वित्त मंत्री संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक को पारित कराने के लिए पेश करेंगी। यह सत्र आज, सोमवार, 25 नवंबर से शुरू हो रहा है। सरकार का लक्ष्य आज ही लोकसभा में विधेयक पारित कराना है, हालांकि यह संसदीय कार्यवाही पर निर्भर करेगा। पिछले मानसून सत्र में पेश इस विधेयक का उद्देश्य जमाकर्ताओं के लिए सेवाएं बढ़ाना और निवेशकों को अनक्लेम्ड फंड तक पहुंच प्रदान करना है।
बैंक खातों के लिए नॉमिनी की सीमा में बढ़त
इस विधेयक में प्रति बैंक खाते के लिए नॉमिनी की संख्या को मौजूदा एक से बढ़ाकर चार करने का प्रस्ताव है। जानकारों का मानना है कि इससे जमाकर्ताओं, बैंक लॉकर धारकों और उनके नॉमिनी को फायदा होगा।
अनक्लेम्ड फंड का ट्रांसफर
यह संसोधन अनक्लेम्ड डिविडेंड, शेयर और बांड के ब्याज या रिडेम्पशन आय को निवेशक एजूकेशन और संरक्षण कोष (IEPF) में स्थानांतरित करने की सुविधा प्रदान करता है। निवेशकों के हितों की बेहतर सुरक्षा के लिए व्यक्तियों को IEPF से ट्रांसफर या रिफंड का दावा करने की मंजूरी दी जाएगी।
"पर्याप्त ब्याज" की पुनर्परिभाषा
व्यक्तियों के लिए "पर्याप्त ब्याज" की परिभाषा को संशोधित किया जाएगा, जिसकी सीमा ₹5 लाख (1968 में निर्धारित) से बढ़ाकर ₹2 करोड़ कर दी जाएगी।
बैंकों के लिए रिवाइज्ड रिपोर्टिंग की समय-सीमा
इस विधेयक में बैंकों द्वारा RBI को वैधानिक प्रस्तुतियां देने की रिपोर्टिंग तिथियों में बदलाव का प्रस्ताव है। अब ये रिपोर्टे पखवाड़े, महीने या तिमाही के अंतिम दिन देनी होंगी। इससे वर्तमान की शुक्रवार की समय-सीमा बदल जाएगी। इस बदलाव का उद्देश्य सभी बैंकों में रिपोर्टिंग समय-सीमा को मानकीकृत करना है।
ऑडिटर के पारिश्रमिक में स्वतंत्रता
संशोधनों से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को ऑडिटर के पारिश्रमिक पर निर्णय लेने की स्वायत्तता मिलेगी। इस लचीलेपन से बैंकों को शीर्ष प्रतिभाओं को नियुक्त करने की सहूलियत मिलेगी। इससे ऑडिट की गुणवत्ता में सुधार होने की उम्मीद है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने वित्त वर्ष 2024 के बजट भाषण में कहा था कि बैंक प्रशासन में सुधार और निवेशकों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए, बैंकिंग विनियमन अधिनियम, बैंकिंग कंपनी अधिनियम और भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम में कुछ संशोधन प्रस्तावित हैं।