्क देना होगा। पेट्रोल-डीजल खरीद और ऑनलाइन शॉपिंग पर भी ज्यादा फीस लग सकती है। साथ ही रिवॉर्ड प्वाइंट्स का मूल्य घटने की संभावना है, इसलिए खर्च पर नजर रखना जरूरी है।

2. LPG सिलेंडर की नई कीमतें
हर महीने की तरह 1 सितंबर को घरेलू रसोई गैस सिलेंडर की नई दरें तय होंगी। एलपीजी की कीमतें अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल और कंपनियों की कैलकुलेशन पर निर्भर करती हैं। अगर दरें बढ़ीं तो रसोई का खर्च बढ़ेगा और अगर घटीं तो राहत मिलेगी। ऐसे में घर के बजट पर सीधा असर दिखेगा।

3. FD ब्याज दरों पर असर
सितंबर में कई बैंक अपनी फिक्स्ड डिपॉजिट दरों की समीक्षा कर सकते हैं। अभी ज्यादातर बैंकों में 6.5% से 7.5% तक ब्याज मिल रहा है, लेकिन बाजार के संकेत दरों में कटौती की ओर इशारा कर रहे हैं। निवेशकों को जल्दी फैसला लेना पड़ सकता है ताकि मौजूदा ऊंची दरें लॉक हो सकें। यह खासकर वरिष्ठ नागरिकों के लिए अहम है।

4. ATM लेन-देन के नए नियम
कुछ बैंक एटीएम ट्रांजैक्शन को लेकर नई शर्तें लागू कर रहे हैं। मंथली लिमिट से ज्यादा कैश निकालने पर अब ज्यादा चार्ज देना होगा। बैंक डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देना चाहते हैं, इसलिए एटीएम उपयोग महंगा होता जा रहा है। ऐसे में अनावश्यक कैश निकासी से बचना समझदारी होगी।

5. चांदी की हॉलमार्किंग अनिवार्य
सरकार अब सोने की तरह चांदी पर भी हॉलमार्किंग को अनिवार्य करने जा रही है। इससे बाजार में शुद्धता और पारदर्शिता आएगी और एक समान मानक लागू होंगे। हालांकि, इस कदम से चांदी की कीमतों पर भी असर पड़ सकता है। चांदी के गहने खरीदने या निवेश करने वालों को नए नियमों पर ध्यान देना होगा।

6. जेब पर सीधा असर
ये सारे बदलाव अलग-अलग दिखते हों लेकिन इनका असर सीधे उपभोक्ताओं की जेब पर होगा। चाहे निवेश के फैसले हों, रसोई का खर्च हो या बैंकिंग लेन-देन, हर स्तर पर लागत बढ़ने या घटने का असर महसूस होगा। परिवारों को अपनी वित्तीय योजना उसी अनुसार बदलनी होगी।

7. बजट पर दबाव या राहत
एलपीजी कीमतें, एटीएम शुल्क और कार्ड फीस जैसे बदलाव जहां खर्च बढ़ाएंगे, वहीं FD दरें घटने पर निवेशकों की आय पर असर होगा। दूसरी ओर, अगर गैस या ब्याज दरों में कटौती हुई तो थोड़ी राहत भी मिल सकती है। कुल मिलाकर सितंबर उपभोक्ताओं के लिए मिलेजुले असर वाला महीना साबित हो सकता है।

8. एक्सपर्ट की सलाह
फाइनेंशियल वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि इन बदलावों पर नजर रखना जरूरी है। बैंक और ऑयल कंपनियों के सर्कुलर पढ़कर अपनी वित्तीय रणनीति बनानी चाहिए। खर्च और निवेश का संतुलन बनाए रखने के लिए बजट की प्लानिंग दोबारा करनी होगी। बड़े निवेश फैसले लेने से पहले सलाहकार से राय लेना समझदारी होगी।

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