Russia SWIFT Ban: क्या है SWIFT? जिससे रूस को बाहर कर आर्थिक चोट पहुंचाने की तैयारी में हैं पश्चिमी देश, आसान शब्दों में समझें
Russia SWIFT Ban: SWIFT 200 से ज्यादा देशों और रीजन में 11,000 से ज्यादा बैंकिंग और सिक्योरिटी संगठन को जोड़ता है, जानिए ये कैसे करता है काम और रूस पर पड़ेगा क्या असर
रूस को SWIFT से बाहर कर आर्थिक चोट पहुंचाने की तैयारी में हैं पश्चिमी देश (Reuters)
Russia SWIFT Ban: अमेरिका, यूरोप और कई दूसरे पश्चिमी देश रूस को सोसाइटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन (SWIFT) से बाहर करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं, जो दुनिया भर में बैंकों के लिए एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क है, जो विश्व स्तर पर सुचारू धन लेनदेन (Money Transactions) की सुविधा प्रदान करता है।
यूक्रेन में उसकी सैन्य कार्रवाई को लेकर रूस के खिलाफ यह सबसे मजबूत आर्थिक प्रतिबंध हो सकता है, क्योंकि यह संभावित रूप से देश को अंतरराष्ट्रीय भुगतान (International Payments) प्राप्त करने से रोक देगा।
SWIFT क्या है?
SWIFT एक मैसेजिंग नेटवर्क है, जिसका इस्तेमाल बैंकों और वित्तीय संस्थाएं वित्तीय लेनदेन से जुड़ी जानकारियों को तेजी से और बिना किसी गलती के आदान-प्रदान करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। बेल्जियम मुख्यालय वाला SWIFT 200 से ज्यादा देशों और रीजन में 11,000 से ज्यादा बैंकिंग और सिक्योरिटी संगठन को जोड़ता है।
प्लेटफॉर्म पर हर एक प्रतिभागी को एक यूनीक आठ अंकों का स्विफ्ट कोड या एक बैंक पहचान कोड (BIC) सौंपा गया है। मान लीजिए, अगर कोई व्यक्ति, न्यूयॉर्क में सिटी बैंक अकाउंट के साथ, लंदन में HSBC अकाउंट वाले किसी व्यक्ति को पैसा भेजना चाहता है, पेई को अपने बैंक को लंदन स्थित लाभार्थी का अकाउंट नंबर और उसके बैंक के आठ अंकों का SWIFT कोड जमा करना होगा।
इसके बाद Citi HSBC को एक स्विफ्ट मैसेज भेजेगा। एक बार जब यह मैसेज मिल जाता है और अप्रूव हो जाता है, तो पैसा आवश्यक खाते में जमा कर दिया जाता है।
स्विफ्ट केवल एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जो मैसेज भेजता है और कोई सिक्योरिटीज या पैसा नहीं रखता है। यह लेनदेन की सुविधा के लिए मानकीकृत और विश्वसनीय (standardised and reliable) संचार की सर्विस देता है।
अगर किसी को स्विफ्ट से बाहर कर दिया जाए तो क्या होगा?
अगर किसी देश को सबसे ज्यादा भागीदारी वाले फाइनेंशियल सर्विस प्लेटफॉर्म से बाहर रखा जाता है, तो इसकी विदेशी फंडिंग पर असर पड़ेगा, जिससे यह पूरी तरह से घरेलू निवेशकों पर निर्भर हो जाएगा। यह खास तौर पर तब परेशानी की बात है, जब इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स लगातार नए सेक्टर्स में नए बाजारों की तलाश कर रहे हैं।
वहीं एक वैकल्पिक सिस्टम का निर्माण करना बोझिल होगा और पहले से ही फैले इतने बड़े सिस्टम के साथ लिंक करना और भी कठिन होगा। स्विफ्ट, पहली बार 1973 में इस्तेमाल किया गया, 1977 में 22 देशों के 518 संस्थानों के साथ लाइव हुआ, इसकी वेबसाइट बताती है। SWIFT ने खुद बहुत धीमी और बहुत कम गतिशील टेलेक्स को बदल दिया था।
क्या किसी देश को स्विफ्ट से बाहर रखा गया है?
यूरोप के कई देशों के प्रतिरोध के बावजूद 2018 में ईरानी बैंकों को सिस्टम से बाहर कर दिया गया था। स्विफ्ट ने अपनी वेबसाइट पर कहा, "यह कदम, खेदजनक होने पर, व्यापक वैश्विक वित्तीय प्रणाली (global financial system) की स्थिरता और अखंडता के हित में और आर्थिक स्थिति के आकलन के आधार पर उठाया गया था।"
संगठन कैसे ऑपरेट होता है?
SWIFT निष्पक्ष होने का दावा करता है। इसके शेयर होल्डर्स, दुनिया भर में 3,500 फर्मों से मिलकर, 25-सदस्यीय बोर्ड का चुनाव करते हैं, जो कंपनी की निगरानी और मैनेजमेंट के लिए जिम्मेदार है।
यह यूरोपीय सेंट्रल बैंक के साथ बेल्जियम, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, नीदरलैंड, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, स्विटजरलैंड और स्वीडन के G-10 केंद्रीय बैंकों द्वारा रेगुलेट है। इसका लीड ओवरसियर नेशनल बैंक ऑफ बेल्जियम है।
SWIFT ओवरसाइट फोरम की स्थापना 2012 में हुई थी। G-10 प्रतिभागियों में भारत, ऑस्ट्रेलिया, रूस, दक्षिण कोरिया, सऊदी अरब, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की गणराज्य और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के केंद्रीय बैंक शामिल हुए थे। स्विफ्ट में यूरोप, मध्य पूर्व और अफ्रीका का सबसे ज्यादा योगदानकर्ता है।
अपनी वेबसाइट के आंकड़ों के अनुसार, 2021 में, SWIFT फाइनेंशियल मैसेज प्लेटफॉर्म ने हर दिन औसतन 42 मिलियन FIN मैसेज रिकॉर्ड किए थे। पूरे साल का आंकड़ा साल-दर-साल आधार पर 11.4% की बढ़ोतरी थी।
यूरोप, मध्य पूर्व और अफ्रीका ने संयुक्त रूप से लगभग 4.66 बिलियन मैसेज भेजे। अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम 4.42 बिलियन इंटरैक्शन के साथ दूसरे स्थान पर रहे, जबकि एशिया पैसिफिक लगभग 1.50 बिलियन मैसेज के साथ तीसरे स्थान पर रहा।