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Dormant Bank Account: 2 साल तक बैंक खाता इनएक्टिव रहने पर क्या होगा, क्या सेफ रहेगा आपका पैसा?

Dormant Bank Account: अगर आपका बैंक अकाउंट 2 साल तक इस्तेमाल नहीं हुआ तो वह डॉर्मेंट हो सकता है। जानिए इनएक्टिव और डोरमेंट खाते का फर्क, पैसा कितना सुरक्षित रहता है, री-एक्टिवेशन की प्रक्रिया और RBI के नियम क्या कहते हैं।

अपडेटेड Sep 25, 2025 पर 10:14 PM
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इनएक्टिव और डोरमेंट खातों के बीच सबसे बड़ा फर्क उनके टाइम फ्रेम और एक्टिविटी में होता है।

Dormant Bank Account: अक्सर लोग एक से ज्यादा बैंक खाते खोल लेते हैं। लेकिन, धीरे-धीरे उनमें से कई अकाउंट का इस्तेमाल करना बंद कर देते हैं। अगर आपका खाता लगातार 2 साल तक बिना किसी लेन-देन के पड़ा रहता है, तो बैंक उसे इनएक्टिव या डोरमेंट अकाउंट घोषित कर देता है। इससे न सिर्फ आपकी बैंक सर्विसेज बंद हो जाती हैं, बल्कि कई बार जमा फंड तक पहुंचना भी मुश्किल हो सकता है।

आइए जानते हैं कि बैंक अकाउंट इनएक्टिव या डोरमेंट क्यों होता है। साथ ही अकाउंट को दोबारा एक्टिव कैसे किया जा सकता है और इस प्रक्रिया में कितनी फीस लगती है।


डोरमेंट अकाउंट क्या होता है?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियमों के अनुसार, अगर किसी बचत या चालू खाते में लगातार 24 महीने तक ग्राहक द्वारा कोई लेन-देन (क्रेडिट या डेबिट) नहीं होता, तो वह खाता इनएक्टिव हो जाता है। अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे तो खाता डॉरमेंट (Dormant Account) घोषित कर दिया जाता है।

यहां ध्यान रखने वाली बात यह है कि बैंक की ओर जमा होने वाला ब्याज या कटने वाला शुल्क 'ग्राहक द्वारा लेनदेन' नहीं माना जाता। अगर बैंक अकाउंट से कोई जमा या निकासी होती है, तभी वो ग्राहक का लेनदेन माना जाएगा।

इनएक्टिव और डोरमेंट खातों का फर्क

इनएक्टिव और डोरमेंट खातों के बीच सबसे बड़ा फर्क उनके टाइम फ्रेम और एक्टिविटी में होता है। 12 महीने तक लेनदेन न होने पर अकाउंट इनएक्टिव और 24 महीने में डोरमेंट हो जाता है। इनएक्टिव खाता आंशिक रूप से चालू माना जाता है। यानी इसमें आप बैलेंस चेक कर सकते हैं या स्टेटमेंट निकाल सकते हैं। हालांकि, ज्यादा लेन-देन की सुविधा सीमित हो जाती है।

लेकिन सोचिए अगर अकाउंट होल्डर की अचानक मौत हो जाए तो अकाउंट का पैसा किसे मिलेगा? जवाब है –नॉमिनी को।

वहीं, डोरमेंट खाता पूरी तरह बंद जैसा हो जाता है। इसमें डेबिट कार्ड, नेट बैंकिंग, UPI या एटीएम से कैश निकालने जैसी सुविधाएं रोक दी जाती हैं। यह कदम सुरक्षा और खाते के गलत इस्तेमाल से बचाने के लिए लिया जाता है।

बैंक आमतौर पर खाते को डोरमेंट घोषित करने से पहले ईमेल, SMS या पत्र के जरिए ग्राहक को सूचना भेजते हैं। डोरमेंट अकाउंट को दोबारा थोड़ी सख्त है। वहीं, इनएक्टिव खाते को आप आसानी से दोबारा एक्टिव करा सकते हैं।

डोरमेंट अकाउंट से क्या दिक्कत होती है?

