Global Population will reach 8 billion today: दुनिया की आबादी (Global Population) 15 नवंबर (मंगलवार) को 8 अरब हो जाएगी। संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने यह अनुमान जताया है। यूएन इसे मानव विकास (Human Development) में मील के पत्थर के रूप में देख रहा है। उसने कहा है कि इस अप्रत्याशित वृद्धि की वजह इनसान का बढ़ता लाइफ स्पैन है। स्वास्थ्य से जुड़ी सुविधाओं में सुधार, पोषण, व्यक्तिगत स्वास्थ्य और दवाइयों की उपलब्धता की वजह से अब लोगों की जिंदगी (Life Span) लंबी हो गई है।
संयुक्त राष्ट्र ने यह भी कहा कि कुछ देशों में ज्यादा और उच्च फर्टिलिटी लेवल भी इसकी वजह है। उसने कहा कि दुनिया की आबादी को 7 अरब से 8 अरब तक पहुंचने में 12 साल का समय लगा। लेकिन, इसे 9 अरब तक पहुंचने में करीब 15 साल लगेंगे। इससे यह संकेत मिलता है कि दुनिया की आबादी का ग्रोथ रेट सुस्त पड़ रहा है।
पिछले कुछ सालों में वैश्विक आबादी की ग्रोथ दुनिया के सबसे गरीब देशों में संकेंद्रित रही है। इनमें से ज्यादातर सब-सहारा अफ्रीकी देश हैं। उन देशों में फर्टिलिटी रेट ज्यादा देखने को मिला है, जहां प्रति व्यक्ति सबसे कम है। 2022 में दुनिया के दो सबसे ज्यादा आबादी वाले इलाके एशिया में हैं। पहला ईस्टर्न एवं साऊथ-ईस्टर्न एशिया है, जिसकी आबादी 2.3 अरब है। दूसरा, सेंट्रल एवं सदर्न एशिया है, जिसकी आबादी 2.1 अरब है।
दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाले इलाकों में चीन और इंडिया की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। दोनों देशों में से प्रत्येक की आबादी 1.4 अरब से ज्यादा है। साल 2050 तक आबादी में सबसे ज्यादा वृद्धि सिर्फ 8 देशों में देखने को मिलेगी। इनमें कोंगो, मिस्र, इथोपिया, इंडिया, नाइजीरिया, पाकिस्तान फिलीपींस और तंजानिया शामिल हैं। यूएन के एक अनुमान के मुताबिक, इंडिया 2023 में आबादी के मामले में चीन को पीछे छोड़ देगा। अगले साल यह दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जाएगा।
यूएन की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आबादी तेजी से बढ़ने का असर पर्यावरण पर पड़ा है। इसमें गिरावट दर्ज की गई है। ग्लोबल वॉर्मिंग, क्लाइमेट चेंज, डिफॉरेस्टेशन और बायोडायवर्सिटी के रूप में इसके नतीजे सामने आए हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि आबादी में बदलाव के लिए इंफॉर्म्ड प्लानिंग की जरूरत है। इससे सस्टेनेबल डेवलपमेंट ग्रोथ के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। खासकर गरीबी, स्वास्थ्य, शिक्षा, लैंगिक समानता और पर्यावरण में सुधार आएगा।