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एक्सपर्ट्स को भरोसा, करेंसी मार्केट में लॉन्ग टर्म निवेश के लिए बेहतर विकल्प हो सकता है रुपया

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, फिक्स्ड इनकम इनवेस्टर्स भारत में ट्रेडिंग के लिए स्थिर माहौल की तलाश में हैं और जो लोग यह मानते हैं कि डॉलर भी कमजोर हो सकता है, उनके लिए रुपये में लॉन्ग टर्म दांव लगाना सबसे सीधा रास्ता है। ट्रेडर ज्यादा वॉल्यूम चाहते हैं। यहां तक कि इनवेस्टर्स इस बात के लिए लंबा इंतजार करने को तैयार हैं कि रिजर्व बैंक रुपये को थोड़ा ढीला छोड़े...

MoneyControl Newsअपडेटेड Jul 12, 2023 पर 3:21 PM
एक्सपर्ट्स को भरोसा, करेंसी मार्केट में लॉन्ग टर्म निवेश के लिए बेहतर विकल्प हो सकता है रुपया
डॉलर के मुकाबले रुपया जून में 2005 के बाद सबसे कमजोर स्तर पर पहुंच गया।

इस साल तमाम देशों की करेंसी में अस्थिरता का दौर है। रुपया भी लगातार कमजोर हो रहा है। ऐसे में लंदन से सिंगापुर तक के करेंसी ट्रेडर्स की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि रिजर्व बैंक कब रुपये को लेकर अपनी नीतियों में थोड़ी ढील देगा। पिछले एक महीने में डॉलर के मुकाबले रुपये में काफी कमजोरी देखने को मिली है। डॉलर के मुकाबले रुपया जून में 2005 के बाद गिरावट के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया।

ऐसे में निवेशकों के मन में रुपये को लेकर कई सवाल हैं। ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि रिजर्व बैंक (RBI) ने रुपये पर कंट्रोल बनाए रखा है। रिजर्व बैंक इस साल पहले ही अपने खजाने में 32 अरब डॉलर जोड़ चुका है। केंद्रीय बैंक ने रुपये को स्थिरता प्रदान करने के लिए काफी हद तक फॉरेन फंड को बनाए रखा है। साथ ही, इस साल के पहले चार महीनों में RBI के डॉलर फॉरवर्ड बुक में तकरीबन 10 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है। ब्रोकरेज हाउस सिटीग्रुप के मुताबिक, रुपये को स्थिर बनाने के लिए रिजर्व बैंक की कोशिशों का मकसद इंटरनेशनल ट्रेड करेंसी के तौर पर इसकी स्वीकार्यता बढ़ाना है।

ICICI सिक्योरिटीज प्राइमरी डीलरशिप के अर्थशास्त्री अभिषेक उपाध्याय ने बताया, 'फिक्स्ड इनकम इनवेस्टर्स भारत में ट्रेडिंग के लिए स्थिर माहौल की तलाश में हैं और जो लोग यह मानते हैं कि डॉलर भी कमजोर हो सकता है, उनके लिए रुपये में लॉन्ग टर्म दांव लगाना सबसे सीधा रास्ता है। ट्रेडर ज्यादा वॉल्यूम चाहते हैं। यहां तक कि इनवेस्टर्स इस बात के लिए लंबा इंतजार करने को तैयार हैं कि रिजर्व बैंक रुपये को थोड़ा ढीला छोड़े।'

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इस साल रुपये में मजबूती नहीं के बराबर रही है, जबकि इसकी प्रतिद्वंद्वी इंडोनेशियाई मुद्रा में 3 पर्सेंट तक की मजबूती आई है। रिजर्व बैंक का कहना है कि रुपये की अस्थिरता को रोकने के लिए वह हस्तक्षेप करता है। डॉलर के मुकाबले रुपया 12 जुलाई को 0.1 की मजबूती के साथ 82.30 के स्तर पर कारोबार कर रहा था।

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