केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व थलसेना प्रमुख जनरल वीके सिंह (VK Singh) ने शनिवार को विपक्षी दलों पर आरोप लगाया कि वे सशस्त्र बलों में अल्पकालिक भर्ती के लिए केंद्र द्वारा लाई गई अग्निपथ (Agnipath) योजना के बारे में लोगों को उकसाकर विवाद उत्पन्न कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि चूंकि विपक्ष के पास इसके सिवा करने को कुछ और नहीं है, इसलिए वह योजना का क्रियान्वयन शुरू होने से पहले ही इस पर विवाद उत्पन्न कर रहा है।
सरकार की अग्निपथ योजना का समर्थन करते हुए न्यूज 18 को दिए एक विशेष इंटरव्यू में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में हिंसक भीड़ को विपक्षी दलों द्वारा उकसाया और गुमराह किया गया है। उन्होंने कहा कि योजना के माध्यम से थल सेना, नौसेना और वायु सेना में भर्ती होने वाले 'अग्निवरों' को अन्य सैनिकों और अधिकारियों के समान ट्रेंड किया जाएगा।
500 लेकर सरकारी संपत्ति को जला रहे नुकसान लोग
पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि अग्निपथ योजना का विरोध करने के लिए एक टूल-किट का इस्तेमाल किया जा रहा है। हिंसा फैलाने और सार्वजनिक संपत्ति को जलाने के लिए लोगों को 500 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से किराए पर लाया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि इन हिंसक विरोधों को विपक्षी पार्टियों द्वारा उकसाया और प्रेरित किया जा रहा है। जो असली जरूरतमंद व्यक्ति है वो हमारी बात सुनेगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि चार साल का कार्यकाल पूरा होने पर अग्निवीरों के लिए उपलब्ध अवसरों के बारे में गलत धारणाएं फैलाई जा रही हैं। जबकि पूर्व सैनिकों को कई नौकरियों में आरक्षण और रियायत दी जाएगी। अग्निपथ से भारतीय जवानों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों ने कई आकस्मिकताओं और विभिन्न स्थितियों के हिस्से के रूप में कई चीजों की कोशिश की है।
उन्होंने कहा कि 1961 में हम सेना में और (सैनिकों) को लाने के लिए आपातकालीन कमीशन लेकर आए। 1962 से 1965 तक उन्होंने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और अफसोस के साथ पीछे मुड़कर देखने के लिए कुछ भी नहीं है। उनका तीन महीने का ट्रेनिंग था। उन्होंने आगे कहा कि 1965 में हमने आपातकालीन आयोग को समाप्त करने का निर्णय लिया। बाद में ट्रेनिंग की अवधि 9 महीने और कमीशन की अवधि 5 साल थी। पांच साल बाद हमने प्रदर्शन का आकलन किया और बाकी लोगों को छोड़ने के लिए कहा गया।
सिंह ने कहा कि उस वक्त पेंशन नहीं था। इतना हीन हीं एकमुश्त राशि भी नहीं मिलती थी। योजना के बड़े लाभ के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि युवाओं को सेना में शामिल करने से सेना में युवाओं की संख्या बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों में चीजों को कुछ अलग तरह से सोचा जाता है, ना कि एक दिशा में। यह सोचा गया कि युवाओं की बड़े पैमाने पर भर्ती की जानी चाहिए। ट्रेनिंग पूरा कर लेने पर वे समाज के लिए अच्छा काम करेंगे तथा अनुशासित रहेंगे। लेकिन ऐसा लगता है कि कई युवा अनुशासित नहीं हैं।
प्रदर्शन को शांत करने के लिए सरकार कर चुकी है कई ऐलान
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने सशस्त्र बलों में 4 साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट आधार पर जवानों की भर्ती के लिए 14 जून को ‘अग्निपथ’ योजना की घोषणा की थी। इस योजना के विरोध में देशभर में व्यापक प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रदर्शनकारियों को शांत करने के प्रयास में सरकार अब तक कई ऐलान कर चुकी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने मंत्रालय के तहत होने वाली भर्तियों में अग्निवीरों को 10 फीसदी आरक्षण देने का ऐलान किया है।
रक्षा मंत्री ने आवश्यक योग्यता मानदंडों को पूरा करने वाले अग्निवीरों के लिए रक्षा मंत्रालय की नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण के प्रस्ताव को शनिवार को मंजूरी दे दी। इससे पहले गृह मंत्रालय ने CAPF और असम राइफल्स में 10% आरक्षण देने की घोषणा की थी। वहीं, सरकार ने गुरुवार रात को 'अग्निपथ' योजना के तहत भर्ती के लिए ऊपरी आयु सीमा को वर्ष 2022 के लिए 21 से बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया था।
इसके अलावा गृह मंत्रालय ने भी अपने विभाग की नौकरियों में अग्निवीरों के लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था लागू करने का ऐलान किया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) और असम राइफल्स में 10 प्रतिशत रिक्तियों को ‘अग्निवीरों’ के लिए आरक्षित करने की शनिवार को घोषणा की। गृह मंत्रालय ने सीएपीएफ और असम राइफल्स में भर्ती के लिए ‘अग्निवीरों’ को ऊपरी आयु सीमा में छूट दिए जाने की भी घोषणा की।
सरकार ने मंगलवार को इस योजना की शुरुआत करते हुए कहा था कि साढ़े 17 साल से 21 साल तक की आयु के युवाओं को 4 साल के कार्यकाल के लिए शामिल किया जाएगा, जबकि उनमें से 25 फीसदी को बाद में नियमित सेवा में शामिल किया जाएगा। नई योजना के तहत भर्ती होने वाले युवाओं को 'अग्निवीर' कहा जाएगा। इस योजना का एक प्रमुख उद्देश्य सैन्यकर्मियों की औसत आयु को कम करना और बढ़ते वेतन और पेंशन बिल में कटौती करना है। कोरोना महामारी के कारण दो साल से अधिक समय से सेना में रुकी हुई भर्ती प्रक्रिया की पृष्ठभूमि में नई योजना की घोषणा की गई है।