Liz Truss : लिज ट्रस इन गर्मियों में जब ब्रिटेन की प्रधानमंत्री बनने जा रही थीं, तो उनके एक साथी ने अनुमान जताया था कि उनके शुरुआती हफ्ते खासे उतार-चढ़ाव भरे रहेंगे। ट्रस सहित कई लोग इसके लिए तैयार थे। शुरुआती छह हफ्तों में पीएम की उदार आर्थिक नीतियों के चलते एक फाइनेंशियल क्राइसिस पैदा हो गई, सेंट्रल बैंक को इमरजेंसी में दखल देना पड़ा, कई यूटर्न देखने को मिले और ट्रेजरी चीफ यानी वित्त मंत्री को भी पद से हटाना पड़ गया।
ट्रस की लीडरशिप के लिए पैदा हुआ खतरा
ट्रस को अब सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी के भीतर बगावत का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उनकी लीडरशिप के लिए खतरा पैदा हो गया है। रविवार को कंजरवेटिव लीडर रॉबर्ट हाल्फोन ने दुख जताते हुए कहा कि पिछले कुछ हफ्तों में “एक के बाद एक भयावह स्टोरी सामने आ रही है।” उन्होंने स्काई न्यूज से बातचीत में कहा, “सरकार अभी तक उदार जिहादियों की तरह नजर आई है और पूरे देश के साथ लैबोरेटरी में मौजूद चूहों जैसा व्यवहार किया जा रहा है, जिन पर फ्री, बिल्कुल फ्री जैसे बाजार के प्रयोग किए जा रहे हैं।”
सुनक चेतावनी की अनदेखी की
उधर, एसोसिएट प्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह अप्रत्याशित नहीं था। कंजरवेटिव लीडरशिप के चुनावी अभियान के दौरान ट्रस ने खुद को डिसरप्टर यानी उथलपुथल मचा देने वाला बताया था, जो आर्थिक ‘कट्टरता’ को चुनौती देगा। उन्होंने ब्रिटेन की सुस्त इकोनॉमी को गति देने के लिए टैक्स में कमी और लालफीताशाही को खतम करने का वादा किया था। उनके प्रतिद्वंद्वी और पूर्व वित्त मंत्री ऋषि सुनक (Rishi Sunak) ने दलील दी कि कोरोनावायरस महामारी और यूक्रेन युद्ध के दौर में टैक्स में तुरंत कमी एक बड़ी लापरवाही होगी।
कंजरवेटिव पार्टी के 1,72,000 मेंबर्स ने ट्रस के विजन को तरजीह दी, जिनमें से ज्यादातर बुजुर्ग और अमीर थे। 5 सितंबर को 57 फीसदी वोट के साथ वह सत्तारूढ़ दल की लीडर चुनी गईं। अगले दिन Queen Elizabeth II ने उनको प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया।
भारी टैक्स कट का किया ऐलान
8 सितंबर को क्वीन की मौत के बाद ट्रस के शुरुआती दिन उनके अंतिम संस्कार में चले गए। फिर, 23 सितंबर को ट्रेजरी सेक्रेटरी Kwasi Kwarteng ने एक इकोनॉमिक प्लान पेश किया, जिसे उन्होंने ट्रस ने तैयार किया था। इसमें भारी कमाई वालों के लिए इनकम टैक्स में कमी सहित 50 अरब डॉलर की टैक्स कटौती शामिल थी, लेकिन इस बात का कोई आकलन नहीं किया गया कि सरकार इसका बोझ कैसे उठाएगी। लिबरटेरियन थिंक टैंक के सीईओ मार्क लिटिलवुड ने इन गर्मियों में बड़े “धमाकों” की भविष्यवाणी की, क्योंकि नई प्रधानमंत्री “खतरनाक स्पीड” से आर्थिक सुधार शुरू कर चुकी थीं। इन घोषणाओं से फाइनेंशियल मार्केट्स और पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स हैरान रह गए थे।
ऐसे संकट में फंसता गया ब्रिटेन
डॉलर की तुलना में पाउंड रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया, जिससे सरकारी उधारी की लागत बढ़ गई। बैंक ऑफ इंग्लैंड को आर्थिक संकट को रोकने के लिए सरकारी बॉन्ड्स की खरीदारी के रूप में दखल देना पड़ा।
आखिरकार, वित्त मंत्री को जाना पड़ा और एक महीने से भी कम समय में सरकार को अपने इकोनॉमिक प्लान को वापस लेकर टैक्स कट और खर्च की योजनाओं को पलटना पड़ गया। इसके साथ ही लिज के प्रधानमंत्री बने रहने को लेकर चर्चाएं शुरू हो गईं। हालांकि, ट्रस ने कह दिया है कि उनकी इस्तीफे की कोई योजना नहीं है।