भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रुपये को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और मजबूती देने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। अब नेपाल, भूटान और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों के साथ व्यापार में अमेरिकी डॉलर की बजाय सीधे भारतीय रुपये का इस्तेमाल बढ़ावा दिया जाएगा। इस मास्टरस्ट्रोक से न केवल भारत की विदेशी करेंसी पर निर्भरता कम होगी बल्कि रुपये की अंतरराष्ट्रीय साख भी और मजबूत होगी।
रुपये में व्यापार को बढ़ावा देने के लिए RBI के 3 बड़े कदम-
1. पड़ोसी देशों को रुपये में सीधा लोन
2. करेंसी के लिए तय होगा पारदर्शी एक्सचेंज रेट
RBI ने प्रस्ताव दिया है कि भारत अपने प्रमुख व्यापारिक साझेदार देशों के लिए एक पारदर्शी रेफरेंस एक्सचेंज रेट तय करेगा। इससे कारोबारियों को पहले से पता होगा कि उन्हें किस रेट पर लेन-देन करना है। इस कदम से एक्सचेंज रेट में उतार-चढ़ाव और अनिश्चितता खत्म होगी।
RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, “हम इस दिशा में लगातार प्रगति कर रहे हैं।” उन्होंने साफ किया कि नए प्रस्ताव के तहत अधिकृत भारतीय बैंक भूटान, नेपाल और श्रीलंका के गैर-निवासी कारोबारियों को रुपये में लोन उपलब्ध कराएंगे, जिससे सीमा पार व्यापारिक लेन-देन सरल और सस्ता हो जाएगा।
3. विदेशी बैंकों को रुपये रखने पर अतिरिक्त फायदा
भारत के साथ रुपये में व्यापार करने वाले विदेशी बैंक ‘स्पेशल रुपया वोस्ट्रो अकाउंट (SRVA)’ के जरिए रुपये रखते हैं। अब RBI ने इन्हें इन खातों में जमा रुपये को भारतीय कंपनियों के बॉन्ड्स और कमर्शियल पेपर्स में निवेश की अनुमति दी है। इससे विदेशी बैंकों को अच्छा रिटर्न मिलेगा और वे रुपये में व्यापार को और बढ़ावा देंगे।
RBI का यह कदम न केवल नेपाल, भूटान और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों के साथ भारत के व्यापारिक रिश्तों को और मजबूत करेगा बल्कि भारतीय रुपये की अंतरराष्ट्रीय स्थिति को भी मजबूत करेगा। डॉलर पर निर्भरता घटने से भारत की विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव कम होगा और भारतीय अर्थव्यवस्था को अतिरिक्त स्थिरता मिलेगी।
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