Akshaya Tritiya 2025 : इस अक्षय तृतीया पर सोने पर लगाएं बड़ा दांव, या केवल सांकेतिक खरीदारी ही करें ?
Gold price : इस अक्षय तृतीया पर सोने में निवेश करें और शॉर्ट टर्म फायदे के बजाय लॉन्ग टर्म असेट एलोकेशन की रणनीति अपनाएं। एक्सर्ट्स का कहना है कि मौजूदा वोलैटिलिटी को देखते हुए,बाजार की संभावित गिरावट से लाभ उठाने के लिए धीरे-धीरे निवेश करें
360 वन एसेट के सीईओ राघव अयंगर का भी मानना है कि मौजूदा ऊंचे भाव को देखते हुए समझदारी के साथ सोना खरीदना बुद्धिमानी होगी। अयंगर ने कहा ने आगे कहा कि परंपरा और भावनाओं का ध्यान रखते हुए सोने में सांकेतिक खरीदारी ही करें
Gold price : अक्षय तृतीया से कुछ ही दिन पहले सोने की कीमतें रिकॉर्ड 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम को पार कर जाने के बाद निवेशक इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि क्या आज के इस शुभ अवसर पर सोने में बड़ा दांव लगाएं या फिर सिर्फ सांकेतिक खरीदारी करें। भारत में अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदना शुभ माना जाता है। इसके अलावा ग्लोबल मंदी या किसी बड़े भू-राजनैतिक संकट के दौरान सोने की सुरक्षित निवेश विकल्प होने की अपील बढ़ जाती है।
घरेलू बाजार में सोने की हाजिर कीमतें 22 अप्रैल को एक नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं थी और यह 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गया था। हालांकि, तब से इसकी कीमतों में काफी गिरावट आई और 29 अप्रैल को यह 96,000 रुपये के स्तर पर पहुंच गया था। पिछले वर्ष सोने ने सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए 40 बार ऑल टाइम हाई बनाया।
क्रेडेंस इक्विरस फैमिली ऑफिस की चीफ इंवेस्टमेंट ऑफीसर चंचल अग्रवाल ने कहा, "2024 में, सोने ने एसएंडपी 500 से बेहतर प्रदर्शन करते हुए 27 फीसदी का शानदार रिटर्न दिया। 2025 के चार महीने में भी सोने में तेजी बनी रही है। इसकी कीमतें सालाना आधार पर 26 फीसदी बढ़कर 3,300 डॉलर प्रति औंस को पार कर चुकी हैं।"
कैसा है आगे की आउटलुक
लंदन से न्यूयॉर्क के लिए फिजिकल गोल्ड के बड़े पैमाने पर स्थानांतरण के कारण डिलीवरी में देरी और इन्वेंट्री दबाव पैदा हो गया है। केंद्रीय बैंकों, विशेष रूप से भारत के बैंकों ने आयात में तेजी ला दी है। ब्रिटेन द्वारा वेनेजुएला के सोने को जब्त करने के बाद,अब कई लोगों का मानना है कि अब आपको अपने सोने को फिजिकल फॉर्म में रखना होगा, ऐसा नहीं होने पर आपका सोना छिन सकता है।
इसके अलावा, एक्सपर्ट्स का मानना है कि पूरी दुनिया में बढ़ते घाटे और असहनीय कर्ज के बोझ के कारण दीर्घकालिक स्ट्रक्चरल असंतुलन अभी भी बना हुआ है। क्वांटम म्यूचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी चिराग मेहता ने कहा, "केंद्रीय बैंक अपनी मौद्रिक नीतियों को और आसान बनाने का विकल्प अपना सकते हैं और डॉमिनेन्ट करेंसी होल्डिंग पर निर्भरता से दूर करने लिए एक नया रास्ता भी अपना सकते हैं। इस तरह के बदलाव से सोने के लिए ज्यादा बेहतर माहौल बन सकता है।"
गोल्ड की कीमतों में हालिया गिरावट में क्या करें
रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद, पिछले कुछ दिनों में सोने की कीमतों में काफी गिरावट आई है,जिसका मुख्य कारण मुनाफावसूली और अमेरिकी डॉलर में तेजी है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि शॉर्ट टर्म में सोने की चाल आने वाले इकोनॉमिक आंकडों पर निर्भर करेगा जिसमें अमेरिकी महंगाई दर और रोजगार के आंकड़े शामिल हैं। ये आंकड़ें ब्याज दरों पर फेडरल रिजर्व के रुख को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
कोटक महिंद्रा म्यूचुअल फंड के फंड मैनेजर सतीश डोंडापति का कहना है कि केंद्रीय बैंकों की मजबूत खरीद और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के चलते सोने का लॉन्ट टर्म आउटलुक बुलिश है।
यहां तक कि सबसे अच्छा प्रदर्शन करने असेट भी उतार-चढ़ाव के चक्रों से अछूते नहीं होते। क्रेडेंस इक्विरस फैमिली ऑफिस की चीफ इंवेस्टमेंट ऑफीसर चंचल अग्रवाल ने कहा कि सोने का ऐतिहासिक 10-ईयर रोलिंग रिटर्न लंबे समय तक कमजोर और शामदार दोने तरह के रिटर्न का मिलाजुला रुप है। मौजूदा घबराहट के माहौल के कारण शॉर्ट से मिड टर्म में सु्स्ती देखने को मिल सकती है। अधिकतर मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि सोने का ओवरऑल ट्रेंड मजबूत रहने बावजूद इसमें कुछ कंसोलीडेशन या प्राइस करेक्शन हो सकता है।
मिराए एसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) के ईटीएफ प्रोडक्ट हेड और फंड मैनेजर सिद्धार्थ श्रीवास्तव का कहना है कि जो कोई भी अभी सोने में निवेश करना चाहता है, उसे लंबी अवधि के नजरिए से निवेश करना चाहिए,न कि केवल शॉर्ट टर्म गेन के लिए। मौजूदा हालातद में बाजार में उतार-चढ़ाव या गिरावट के कारण संभावित अवसरों पर नजर रखते हुए धीरे-धीरे किस्तों में निवेश करें।
मनी मंत्रा के संस्थापक विरल भट्ट का मानना है कि सोना हमेशा से ही भारतीयों के दिलों में खास स्थान रखता है,खास तौर पर अक्षय तृतीया जैसे शुभ अवसरों पर इसमें निवेश शुभ मानना जाता है। हालांकि,वे निवेशकों को इस साल भावनाओं और समझदारी के बीच संतुलन बनाने की सलाह दे रहे हैं।
विरल भट्ट ने आगे कहा कि सोने की कीमतें अब तक के हाई पर पहुंच गई हैं,इसलिए भावनाओं में बहकर की गई बड़ी खरीदारी निवेशकों को शॉर्ट टर्म वोलैटिलिटी के दलदल में फंसा सकती है। ऐसे में सतर्क रहना बुद्धिमानी होगी। लांग टर्म वेल्थ संरक्षण के लिए सोने में कुछ हिस्सा निवेश करें,लेकिन बहुत ज्यादा निवेश करने से बचें। जिन लोगों को पहले से ही सोने में बड़ा मुनाफा हो तुका है उनके लिए भट्ट का सुझाव है कि यह रिबैलेंसिंग और कुछ मुनाफा समेटने का मौका भी हो सकता है।
360 वन एसेट के सीईओ राघव अयंगर का भी मानना है कि मौजूदा ऊंचे भाव को देखते हुए समझदारी के साथ सोना खरीदना बुद्धिमानी होगी। अयंगर ने कहा ने आगे कहा कि परंपरा और भावनाओं का ध्यान रखते हुए सोने में सांकेतिक खरीदारी ही करें। गोल्ड ईटीएफ (एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड) या मल्टी-एसेट एलोकेशन फंड के जरिए बड़े आवंटन करना सोने में लॉन्ग टर्म निवेश का बेहतर तरीका हो सकता है।