Davos 2023 : गीता गोपीनाथ ने कहा कि यह साल खासा मुश्किल रहने वाला है, लेकिन मजबूत वापसी के संकेत भी मिल रहे हैं। आईएमएफ की डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर गोपीनाथन ने दावोस में यह बात कही। वह वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (World Economic Forum) की सालाना बैठक में भाग लेने के लिए वहां पहुंची हुई हैं। Gita Gopinath ने दावोस से इससे संबंधित एक वीडियो शेयर किया और कहा कि बढ़ती महंगाई और रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine war) के साथ-साथ महामारी मिलकर 2023 को एक मुश्किल साल बना देंगी। हालांकि, कई देशों में लेबर मार्केट में मजबूती और दुनिया के कुछ हिस्सों में कंजम्प्शन के बने रहने से मजबूत वापसी के संकेत भी मिल रहे हैं।
दुनिया भर में बनी हुई है महंगाई
गोपीनाथ ने कहा, “हम Davos में हैं और अगर मैं आईएमएफ के 2023 के आउटलुक (IMF outlook for 2023) का एक लाइन में वर्णन करूं तो यह साल आगे खासा मुश्किल होगा, लेकिन लचीलेपन के भी संकेत हैं।” उन्होंने कहा कि दुनिया भर में महंगाई खासी ज्यादा है, हालांकि पिछले कुछ महीनों में यह नीचे आई है। यह साल मुश्किल है, क्योंकि युद्ध अभी भी जारी है और इसका असर बाकी दुनिया पर बना हुआ है।
कई देशों में लेबर मार्केट में मजबूती के संकेत
गोपीनाथ ने कहा, “अमेरिका और यूरोप सहित कई देशों में लेबर मार्केट में मजबूती के साथ लचीलेपन के संकेत हैं। हम देख रहे हैं कि दुनिया के कई हिस्सों में कंजम्प्शन बनी हुई है। हमें इस साल ग्लोबल के ग्रोथ के निचले स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है, लेकिन इस साल की दूसरी छमाही और 2024 में इसमें सुधार देखने को मिलेगा।”
दावोस में सीएनबीसी टीवी-18 के साथ एक इंटरव्यू में, गोपीनाथ ने युद्ध और महामारी के प्रभावों के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की।
क्यों अहम हैं दावोस जैसे कार्यक्रम
उन्होंने कहा, “दावोस जैसे कार्यक्रम इस तरह के विभाजन को रोकने में मदद करने के लिए पब्लिक सेक्टर और प्राइवेट सेक्टर को एक साथ लाते हैं। मुझे लगता है कि महामारी और युद्ध ने सभी देशों की आर्थिक सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं बढ़ा दी हैं और इस कारण वे ऐसी नीतियां बना रहे हैं जो दुनिया भर में अधिक विभाजन का कारण बन सकती हैं।”