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Davos 2023 : अब बैंकों को हल्के में नहीं ले सकते आंत्रप्रेन्योर, Axis Bank के Amitabh Chaudhry ने क्यों कही यह बात?

Davos 2023 : एक्सिस बैंक के अमिताभ चौधरी ने कहा, बैड लोन्स संकट की हम सभी ने बड़ी कीमत चुकाई है। उन गलतियों को फिर से नहीं दोहराया जाएगा। कॉर्पोरेट बॉरोअर्स को भी यह अहसास हो चुका है कि वे बैंकों को हल्के में नहीं ले सकते हैं। बड़े कर्जों को बट्टे खाते में डालने से बैंकों को अपने बहीखातों को साफ करने में मदद मिली है। वे नए कर्ज देने में सक्षम हुए हैं

अपडेटेड Jan 16, 2023 पर 5:19 PM
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Axis Bank के चीफ Amitabh Chaudhry ने कहा, अब बैंकिंग सिस्टम हर स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है

Davos 2023 : एक्सिस बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ अमिताभ चौधरी ने सोमवार, 16 जनवरी को कहा कि भारतीय बैंकों ने अतीत के बैड लोन्स के साइकिल से सबक सीखे हैं। आज सही बॉरोअर्स देखने के लिहाज से वे कहीं बेहतर स्थिति में हैं। Davos 2023 से इतर मनीकंट्रोल को दिए एक एक्सक्लूजिव इंटरव्यू में चौधरी ने कहा कि बैड लोन्स संकट की हम सभी ने एक बड़ी कीमत चुकाई है। हम उन गलतियों को फिर से नहीं दोहराएंगे। कॉर्पोरेट बॉरोअर्स को भी यह अहसास हो चुका है कि वे बैंकों को हल्के में नहीं ले सकते हैं। चौधरी ने कहा कि बड़े कर्जों को बट्टे खाते में डालने से बैंकों को अपने बहीखातों को साफ करने में मदद मिली है। वे नए कर्ज देने में सक्षम हुए हैं।

आंत्रप्रेन्योर्स ने भी सीखा है सबक

चौधरी ने कहा, सभी बट्टे खातों के बाद बैंकिंग सिस्टम अब अच्छी स्थिति में आ गया है। वे क्लीन हैं। अब भारतीय बैंकिंग सिस्टम सही लोगों को कर्ज देने के लिए तैयार है।


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भारत के तीसरे सबसे बड़े प्राइवेट सेक्टर के बैंक के चीफ Amitabh Chaudhry ने कहा, मुझे लगता है कि आंत्रप्रेन्योर्स ने भी सबक सीखा है कि वे बैंकिंग सिस्टम को हल्के में नहीं ले सकते। अगर वे ऐसा करते हैं तो उन्हें इसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ेंगे। ऐसी स्थिति के लिए सिस्टम पूरी तरह तैयार है।

10 लाख करोड़ के लोन बट्टे खाते में

चौधरी की टिप्पणियां इसलिए भी अहम हैं, क्योंकि पिछले पांच साल के दौरान लगभग 10 लाख करोड़ रुपये के लोन बट्टे खाते में डाले जा चुके हैं। इससे बैंकों के बैड लोन्स में खासी कमी आई है।

आरबीआई की एसेट क्वालिटी रिपोर्ट से मिले डेटा के मुताबिक, भारतीय लेंडर्स के ग्रॉस एनपीए (GPAs) सितंबर, 2022 में घटकर 5 फीसदी रह गए जो सात साल का निचला स्तर है।

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चौधरी ने कहा कि बैंकर्स अब अपनी एसेट क्वालिटी को बनाए रखने के लिए खासे सतर्क हैं। उन्होंने कहा, हम जानते हैं कि हम पुराने दिनों में नहीं जा सकते। अगर आप गलतियां करते हैं तो आप 3-5 साल पीछे चले जाएंगे।

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