Explained: क्या है हाइड्रोजन कार, इलेक्ट्रिक कार से यह कितनी अलग है?

हाइड्रोजन कारों को आप फ्यूचर की कार कह सकते हैं। इसकी वजह यह है कि अभी इस टेक्नोलॉजी पर काम चल रहा है। लेकिन, जिस गति से काम चल रहा है, उससे अगले 3 से 4 साल में कई हाइड्रोजन कारों के बाजार में आ जाने की उम्मीद है

अपडेटेड Mar 31, 2022 पर 12:24 PM
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अभी हाइड्रोजन कारों की बिक्री नाममात्र की है। इसकी वजह यह है कि इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार नहीं हो सका है। इन कारों में हाइड्रोजन भरने के लिए अलग तरह के पेट्रोल पंप की जरूरत पड़ती है।

रोड ट्रांसपोर्ट मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को संसद जाने के लिए हाइड्रोजन कार का इस्तेमाल किया। तब से लोग हाइड्रोजन कार के बारे में बातचीत कर रहे हैं। गडकरी ने जिस कार का इस्तेमाल किया, उसे टोयोटा ने बनाई है। इसका नाम टोयोटा मिराई है। हाइड्रोजन कारें भी इलेक्ट्रिक कारों की तरह पॉल्यूशन नहीं फैलाती हैं। चूंकि, इनमें पेट्रोल और डीजल का इस्तेमाल नहीं होता है, इसलिए इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन कारों को भविष्य की कार माना जा रहा है।

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार भी बतौर एनर्जी हाइड्रोजन के इस्तेमाल पर जोर दे रही है। सवाल है कि हाइड्रोजन कार किस तरह काम करती है, क्या यह बाजार में आ गई है, इलेक्ट्रिक कारों से यह किस तरह अलग है?

कैसी है हाइड्रोजन कार की टेक्नोलॉजी?


हाइड्रोजन कारों में कमबशन इंजन (Combustion Engine) का इस्तेमाल नहीं होता है। इनमें फ्यूल सेल का इस्तेमाल होता है। कार की टैंक से गैस फ्यूल सेल में एंटर करती है। यह ऑक्सीजन से मिलकर केमिकल रिएक्शन के जरिए पानी बनाती है। इस केमिकल रिएक्शन से इलेक्ट्रिसिटी पैदा होती है। इस इलेक्ट्रिसिटी से कार चलती है। आप कह सकते हैं कि हाइड्रोजन कार भी इलेक्ट्रिसिटी से चलती है। इसमें इलेक्ट्रिसिटी बनाने के लिए हाइड्रोजन का इस्तेमाल होता है।

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इलेक्ट्रिक कारों से कितनी अलग है हाइड्रोजन कार?

हाइड्रोजन कार और इलेक्ट्रिक कार (EV) दोनों ही पॉल्यूशन नहीं करती है। हाइड्रोजन कार एक बार टैंक फुल होने पर लंबी दूरी तय कर सकती है। दूसरा, इसमें हाइड्रोजन भरने में कुछ ही मिनट का समय लगता है। दूसरी तरफ, पूरी तरह चार्ज होने के बाद भी इलेक्ट्रिक कार बहुत लंबी दूरी तय नहीं कर पाती है। दूसरा, इसकी बैट्री चार्ज करने में काफी समय लगता है।

हाइड्रोजन कार की टेक्नोलॉजी में हो रहा बड़ा इनवेस्टमेंट

हाइड्रोजन कारों को आप फ्यूचर की कार कह सकते हैं। इसकी वजह यह है कि अभी इस टेक्नोलॉजी पर काम चल रहा है। लेकिन, जिस गति से काम चल रहा है, उससे अगले 3 से 4 साल में कई हाइड्रोजन कारों के बाजार में आ जाने की उम्मीद है। दुनिया की बड़ी ऑटो कंपनियां इस टेक्नोलॉजी में काफी इनवेस्ट कर रही हैं। इसमें टोयाटा और हुंडई सबसे आगे हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि साल 2030 तक हाइड्रोजन कार की कीमत घटकर करीब आधी रह जाने की उम्मीद है।

अभी बाजार में सिर्फ दो कंपनियों की हाइड्रोजन कार उपलब्ध

अभी हाइड्रोजन कारों की बिक्री नाममात्र की है। इसकी वजह यह है कि इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार नहीं हो सका है। इन कारों में हाइड्रोजन भरने के लिए अलग तरह के पेट्रोल पंप की जरूरत पड़ती है। अभी इंग्लैंड जैसे विकसित देश में मुश्किल से ऐसे एक दर्जन पेट्रोल पंप ही मौजूद हैं। टेक्नोलॉजी के मामले में इम्प्रूवमेंट होने पर धीरे-धीरे इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर भी तैयार होगा। लेकिन, इसमें समय लगेगा।

हाइड्रोजन कारों की कितनी है कीमत?

अभी बाजार में हाइड्रोजन कारों में हुंडई की नेक्सो और टोयोटा की मिराई उपलब्ध हैं। अभी रुपये में हुंडई की नेक्सो की कीमत करीब 70,000,00 रुपये बैठेगी। टोयोटा की मिराई की कीमत करीब 55 लाख रुपये बैठेगी। इसके मुकाबले इंडिया में इलेक्ट्रिक कारों की कीमतें 12-14 लाख रुपये से शुरू हो जाती हैं। दूसरी तरफ, इंडिया में इलेक्ट्रिक कारों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने पर तेजी से काम हो रहा है।

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