PM Modi Egypt Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की मिस्र (Egypt) की राजकीय यात्रा का ये दूसरा दिन है। रविवार को राष्ट्रपति अल-सिसी (El-Sisi) ने प्रधानमंत्री मोदी को मिस्र के सर्वोच्च राजकीय सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ द नाइल’ पुरस्कार (Order of the Nile) से नवाजा। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी ने काहिरा में समझौता ज्ञापन (MoU) पर भी हस्ताक्षर किए।
इससे पहले PM मोदी ने काहिरा में स्थित मिस्र की 11वीं सदी की ऐतिहासिक अल-हाकिम मस्जिद का दौरा किया। इस मस्जिद का भारत के दाऊदी बोहरा समुदाय की मदद से रिस्टोरेशन किया गया है।
मिस्र की अपनी राजकीय यात्रा के दूसरे दिन मोदी मस्जिद पहुंचे, जिसका रिस्टोरेशन करीब तीन महीने पहले ही पूरा किया गया है। मस्जिद में मुख्य रूप से जुमे (शुक्रवार) और दिन की सभी पांच ‘फर्ज़’ नमाज होती हैं।
प्रधानमंत्री को मस्जिद की दीवारों और दरवाजों पर की गई जटिल नक्काशी की सराहना करते देखा गया। मस्जिद का निर्माण 1012 में किया गया था।
अल हाकिम मस्जिद काहिरा की चौथी सबसे पुरानी मस्जिद है और शहर में दूसरी फातिमिया दौर की मस्जिद है। मस्जिद 13,560 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैली हुई है, जिसका प्रांगण 5,000 वर्ग मीटर में है।
मिस्र में भारत के राजदूत अजीत गुप्ते ने पहले कहा था कि भारत में बस गए बोहरा समुदाय का संबंध फातिमिया से है। उन्होंने कहा था कि बोहरा समुदाय 1970 के बाद से मस्जिद का रखरखाव कर रहा है।
गुप्ते ने कहा था, “ प्रधानमंत्री का बोहरा समुदाय से बहुत गहरा लगाव है जो कई सालों से गुजरात में भी हैं। यह उनके लिए बोहरा समुदाय के एक बहुत ही महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल पर फिर से जाने का अवसर होगा।”
ऐतिहासिक मस्जिद का नामकरण 16वीं सदी के फातिमिया खलीफा के नाम अल हाकिम बामिर अल्लाह पर किया गया था और यह दाऊदी बोहरा समुदाय के लिए अहम धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल है।
मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले ही दाऊदी बोहरा समुदाय से काफी पुराने और अच्छे रिश्ते हैं।
हेलियोपोलिस युद्ध कब्रिस्तान पहुंचे मोदी
इसके अलावा मोदी ने रविवार को काहिरा के हेलियोपोलिस युद्ध कब्रिस्तान का दौरा किया और पहले विश्व युद्ध के दौरान मिस्र और फलस्तीन में बहादुरी से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहूति देने वाले भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी।
मोदी ने कब्रिस्तान में शहीद भारतीय सैनिकों को पुष्पांजलि अर्पित की और वहां रखी आगंतुक पुस्तिका पर हस्ताक्षर किए। इस कब्रिस्तान में हेलियोपोलिस (पोर्ट तौफीक) स्मारक और हेलियोपोलिस (अदन) स्मारक शामिल हैं।
हेलियोपोलिस (पोर्ट तौफीक) स्मारक उन लगभग 4,000 भारतीय सैनिकों को समर्पित है, जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मिस्र और फलस्तीन में लड़ते हुए अपने प्राणों की आहूति दे दी।