SIP vs NPS vs EPF:रिटायरमेंट के बाद आर्थिक आजादी बनाए रखना हर किसी पहली प्राथमिकता होती है। इसके लिए मजबूत रिटायरमेंट फंड जरूरी है। ऐसे में सही निवेश विकल्प चुनना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि यह आपकी जरूरतों, जोखिम क्षमता और समयसीमा पर निर्भर करता है। SIP, NPS और EPF ऐसे लोकप्रिय विकल्प हैं जो रिटायरमेंट प्लानिंग में अहम भूमिका निभाते हैं। आइए जानते हैं इन तीनों विकल्पों की खूबियों को विस्तार से।
EPF: सरकार का सुरक्षित निवेश विकल्प
EPF यानी एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड एक लॉन्ग-टर्म रिटायरमेंट स्कीम है, जिसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों 12% योगदान करते हैं। यह योजना मुख्यतः वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए है। इसकी मौजूदा ब्याज दर 8.25% है। इसमें निवेश, ब्याज और निकासी तीनों टैक्स फ्री होती हैं। यह कम जोखिम और सुरक्षित रिटर्न चाहने वालों के लिए आदर्श विकल्प है।
SIP: फ्लेक्सिबल और लॉन्ग टर्म वेल्थ क्रिएशन का जरिया
Systematic Investment Plan यानी SIP में आप हर महीने तय राशि म्युचुअल फंड में निवेश करते हैं। यह मार्केट लिंक्ड होता है और लंबी अवधि में कंपाउंडिंग का फायदा देता है। SIP निवेशकों को इक्विटी ग्रोथ के साथ-साथ निवेश अनुशासन भी सिखाता है। यह खासतौर पर उन लोगों के लिए है जो रिटायरमेंट तक धन जुटाना चाहते हैं।
NPS: टैक्स बेनिफिट और स्थिर रिटर्न का मेल
नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) एक सरकारी रिटायरमेंट स्कीम है, जो सभी भारतीय नागरिकों के लिए खुली है। यह एक मार्केट लिंक्ड योजना है और इसमें ₹1.5 लाख (80C) व ₹50,000 (80CCD 1B) की टैक्स छूट मिलती है। 60 साल की उम्र तक लॉक-इन अवधि होती है, जिसके बाद आंशिक निकासी मुमकिन है। यह मध्यम जोखिम वाले निवेशकों के लिए एक बैलेंस्ड रिटायरमेंट विकल्प है।
EPF बनाता है मजबूत रिटायरमेंट कॉर्पस
EPF में नियमित योगदान और कंपाउंडिंग से एक बड़ा फंड तैयार होता है। रिटायरमेंट के समय यह एकमुश्त रकम के रूप में मिलता है, जिससे भविष्य की जरूरतें पूरी होती हैं। इसमें निवेश को सरकार का समर्थन प्राप्त है, जिससे सुरक्षा बढ़ती है। यह प्लान पेंशन और इमरजेंसी फंड दोनों के रूप में काम आता है।
SIP में मिलता है निवेश की आजादी और विविधता
SIP के जरिए आप इक्विटी, डेट या हाइब्रिड फंड्स में निवेश कर सकते हैं। यह पूरी तरह फ्लेक्सिबल है- आप कभी भी शुरू, बंद या राशि बदल सकते हैं। कम निवेश से शुरुआत करने की सुविधा इसे आम लोगों के लिए सुलभ बनाती है। यह लॉन्ग टर्म में महंगाई को मात देने वाले रिटर्न देता है।
NPS देता है लाइफटाइम पेंशन का विकल्प
NPS में रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली राशि से आप एन्यूटी खरीद सकते हैं। इससे हर महीने नियमित पेंशन मिलती है, जो रिटायरमेंट के बाद आय का जरिया बनती है। यह योजना निजी और सरकारी दोनों क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए काफी बेहतर है। कम लागत और टैक्स सेविंग इसकी खासियत है।
EPF का ब्याज दर होता है स्थिर और आकर्षक
हर साल सरकार द्वारा घोषित ब्याज दर आमतौर पर फिक्स्ड डिपॉजिट से ज्यादा होती है। इसका रिटर्न बिना बाजार के उतार-चढ़ाव के मिलता है, जिससे जोखिम नहीं होता। EPF खाते में ब्याज सालाना कंपाउंड होता है, जो फंड को तेजी से बढ़ाता है। यह विकल्प उन निवेशकों के लिए है जो सेफ्टी को तवज्जो देते हैं।
SIP, NPS या EPF: किसे चुनें?
अगर आप अधिक रिटर्न और जोखिम लेने को तैयार हैं, तो SIP बेहतर है। EPF कम जोखिम और टैक्स फायदे वाला विकल्प है, खासकर नौकरीपेशा के लिए। NPS में टैक्स बचत और रिटायरमेंट के बाद पेंशन दोनों का फायदा मिलता है। इन तीनों विकल्पों का तालमेल आपके रिटायरमेंट प्लान को और मजबूत बना सकता है। (सभी फोटो सोर्स : Canva)