Property: भारत के बड़े शहरों में रियल एस्टेट अब आम नौकरीपेशा लोगों की पहुंच से दूर होता जा रहा है। आज की तारीख में एक अच्छा पैकेज कमाने वाला युवा भी घर खरीदने की सोचकर डरता है, क्योंकि उससे उसकी पूरी आर्थिक स्वतंत्रता छिन सकती है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर हाल ही में एक पोस्ट ने भारत में घर खरीदने की बढ़ती मुश्किलों को फिर से चर्चा में ला दिया है। इस पोस्ट में एक टेक प्रोफेशनल अखिलेश ने अपने एक दोस्त की कहानी शेयर की। उनका दोस्त सालाना 20 लाख रुपये कमाता है लेकिन फिर भी गुरुग्राम में घर खरीदना उसके लिए सपना बना हुआ है।
करोड़ों के घर, लेकिन किसके लिए?
अखिलेश के मुताबिक उनका दोस्त हर महीने टैक्स और बाकी कटौतियों के बाद करीब 1.2 लाख रुपये घर लाता है। वह बहुत सादा जीवन जीता है—न कार, न बच्चे, न कोई लग्जरी शौक। इसके बावजूद, गुरुग्राम में जितने भी प्रोजेक्ट उसने देखे, उनकी शुरुआती कीमत ही 2.5 करोड़ रुपये से होती है। इन घरों में इंफिनिटी पूल, जेन गार्डन, बायोमेट्रिक लिफ्ट और इंपोर्टेड मार्बल जैसी सुविधाएं होती हैं। साफ है कि ये प्रोजेक्ट आम लोगों के लिए नहीं, बल्कि अमीर खरीदारों के लिए बनाए जा रहे हैं।
अमीरों के लिए है मार्केट?
अखिलेश की पोस्ट का सबसे असरदार हिस्सा वह लाइन थी जिसमें उन्होंने लिखा कि मार्केट टूटा नहीं है, यह वैसा ही काम कर रहा है जैसे डिजाइन किया गया है, किसी और के लिए।
यह बात युवाओं खासकर शहरों में काम करने वाले प्रोफेशनल्स के बीच बातचीत का अहम टॉपिक है। क्योंकि यह हकीकत उजागर करती है कि ऊंची तनख्वाह वाले लोग भी बिना किसी आर्थिक चिंता के घर नहीं खरीद सकते।
Anarock की 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली-NCR में 59% नए घरों की कीमत 2.5 करोड़ से ज्यादा है। हैदराबाद में 18% और मुंबई महानगर एरिया (MMR) में 12% घर इस कीमत से ऊपर हैं। यानी ज्यादातर नया कंस्ट्रक्शन अल्ट्रा-लक्जरी होम्स का हो रहा है।
एक और रिपोर्ट के मुताबिक NRI अब भारतीय शहरों में बड़े पैमाने पर प्रीमियम प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं। उनके लिए ये निवेश का एक सुरक्षित तरीका बन गया है। 2017 के बाद जब RERA कानून आया, तब से ग्राहकों का भरोसा कुछ डेवलपर्स पर बढ़ा है जो समय पर प्रोजेक्ट पूरे करते हैं। इसी वजह से NRI भी भरोसेमंद प्रोजेक्ट्स में निवेश कर रहे हैं।
भारत के बड़े शहरों में रियल एस्टेट अब आम नौकरीपेशा लोगों की पहुंच से दूर होता जा रहा है। आज की तारीख में एक अच्छा पैकेज कमाने वाला युवा भी घर खरीदने की सोचकर डरता है, क्योंकि उससे उसकी पूरी आर्थिक स्वतंत्रता छिन सकती है। और ये बाजार सच में किसी और के लिए डिज़ाइन हुआ लगता है।