आधार नंबर अब विभिन्न वित्तीय सेवाओं में लिंक जरूर है, लेकिन इसे सुरक्षित रखने के लिए वर्चुअल आईडी (VID) महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। VID अस्थायी और पुनः उत्पन्न होने वाला 16 अंकीय कोड है, जिसे UIDAI की वेबसाइट या आधार ऐप के जरिए जनरेट किया जाता है। इससे बैंक या वित्तीय संस्थान आपकी असली आधार संख्या को देखे बिना प्रमाणीकरण कर सकते हैं, जो डेटा लीक और पहचान की चोरी से बचाता है।
इस वर्चुअल आईडी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे सेवाओं पर स्टोर नहीं किया जा सकता और इसे किसी भी समय बदल कर नई ID बनाई जा सकती है। इस तरह, अगर किसी पोर्टल या ऐप पर सेंधमारी होती भी है, तो आपकी असली आधार जानकारी सुरक्षित रहती है। बड़ी बैंकें अब VID पर आधारित eKYC को पूरी तरह स्वीकार करती हैं, जिससे ऑनलाइन धोखाधड़ी के खतरे कम हुए हैं।
हालांकि, उपयोगकर्ता को अपने OTP को सुरक्षित रखना और नकली वेबसाइटों से सावधानी बरतनी जरूरी है क्योंकि VID खुद में पूरी सुरक्षा कवच नहीं है। डिजिटल पहचान की सुरक्षा में VID के साथ सावधानी और सतर्क व्यवहार जरूरी है। यह तरीका खासकर फिनटेक और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से बढ़ रहा है।
बैंकों की ओर से भी इसे अपनाने का रुख बढ़ रहा है, जिससे ग्राहक अपनी ऑनलाइन वित्तीय गतिविधियों को पहले से अधिक सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। इससे न केवल डेटा लीक का खतरा कम होता है बल्कि ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी की घटनाएं भी घटती हैं।
इस तकनीक से जुड़े नियमों और सावधानियों को समझकर ऑनलाइन वित्तीय सेवाओं का सुरक्षित उपयोग किया जा सकता है। आधार वर्चुअल आईडी के इस इस्तेमाल से डिजिटल इंडिया के सपने को और मजबूती मिली है।