  • ऑनलाइन ट्रांजेक्शन बंद हो जाते हैं। नेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग और एटीएम लेन-देन काम करना बंद कर देते हैं।
  • ऑटो डेबिट और ECS रुक जाते हैं। अगर आपने EMI, इंश्योरेंस प्रीमियम या म्यूचुअल फंड SIP ऑटो डेबिट से जोड़े हैं, तो वो फेल हो जाएंगे।
  • इंटरनेट और मोबाइल अलर्ट नहीं मिलते। बैंक खाते से जुड़े SMS/Email नोटिफिकेशन बंद हो सकते हैं।
  • आप अपना अकाउंट ऑपरेट नहीं कर पाते। खाता चलाने के लिए आपको बैंक जाकर KYC डॉक्यूमेंट्स और री-एक्टिवेशन रिक्वेस्ट देनी होती है।

डोरमेंट अकाउंट री-एक्टिवेट कैसे करें?

  • बैंक ब्रांच जाकर लिखित आवेदन देना होगा।
  • वैध KYC डॉक्यूमेंट्स (पहचान और पते का सबूत) जमा करने होंगे।
  • कुछ मामलों में बैंक एक छोटी रकम का ट्रांजेक्शन करने को कह सकता है।
  • प्रोसेस पूरी होने के बाद खाता फिर से एक्टिव हो जाएगा।

क्या बैंक पेनल्टी लगाते हैं?

नहीं। RBI के नियम साफ कहते हैं कि बैंक किसी इनएक्टिव या डोरमेंट खाते को दोबारा चालू करने के लिए कोई पेनल्टी या चार्ज नहीं ले सकते। खाते में जितनी भी रकम है, उस पर ब्याज पहले की तरह मिलता रहता है, चाहे खाता निष्क्रिय ही क्यों न हो।

नॉमिनी कोई भी करीबी हो सकता है जैसे पति या पत्नी, बच्चे, माता-पिता या भाई-बहन। इससे पैसा सही व्यक्ति तक आसानी से पहुंच जाता है।

क्या पैसा सुरक्षित रहता है?

हां, इनएक्टिव और डोरमेंट अकाउंट में रखी रकम पूरी तरह सुरक्षित रहती है। लेकिन जब तक खाता री-एक्टिवेट नहीं होता, आप उसका इस्तेमाल नहीं कर सकते। खाता निष्क्रिय करने का मकसद ग्राहक की सुरक्षा होता है, ताकि लंबे समय तक इस्तेमाल न होने पर खाते के साथ कोई धोखाधड़ी या गलत इस्तेमाल न हो सके।

10 साल खाता बंद रहे तो?

अगर खाता 10 साल से ज्यादा समय तक बिना क्लेम किए पड़ा रहता है, तो बैंक उस खाते की रकम और ब्याज को Depositor Education and Awareness Fund (DEAF) में ट्रांसफर कर देता है। हालांकि, अकाउंट होल्डर या नॉमिनी कभी भी इस रकम का क्लेम कर सकता है।

अकाउंट को डोरमेंट होने से कैसे बचाएं?

अगर आप नहीं चाहते कि आपका खाता डोरमेंट हो, तो उसमें समय-समय पर छोटी-सी ही सही, कोई ट्रांजैक्शन जरूर करें। जैसे 10 का UPI ट्रांसफर या एक बार बैलेंस चेक करना भी काफी है। बेहतर होगा कि खाते को किसी ऑटो डेबिट, UPI ऐप या मोबाइल वॉलेट से लिंक कर दें, ताकि उसमें नियमित गतिविधि बनी रहे।

अगर कभी गलती से खाता इनएक्टिव हो भी जाए, तो तुरंत बैंक से संपर्क कर उसे एक्टिव करा लें। और अगर खाते की अब जरूरत ही नहीं है, तो उसे बंद कराना सबसे समझदारी भरा कदम होगा। इससे आप मिनिमम मंथली एवरेज बैंलेंस नियम से भी बच जाएंगे, जो कई बैंक अक्सर चार्ज करते हैं।

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