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Gold in Will: सोने को अपनी वसीयत में शामिल करें या नहीं, क्या हैं इसके फायदे और कानूनी पेंच?

Gold in Will: भारत में सोना बहुमूल्य संपत्ति होने के साथ विरासत की निशानी भी होती है। इसे वसीयत में शामिल करने से कानूनी विवाद और टैक्स जैसी परेशानियों से बचा जा सकता है। जानिए गोल्ड को वसीयत में कैसे शामिल करें और इसके क्या फायदे हैं।

Edited By: Suneel Kumar
अपडेटेड Aug 14, 2025 पर 17:30
Gold in Will: सोने को अपनी वसीयत में शामिल करें या नहीं, क्या हैं इसके फायदे और कानूनी पेंच?

सोना सिर्फ विरासत नहीं, एक अहम संपत्ति
भारत में सोना पीढ़ियों से घरों में रखा जाता है, लेकिन इसे अक्सर सिर्फ भावनात्मक मूल्य से जोड़ा जाता है। असल में, यह किसी भी अन्य मूवेबल प्रॉपर्टी की तरह एक महत्वपूर्ण एसेट है। अगर इसे वसीयत में स्पष्ट रूप से शामिल नहीं किया गया, तो उत्तराधिकारियों के बीच विवाद या कानूनी देरी हो सकती है। इसलिए, सोने को अन्य संपत्तियों की तरह व्यवस्थित रूप से दर्ज करना जरूरी है।

वसीयत में गोल्ड शामिल करने के फायदे
वसीयत में सोने का जिक्र करने से इसके बंटवारे को लेकर आपकी इच्छा कानूनी रूप से बाध्यकारी हो जाती है। इसमें सोने का प्रकार, मात्रा, लोकेशन और लाभार्थी का नाम साफ-साफ लिखना चाहिए। इससे परिवार में अनावश्यक मुकदमेबाजी से बचा जा सकता है। चाहे पारिवारिक गहने हों या हाल ही में खरीदा गया गोल्ड ETF, स्पष्ट निर्देश उत्तराधिकारियों की मुश्किलें कम कर देता है।

गोल्ड को वसीयत कैसे शामिल करें
भारतीय उत्तराधिकार कानून के तहत सोना किसी भी अन्य मूवेबल प्रॉपर्टी के समान है। इसे वसीयत में शामिल करने के लिए दस्तावेज पर हस्ताक्षर, तारीख और दो गवाह जरूरी हैं। डिजिटल गोल्ड, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड या गोल्ड फंड के लिए अकाउंट या फोलियो नंबर लिखना समझदारी है। फिजिकल गोल्ड के लिए नोटरीकृत इन्वेंट्री और स्टोरेज लोकेशन का जिक्र एक्सेक्यूटर के काम को आसान बना देता है।

वारिस के लिए टैक्स नियम
वसीयत के जरिए मिले सोने पर विरासत के समय कोई टैक्स नहीं लगता, लेकिन बेचने पर कैपिटल गेंस टैक्स देना पड़ता है। इसकी लागत (कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन) मूल मालिक की खरीद कीमत के आधार पर तय होती है और होल्डिंग पीरियड भी उसी से जुड़ता है। लंबे समय के कैपिटल गेंस पर मौजूदा टैक्स दर कम है, जिससे लाभ हो सकता है। वारिसों को सलाह दी जाती है कि वे विरासत की तारीख पर सोने का वैल्यूएशन रिकॉर्ड में रखें।

रिकॉर्ड और खुलासा रखना जरूरी
सोने की खरीद की रसीदें, वैल्यूएशन सर्टिफिकेट और बैंक लॉकर की जानकारी जैसे दस्तावेज सुरक्षित रखना जरूरी है। अपनी वसीयत को समय-समय पर अपडेट करें ताकि नए सोने के निवेश भी इसमें दर्ज हों। जरूरत पड़ने पर इनकम टैक्स रिटर्न या वेल्थ रिटर्न में सोने की होल्डिंग का जिक्र कानूनी स्पष्टता देता है। यह कदम ट्रांसफर के समय अधिकारियों के सवालों से भी बचाता है।

वेल्थ ट्रांसफर प्लानिंग एक जिम्मेदारी है
सोने को वसीयत में शामिल करना सिर्फ कानूनी औपचारिकता नहीं, बल्कि वित्तीय जिम्मेदारी का हिस्सा है। भारत में सोना भावनात्मक और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है, इसलिए इसे सही लाभार्थियों तक पहुंचाना समझदारी है। उचित दस्तावेज, कानूनी अनुपालन और टैक्स प्लानिंग आपके वारिसों को विवाद-मुक्त और आसान विरासत अनुभव दिलाते हैं।

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