जब आप किसी के लोन के गारंटर बनते हैं, तो इसका मतलब है कि यदि उधारकर्ता लोन नहीं चुका पाता, तो आपको उसकी पूरी जिम्मेदारी लेनी होगी। आमतौर पर परिवार या भरोसेमंद दोस्त इस भूमिका में होते हैं, लेकिन बैंक यह भी जांचता है कि गारंटर लोन चुकाने में सक्षम है या नहीं।
गारंटर बनने के बाद यदि लोन की ईएमआई समय पर नहीं भरी जाती, तो आपका क्रेडिट स्कोर भी प्रभावित हो सकता है। बैंक गारंटर से लोन की रिकवरी के लिए संपर्क कर सकता है, और कानूनी कार्रवाई भी कर सकता है। कभी-कभी गारंटर की संपत्ति या आय पर भी कार्रवाई हो सकती है।
गारंटर का नाम हटाना आसान नहीं होता, लेकिन निम्न उपाय हैं:
- बैंक से बात करें और स्थिति स्पष्ट करते हुए नया गारंटर लाने का अनुरोध करें।
- उधारकर्ता से कहें कि वह नया गारंटर लेकर आए।
- कानूनी सलाह लेकर केस आधारित हल निकालें।
- लोन का पुनर्वित्त करवाकर भी नाम हटाया जा सकता है।
भारत के अनुबंध अधिनियम, 1872 की धारा 128 के अनुसार, गारंटर की जिम्मेदारी मूल ऋणी के बराबर होती है। इसका मतलब है कि गारंटर पर अनुबंध के अनुसार कर्ज चुकाने का पूरा दायित्व है। किसी भी असफलता की स्थिति में बैंक, गारंटर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकता है और उसकी संपत्ति को भी जब्त कर सकता है।
गारंटर बनने से पहले सावधानीपूर्वक निर्णय लें। यदि लोन लेने वाला व्यक्ति समय पर कर्ज चुकाता है तो आपका क्रेडिट स्कोर सुरक्षित रहता है, वरना आपको भी भुगतान करना पड़ सकता है। गारंटर बनने से पहले व्यक्ति की आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन करना आवश्यक है।