पाकिस्तान (Pakistan) में शुरू हुआ राजनीतिक संकट अब आर्थिक संकट में बदल रहा है। महंगाई तेजी से पांव पसार रही है। सरकार के पास पैसा खत्म हो रहा है। सिर्फ दो महीने के आयात के लिए विदेशी मुद्रा भंडार बचा है। इस बीच प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (shehbaz sharif) और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से समय पर आर्थिक मदद नहीं मिली तो पाकिस्तान डिफॉल्ट कर सकता है। यह इतिहास में पाकिस्तान का दूसरा डिफॉल्ट होगा। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मौजूदा हालात के लिए पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को जिम्मेदार बताया है।
पाकिस्तान में फरवरी से इनफ्लेशन तेजी से बढ़ रहा है। फरवरी में यह 12.2 फीसदी था। मार्च में यह 12.7 फीसदी पर पहुंच गया। अप्रैल में यह 13.4 फीसदी पर पहुंच गया। आटा, दूध, ब्रेड, फल-सब्जियों सहित रोजमर्रा की चीजें की कीमतें आसमान में पहुंच गई है। सत्ता बदलने के बावजूद लोगों को महंगाई से राहत नहीं मिल रही है। इस हफ्ते पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ने के बाद लोगों में सरकार के खिलाफ जबर्दस्त गुस्सा है।
इस साल जनवरी से विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घट रहा है। मई में यह घटकर 10.16 अरब डॉलर पर आ गया है। यह सिर्फ दो महीने के आयात के लिए पर्याप्त है। पिछले साल अगस्त के मुकाबले यह करीब आधा रह गया है। एक्सपर्ट का कहना है कि अगर जल्द हालात नहीं सुधरें तो पाकिस्तान की हालत श्रीलंका जैसी हो जाएगी। स्टॉकहोम में कोइली फ्रंटियर मार्केट्स एबी में पोर्टफोलियो मैनेजर लार्स जैकब क्राबे ने कहा, "पाकिस्तान में हालात बहुत गंभीर हैं।"
पाकिस्तान आर्थिक मदद के लिए IMF से बातचीत कर रहा है। वह तुरंत 3 अरब डॉलर की मदद चाहता है। अगर समय पर यह पैसा नहीं मिला तो पाकिस्तान डिफॉल्ट कर सकता है। विदेशी बाजार में उसके बॉन्ड की कीमतें रिकॉर्ड लो प्राइस पर आ गई हैं। आईएमएफ ने आर्थिक मदद देने के लिए कड़ी शर्तें रखी हैं। उसने पाकिस्तान को कई चीजों पर सब्सिडी घटाने को कहा है। इसीलिए सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा किया है।
इमरान खान ने अप्रैल में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने से पहले पेट्रोल और डीजल की कीमतें घटा दी थी। उन्होंने महंगाई से लोगों को राहत देने और मतदाताओं को खुश करने के लिए ऐसा किया था। लेकिन, इसका बहुत खराब असर सरकार के खजाने पर पड़ा। अभी सब्सिडी पर पाकिस्तान सरकार हर महीने 60 करोड़ डॉलर खर्च कर रही है। इतनी ज्यादा सब्सिडी जारी रखने की इजाजत IMF नहीं दे सकता।
स्टॉकहोम में तुंड्रा फोंडर एबी के चीफ इकोनॉमिस्ट ऑफिसर मैरिस मार्टिसन ने कहा, "तीन हफ्ते पहले मैं कहता कि पाकिस्तान के अगला श्रीलंका बनने की जीरो पर्सेंट आशंका है। नई सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। यह चिंताजनक है।" इधर, पाकिस्तान सरकार के अधिकारियों को समस्या का हल निकल जाने की उम्मीद है। पाकिस्तान IMF से 2019 की राहत पैकेज फिर से शुरू करने की मांग क रहा है।