ITR Filing: कर्नाटक हाईकोर्ट ने टैक्स ऑडिट रिपोर्ट (TAR) दाखिल करने की आखिरी तारीख बढ़ाकर 31 अक्टूबर करने का निर्देश दिया है। यह आदेश कर्नाटक स्टेट चार्टेर्ड अकाउंटेंट्स एसोसिएशन (KSCAA) की याचिका पर दिया गया। याचिका में कहा गया था कि टैक्स ऑडिट फाइल करने के लिए अधिक समय की जरूरत है। इससे पहले राजस्थान हाईकोर्ट ने भी इसी तरह का निर्देश जारी किया था।
न्यायमूर्ति पुष्पेंद्र सिंह भाटी और न्यायमूर्ति बिपिन गुप्ता की बेंच ने कहा कि CBDT यानी केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने पहले भी कई बार ऐसी छूट दी है। यह अंतरिम आदेश टैक्स बार एसोसिएशन, जोधपुर की याचिका पर आया है। देश के अलग-अलग हाईकोर्ट्स में भी ऐसी याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है।
फिलहाल यह राहत सिर्फ कर्नाटक और राजस्थान के टैक्सपेयर्स को मिलेगी। पूरे देश के लिए तारीख तभी बढ़ेगी जब CBDT आधिकारिक अधिसूचना जारी करेगा।
क्यों जरूरी है बढ़ी हुई तारीख?
एक्सपर्ट का कहना है कि ऑडिट और टैक्स फाइलिंग में कई दिक्कतें आ रही हैं। इनकम टैक्स ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॉगिन फेल होना, धीमी स्पीड और जरूरी डॉक्युमेंट्स जैसे AIS तक पहुंच में परेशानी बड़ी चुनौती बनी हुई है। इसके अलावा ITR-5, ITR-6 और ITR-7 की यूटिलिटीज देर से जारी हुईं। नए फॉर्म 3CD में अतिरिक्त रिपोर्टिंग के कारण भी ऑडिटरों का काम बढ़ गया है।
किन्हें टैक्स ऑडिट कराना जरूरी है?
जिन व्यवसायों का टर्नओवर 1 करोड़ करोड़ से ज्यादा है, उन्हें ऑडिट कराना होगा।
अगर कैश लेन-देन कुल का 5% से कम है तो यह सीमा बढ़कर 10 करोड़ रुपये हो जाती है।
डॉक्टर, वकील, आर्किटेक्ट या चार्टर्ड अकाउंटेंट जैसे प्रोफेशनल्स की इनकमर 50 लाख रुपये से ज्यादा है तो उन्हें भी ऑडिट कराना जरूरी है।
कुछ टैक्सपेयर्स जो प्रिज़म्पटिव टैक्सेशन (जैसे धारा 44ADA) के तहत आते हैं, वे भी शर्तें पूरी होने पर ऑडिट के दायरे में आते हैं।
अगर समय पर TAR फाइल नहीं की गई तो पेनल्टी लग सकती है। यह पेनल्टी टर्नओवर का 0.5% या 1.5 लाख रुपये जो भी कम हो तक हो सकती है।