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Davos 2023: चीन को कब तक पीछे छोड़ेगा भारत? Raghuram Rajan ने कही यह बात

Davos 2023: रघुराम राजन ने कहा, भारत के चीन की जगह ले लेने के बारे में सोचना अभी अपरिपक्वता होगी। हालांकि, आगे चलकर हालात बदल सकते हैं। चीन इस समय महामारी का सामना कर रहा है। चीन की इकोनॉमी में किसी भी तरह के सुधार से निश्चित रूप से ग्लोबल ग्रोथ की संभावनाओं को मजबूती मिलेगी

अपडेटेड Jan 18, 2023 पर 8:49 AM
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Davos 2023: Raghuram Rajan ने कहा कि ज्यादातर पॉलिसीमेकर्स कोई अनुमान जाहिर करते समय लेबर और हाउसिंग मार्केट पर नजर डालते हैं

Davos 2023: आरबीआई (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने कहा कि वैश्विक आर्थिक वृद्धि को प्रभावित करने के मामले में भारत के चीन की जगह ले लेने के बारे में सोचना अपरिपक्वता होगी। अभी भारत को लंबा सफर तय करना होगा। हालांकि, आगे चलकर हालात बदल सकते हैं। भारत पहले ही दुनिया की 5वीं अर्थव्यवस्था बन चुका है। रघुराम राजन ने दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के दौरान मीडिया को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं। बड़े इकोनॉमिस्ट्स जहां 2023 में वैश्विक मंदी की आशंका जाहिर कर रहे हैं, वहीं आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा कि चीन की इकोनॉमी में किसी भी तरह के सुधार से निश्चित रूप से ग्लोबल ग्रोथ की संभावनाओं को मजबूती मिलेगी।

पुतिन चाहें तभी खत्म होगा युद्ध

हालांकि, यूक्रेन में जारी जंग (Ukraine war) निश्चित रूप से चिंता का सबब बनी हुई है। इस पर भी काफी हद तक ग्लोबल ग्रोथ निर्भर करेगी। राजन ने इस पर कहा कि अगर रूस के राष्ट्रपति पुतिन युद्ध खत्म करने का फैसला कर लेते हैं तो निश्चित रूप से हालात में सुधार देखने को मिलेगा।


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चीन में सुधार से बढ़ेगी ग्लोबल ग्रोथ

चीन की इकोनॉमी पर राजन ने कहा कि बीजिंग की स्थिति में सुधार निश्चित रूप से अच्छा है। उन्होंने कहा, “चीन इस समय महामारी का सामना कर रहा है और इस साल मार्च-अप्रैल तक उसकी स्थिति में सुधार देखने को मिल सकता है। अगर उसके मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सुधार होता है तो इससे दूसरे देशों में भी कीमतों में कमी लाने में मदद मिलेगी।”

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अमेरिका पर क्या बोले राजन

इसके अलावा, दुनिया के प्रतिष्ठित इकोनॉमिस्ट (economist) में शुमार राजन ने कहा कि ज्यादातर पॉलिसीमेकर्स कोई अनुमान जाहिर करते समय लेबर और हाउसिंग मार्केट पर नजर डालते हैं। उन्होंने अमेरिका का जिक्र करते हुए कहा कि वहां घरों की बिक्री नहीं होने पर भी कीमतें नहीं गिर रही हैं। यह शायद निराशाजनक नहीं है।

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