Sheikh Hasina alleges US: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देने और फिर भारत भागने से पहले शेख हसीना राष्ट्र को संबोधित करना चाहती थीं, लेकिन उनके खिलाफ हिंसक सरकार विरोधी प्रदर्शनों के कारण सेना ने उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं दी। अब, 76 साल की अवामी लीग की नेता शेख हसीना ने अमेरिका के खिलाफ एक चौंकाने वाला आरोप लगाया है, जिसमें संकेत दिया गया कि वाशिंगटन की उन्हें पद से हटाने में भूमिका हो सकती है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कथित तौर पर अमेरिका पर आरोप लगाया है कि उसने उन्हें सत्ता से हटाने का प्रयास किया, क्योंकि उन्होंने सेंट मार्टिन आईलैंड पर नियंत्रण छोड़ने से इनकार कर दिया था।
पूर्व पीएम ने बांग्लादेशी नागरिकों को कट्टरपंथियों के बहकावे में आने से बचने की सलाह दी है। 'इकोनॉमिक टाइम्स' की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व बांग्लादेशी प्रधानमंत्री के करीबी सहयोगियों का हवाला देते हुए शेख हसीना ने कहा, "मैंने इस्तीफा दे दिया, ताकि मुझे शवों का जुलूस न देखना पड़े। वे छात्रों की लाशों पर सत्ता में आना चाहते थे, लेकिन मैंने ऐसा नहीं होने दिया, मैंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।" उन्होंने यह भी कहा कि अगर उन्होंने सेंट मार्टिन आईलैंड की संप्रभुता को त्याग दिया होता और अमेरिका को बंगाल की खाड़ी पर अपना प्रभाव जमाने दिया होता, तो वे "सत्ता में बनी रह सकती थीं।"
रिपोर्ट से पता चला है कि हसीना ने अपने पार्टी सदस्यों के खिलाफ हिंसा पर गहरा खेद व्यक्त किया है। सूत्रों ने कहा कि उन्होंने बांग्लादेश के प्रति अपने समर्पण की पुष्टि की है। अपने परिवार के बलिदानों का सम्मान किया है और स्थिति में सुधार होने पर वापस लौटने का वादा किया है। इसके अलावा, कोटा आंदोलन और छात्र विरोध के बारे में हसीना ने स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी भी छात्रों को रजाकार नहीं कहा। उनका मानना है कि उनके बयानों को अशांति भड़काने के लिए तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, "मैंने आपको कभी रजाकार नहीं कहा। बल्कि आपको भड़काने के लिए मेरे शब्दों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। मैं आपसे उस दिन का पूरा वीडियो देखने का अनुरोध करती हूं। साजिशकर्ताओं ने मासूमियत का फायदा उठाया है और देश को अस्थिर करने के लिए आपका इस्तेमाल किया है।"
बांग्लादेश की सत्ता में US-UK और ISI का दखल
इससे पहले, 6 अगस्त की CNN-News18 की रिपोर्ट में खुफिया सूत्रों का हवाला देते हुए दावा किया गया था कि हसीना के इस्तीफे के कारण पैदा हुए संकट में अमेरिका और ब्रिटेन की अहम भूमिका थी। रिपोर्ट में सूत्रों का आरोप है कि डेविड बर्गन बीएनपी के तारिक रहमान और नेत्रा न्यूज के मालिकों जैसे लोगों ने उनके खिलाफ सोशल मीडिया अभियान चलाया और झूठी बातें फैलाईं। हसीना ने कथित तौर पर बंगाल में एक बेस स्थापित करने और पूर्वी तिमोर जैसा एक ईसाई राज्य बनाने के उद्देश्य से अमेरिका की आलोचना भी की है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने दावा किया कि एक पश्चिमी प्रतिनिधि ने उन्हें चुनाव में कोई समस्या नहीं होने का आश्वासन दिया था, लेकिन बांग्लादेश में एक एयरबेस बनाने की मांग की। इसके अलावा, उपरोक्त रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने चुनाव निष्पक्षता के बारे में एक कहानी गढ़ी और मानवाधिकारों के हनन को लेकर बांग्लादेश की रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) पर प्रतिबंध लगाए।
उनका तर्क है कि पश्चिमी हितों के साथ जुड़ने से इनकार करने और चीन के साथ उनके घनिष्ठ संबंधों के कारण प्रभावशाली अमेरिकी हस्तियों ने उनके खिलाफ पैरवी की। यह भी दावा किया जा रहा है कि क्षेत्रीय अस्थिरता भारत को म्यांमार, बांग्लादेश, मालदीव और चीन सहित पड़ोसी देशों के साथ संघर्ष में शामिल करने की रणनीति का हिस्सा है। रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) ने भी इस जटिल भू-राजनीतिक स्थिति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।