Types of Cryptocurrencies: 5 तरह की होती हैं क्रिप्टोकरेंसीज, कितनों के बारे में जानते हैं आप?
Types of Cryptocurrencies : क्रिप्टोकरेंसी सिर्फ बिटकॉइन तक सीमित नहीं हैं। ये 5 तरह की होती हैं। हर एक का अलग मकसद और इस्तेमाल होता है। जानिए सभी क्रिप्टोकरेंसीज की पूरी डिटेल।
पेमेंट क्रिप्टोकरेंसी अपनी खुद की ब्लॉकचेन पर चलती हैं और डिजिटल पैसे की तरह काम करती हैं।
Types of Cryptocurrencies : क्रिप्टोकरेंसी आज वित्त की दुनिया में तेजी से अपनी जगह बना रही हैं। बिटकॉइन और दूसरी डिजिटल करेंसीज ने सिर्फ निवेशकों को ही नहीं, बल्कि सरकारों, कंपनियों और आम लोगों को भी लुभाया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी सिर्फ बिटकॉइन तक सीमित नहीं हैं? असल में ये कई तरह की होती हैं, और हर प्रकार का अपना अलग मकसद और इस्तेमाल होता है।
1. सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDCs)
CBDCs किसी देश की मुद्रा का डिजिटल रूप होती हैं, जिसे उस देश का सेंट्रल बैंक जारी करता है। इसे फिजिकल करेंसी यानी नोट और सिक्कों के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है। यह देश की वित्तीय प्रणाली का हिस्सा होती है।
बहमास, जमैका और नाइजीरिया जैसे देश पहले ही CBDCs लॉन्च कर चुके हैं। चीन ने भी इस क्षेत्र में काफी काम किया है। भारत में भी RBI डिजिटल करेंसी पर काम कर रही हैं। फिलहाल लगभग 134 देश CBDCs पर रिसर्च, पायलट या प्रोजेक्ट्स के माध्यम से काम कर रहे हैं। इसका मुख्य मकसद डिजिटल लेन-देन को सुरक्षित, तेज और आसान बनाना है।
2. पेमेंट क्रिप्टोकरेंसी
पेमेंट क्रिप्टोकरेंसी अपनी खुद की ब्लॉकचेन पर चलती हैं और डिजिटल पैसे की तरह काम करती हैं। बिटकॉइन सबसे पहली और सबसे बड़ी पेमेंट क्रिप्टोकरेंसी है। इसका क्रिप्टो मार्केट में लगभग 57% हिस्सा है। लाइटकॉइन जैसी अन्य क्रिप्टोकरेंसी भी हैं, जो तेज और सस्ते लेन-देन की सुविधा देती हैं।
ये क्रिप्टोकरेंसी पारंपरिक बैंकिंग सिस्टम की तुलना में ज्यादा स्वतंत्र होती हैं। इनमें सरकारी दखल कम होता है। इसलिए निवेशक और व्यापारी इनका इस्तेमाल तेजी से बढ़ा रहे हैं।
3. टोकन
टोकन मौजूदा ब्लॉकचेन पर बनाए जाते हैं और अपनी खुद की ब्लॉकचेन नहीं रखते। ये किसी नेटवर्क के भीतर एसेट का प्रतिनिधित्व करते हैं या किसी सर्विस का एक्सेस देते हैं। जैसे कि कोई डिजिटल आइटम या गेम में कोई खास फीचर अनलॉक करना।
एथेरियम पर ERC-20 टोकन इसका सबसे आम उदाहरण है। टोकन का इस्तेमाल किसी प्रोजेक्ट की पूंजी जुटाने, डिजिटल एसेट का आदान-प्रदान या किसी एप्लिकेशन के भीतर सेवाओं तक पहुंच के लिए किया जाता है।
4. स्टेबलकॉइन
स्टेबलकॉइन कम अस्थिर होते हैं और अक्सर फिएट करेंसी या सोना, चांदी, डॉलर या यूरो जैसी संपत्तियों से जुड़े होते हैं। इसका मकसद क्रिप्टोकरेंसी की अस्थिरता को संतुलित करना है।
टेथर और USDC प्रमुख स्टेबलकॉइन हैं जिनका मार्केट कैप बहुत बड़ा है। निवेशक और व्यापारी इन्हें तब इस्तेमाल करते हैं, जब वे क्रिप्टो मार्केट की उतार-चढ़ाव से बचना चाहते हैं।
5. ऑल्टकॉइन
ऑल्टकॉइन में बिटकॉइन के अलावा सभी क्रिप्टोकरेंसी शामिल हैं। ये अक्सर बिटकॉइन की तुलना में नई और बेहतर तकनीक पेश करती हैं। कई ऑल्टकॉइन तेज लेन-देन, बेहतर पारदर्शिता और बेहतर स्केलेबिलिटी जैसी खासियत देते हैं।
सोलाना, कार्डानो, रिपल, अवालांच और पोलीगॉन जैसे ऑल्टकॉइन तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। इनका मकसद सिर्फ डिजिटल मुद्रा बनाना नहीं है, बल्कि ब्लॉकचेन तकनीक के नए इस्तेमाल और व्यावसायिक समाधान पेश करना है।
क्रिप्टोकरेंसीज पर एक्सपर्ट की राय
CoinDCX में ट्रेड, कस्टडी और BizOps के SVP पारस मल्होत्रा अनुसार, क्रिप्टो या डिजिटल असेट्स को पांच मुख्य प्रकार के टोकन में बांटा जा सकता है। सबसे पहले है बिटकॉइन, जिसे 'डिजिटल गोल्ड' भी कहा जाता है। यह सीमाओं के पार वैल्यू भेजने का तेज, सस्ता और सुरक्षित तरीका देता है और लंबे समय के निवेश के साथ लेन-देन का माध्यम भी बन रहा है।
दूसरे प्रकार हैं स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट प्लेटफॉर्म्स, जैसे Ethereum, Solana और Polkadot। ये सिर्फ भुगतान तक सीमित नहीं हैं, बल्कि डेवलपर्स को डीसेंट्रलाइज्ड एप्लिकेशन (dApps) बनाने और नए टोकन जारी करने की सुविधा देते हैं। इसके अलावा यूटिलिटी टोकन, जैसे BNB या Chainlink, किसी खास प्लेटफॉर्म में काम आते हैं और लेन-देन या एप्लिकेशन चलाने में मदद करते हैं।
मल्होत्रा का कहना है कि स्टेबलकॉइन्स और टोकनाइज्ड असेट्स भी महत्वपूर्ण हैं। स्टेबलकॉइन्स, जैसे USDC और Tether, डॉलर या सोने से जुड़े होते हैं और भुगतान व हेजिंग के लिए भरोसेमंद हैं। टोकनाइज्ड असेट्स पारंपरिक होल्डिंग्स जैसे रियल एस्टेट, कमोडिटी या शेयरों को ब्लॉकचेन पर लाकर निवेश में आम लोगों की पहुंच आसान करते हैं। कुल मिलाकर, क्रिप्टो अब सिर्फ ट्रेडिंग एसेट नहीं, बल्कि वित्तीय और तकनीकी क्रांति बन चुका है।