कतर (Qatar) में मौत की सजा पाए 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को बड़ी राहत मिली है। कतर की अदालत ने भारत के पूर्व नौसेना के अधिकारियों की मौत की सजा पर रोक लगा दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने फांसी की सजा को कारावास में बदल दिया है। हालांकि, कतर की तरफ से फैसले की विस्तार से जानकारी अभी नहीं दी है। सुनवाई के दौरान 8 पूर्व नौसेना कर्मियों के परिवार के सदस्य और भारतीय राजदूत अदालत के अंदर मौजूद थे। इस मामले में गुरुवार विदेश मंत्रालय ने कहा कि अपील की अदालत ने 'सजाएं कम कर दी हैं।' भारतीय कानूनी टीम अब अगले कदम को लेकर जल्द फैसला करेगी।
भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने एक बयान जारी कर कहा है कि सजा कम किए जाने पर विस्तृत फैसले का इंतजार है। कतर के अधिकारियों के साथ हम बातचीत करते रहेंगे। सूत्रों के मुताबिक, कोर्ट ने सजा-ए-मौत को कैद में बदल दिया है। विदेश मंत्रालय ने इस फैसले पर हैरानी जताई थी और आश्वासन दिया था कि सरकार सभी कानूनी विकल्प तलाश रही है।
2022 में कतर में अधिकारियों ने एक डिफेंस सर्विस प्रोवाइडर कंपनी के लिए काम करने वाले आठ रिटायर भारतीय नौसेना सैनिकों को हिरासत में ले लिया था।
जिन भारतीय नौसेना के आठ रिटायर कर्मियों को मौत की सजा सुनाई गई थी, वे कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश हैं।
रिपोर्टों के अनुसार, उन्होंने कतर की दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टिंग सर्विसेज में काम किया, जो एक निजी कंपनी है जो कतर की रक्षा और सुरक्षा एजेंसियों को ट्रेनिंग और अन्य सेवाएं प्रदान करती है।
पिछले साल अगस्त में इन 8 भारतीयों को कतर अधिकारियों ने इजरायल के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। भारतीय अधिकारी उनके कारावास के समय से ही उन्हें राजनयिक पहुंच प्रदान कर रहे हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन भारतीयों को पहले तो एकांत कारावास में रखा गया था, लेकिन बीते कुछ महीनों से उन्हें दूसरे लोगों के साथ रखा गया। हाल ही में भारतीय दूतावास को इन लोगों से मिलने की इजाजत दी गई थी। संभवत: इन्हें वकीलों के जरिए अपना बचाव करने का भी मौका दिया गया था। भारत सरकार की तरफ से इस मामले में कतर के सामने सख्ती से उठाया गया था।