Trump Tariff : अमेरिका के नए शुल्क से भारत के झींगा, कालीन और ज्वैलरी इंडस्ट्री पर असर पड़ सकता है। लेकिन फार्मा जैसे कुछ एरिया को राहत भी मिली है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए एक नई शुल्क नीति की घोषणा की। इसके तहत 5 अप्रैल से सभी आयातित वस्तुओं पर 10% और 9 अप्रैल से 26% तक का शुल्क लागू होगा।
झींगा निर्यात पर पड़ेगा असर
भारत के कुल झींगा निर्यात का 40% हिस्सा अमेरिका जाता है। अमेरिका पहले से ही भारतीय झींगा पर डंपिंग-रोधी शुल्क लगा चुका है। अब नया शुल्क लगने से यह उत्पाद अमेरिकी बाजार में और भी महंगा हो जाएगा, जिससे कंपिटिशन में गिरावट आएगी।
2023-24 में भारत से कुल 7.16 लाख टन जमी हुई झींगा मछली निर्यात की गई, जिसमें से करीब 2.97 लाख टन अमेरिका को भेजी गई। अमेरिका, भारत के सीफूड का सबसे बड़ा आयातक है और इसने 2.55 अरब डॉलर मूल्य की झींगा मछली खरीदी।
कालीन और ज्वैलरी एरिया पर भी असर
भारत से अमेरिका को कालीन निर्यात करीब 2 अरब डॉलर का होता है। साथ ही, भारत के रत्न और ज्वैलरी निर्यात का 30% हिस्सा (करीब 10 अरब डॉलर) भी अमेरिका को जाता है।
सोने के गहने पर 5.5-7% और लूज हीरे पर 20% तक का नया शुल्क लग सकता है। इस पर कामा ज्वेलरी के एमडी कोलिन शाह ने कहा कि यह भारत के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि अमेरिका सबसे बड़ा ज्वैलरी मार्केट है।
मेडिकल इक्विपमेंट पर भी असर
वित्त वर्ष 2023-24 में भारत से अमेरिका को 714.38 मिलियन डॉलर के मेडिकल डिवाइस निर्यात हुए थे, जबकि भारत ने अमेरिका से 1.52 अरब डॉलर के इक्विपमेंट मंगवाए। नए शुल्क के कारण इस एरिया की बढ़ोतरी को चुनौतियां मिल सकती हैं।
कपड़ा, फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक्स एरिया को इस नीति में थोड़ी राहत मिली है। फार्मा एरिया को शुल्क से पूरी तरह छूट मिली है। भारत से अमेरिका को फार्मा निर्यात 2023-24 में 27.84 अरब डॉलर का रहा। फार्मेक्सिल के चेयरमैन नमित जोशी ने कहा कि यह फैसला जरूरी दवाओं की आपूर्ति बनाए रखने में मदद करेगा।
इसी तरह, अपैरेल एरिया को भी अमेरिका के नए शुल्क से फायदा हो सकता है, क्योंकि भारत के प्रतिस्पर्धी देश जैसे चीन, वियतनाम और बांग्लादेश पर भी भारी शुल्क लगाया गया है। AEPC के अनुसार, 2024 में भारत से अमेरिका को अपैरेल निर्यात 5.2 अरब डॉलर का रहा। इलेक्ट्रॉनिक्स एरिया में भी भारत को फायदा हो सकता है, क्योंकि अमेरिका को कुल 30 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में 33% हिस्सा अमेरिका का रहा।