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चीन की खुल गई पोल, ट्रेनिंग कैंप्स के नाम पर उइगर मुसलमानों पर कर रहा है ड्रैगन

गुरुवार को 42 साल की उइगर महिला जियावुद्दीन ने वॉयस ऑफ अमेरिका को कैंप में मिली यातनाओं के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि उन्हें बुरी तरह पीटा गया। फिर पूछताछ के नाम पर उनका यौन शोषण किया गया। इतना ही नहीं उनका सामूहिक बलात्कार तक किया गया

अपडेटेड May 30, 2022 पर 11:02 PM
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लीक हुए डॉक्युमेंट से यह भी पता चलता है कि चीन की सरकार शिनजियांग की मुस्लिम आबादी को देश की सुरक्षा के लिए खतरा मानती है।

चीन शिनजियांग (Xinjiang) में चल रहे अपने कैंप्स को 'ट्रेनिंग कैंप्स' बताता रहा है। वह इन्हें दुनिया की नजरों से बचाकर रखता है। इनमें 10 लाख से ज्यादा उइगर मुसलमानों और दूसरे धार्मिक अप्लसंख्यकों को हिरासत में रखने और यातनाएं देने के आरोप चीन पर लगते रहे हैं। बताया जाता है कि ये कैंप्स एक तरह से यातना शिविर की तरह हैं।

चीन इन आरोपों को खारिज कर देता है। वह कहता है कि य ट्रेनिंग स्कूल हैं, जिनमें लोग स्वेच्छा से शामिल होते हैं। वह कहता है कि इसमें लोगों को ट्रेनिंग दी जाती है ताकि वे इकोनॉमी की ग्रोथ में अपनी भूमिका निभा सकें। लेकिन, शिनजियांग के पुलिस सर्वर की हैकिंग के बाद जो जानकारियां सामने आई हैं, उससे चीन के चेहरे पर एक फिर से तमाचा लगा है।

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हैक की गई जानकारियां कई न्यूज आउटलेट्स के साथ शेयर की गई हैं। इन्हें Xinjiang Polic Files नाम दिया गया है। इन्हें गुमनाम स्रोत से Adrian Zenz को लीक किया गया है। Adrian चाइनीज गवर्नमेंट डॉक्युमेंट्स के इंटरनेशनल एक्सपर्ट हैं। Adrian अमेरिका स्थित Victims of Communism Memorial Foundation के लिए काम करते हैं।

लीक हुए डॉक्युमेंट्स में 5,000 से ज्यादा उइगर लोगों के फोटोग्राफ हैं। ये जनवरी से जुलाई, 2018 के बीच लिए गए हैं। BBC ने कहा है कि इनमें कम से कम 2,800 ऐसे लोगों की पुष्टि हुई है, जिन्हें हिरासत में रखा गया है। डॉक्युमेंट्स में सीनियर अफसरों के गोपनीय भाषण हैं। 20,000 उइगुर लोगों के ऐसे फोटोग्राफ हैं, जो बहुत संवेदनशील लोकेशन के हैं।

कई न्यूज ऑर्गेनाइजेशन इन फाइल्स को वेरिफाई कर चुके हैं। इनसे कैंप्स में रखे गए लोगों के साथ होने वाली क्रूरता की झलक मिलती है। फोटो में हिरासत में रखे गए लोगों के हाथ बंधे हुए हैं। अफसर उन पर डंडे बरसा रहे हैं। वहां चेहरे छुपाने वाले मास्क पहने गार्ड्स हाथ में हथियार लेकर खड़े हैं। एक कैंप से दूसरे कैंप में ले जाने के दौरान इन लोगों की आंखों पर पट्टियां बांधी जाती हैं। हाथ में हथकड़ी और पैरों में जंजीर बंधी होती है।

लीक फाइल्स से यह भी पता चला है कि इन कैंप्स में बच्चों को भी रखा जाता है। सबसे कम उम्र के व्यक्ति की उम्र 15 साल है, जबकि सबसे ज्यादा उम्र के व्यक्ति की उम्र 73 साल थी। कैंप से भागने वाले लोगों ने पकड़े जाने के बाद क्रूरता की रोंगटे खड़े करने वाली कहानियां बताई हैं। शारीरिक यातना के साथ उनका यौन शोषण तक किया जाता है। कुछ उइगर महिलाओं ने बताया कि अफसरों ने पूछताछ के दौरान उनका बलात्कार तक किया।

गुरुवार को 42 साल की उइगर महिला जियावुद्दीन ने वॉयस ऑफ अमेरिका को कैंप में मिली यातनाओं के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि उन्हें बुरी तरह पीटा गया। फिर पूछताछ के नाम पर उनका यौन शोषण किया गया। इतना ही नहीं उनका सामूहिक बलात्कार तक किया गया। यह वाकया 2018 का है। जियावुद्दी किसी तरह से कैंप से भागने में सफल हो गई थीं।

उन्होंने बताया, "चार अलग-अलग मौकों पर मुझे पूछताछ वाले कमरे में ले जाया गया। वहां मुझे मारा गया। इलेक्ट्रिक डंडे से मेरे प्राइवेट पार्ट्स में बिजली के झटके दिए गए। फिर मेरा सामूहिक बलात्कार हुआ।" उधर, चीन के विदेश मंत्रालय का कहना है कि ऐसे दावों का कोई आधार नहीं है।

लीक हुए डॉक्युमेंट से यह भी पता चलता है कि चीन की सरकार शिनजियांग की मुस्लिम आबादी को देश की सुरक्षा के लिए खतरा मानती है। एक मिनिस्टर को यह चेतावनी देते हुए दिखाया गया है कि शिनजियांग में 20 लाख से ज्यादा लोग धार्मिक कट्टरवादी सोच रखते हैं।

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