बच्चा आने की खबर जितनी खुशियां लेकर आती है, उतनी ही नई जिम्मेदारियां भी साथ लाता है। कपड़े, खिलौने और स्कूल की प्लानिंग तो सभी करते हैं, लेकिन अक्सर एक सबसे अहम सवाल पीछे छूट जाता है कि फंड्स कैसे तैयार करें। बढ़ते मेडिकल खर्च, काम से ब्रेक, चाइल्डकेयर और भविष्य की सेविंग्स… ये सब एक साथ बजट पर दबाव डालते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर कपल्स बच्चे के जन्म से पहले ही पैसों को लेकर खुलकर और ईमानदारी से बात कर लें, तो न सिर्फ तनाव कम होता है, बल्कि रिश्ते और फैसले दोनों ज्यादा मजबूत बनते हैं। जानिए वो जरूरी फाइनेंशियल बातचीत, जो हर होने वाले माता-पिता को समय रहते कर लेनी चाहिए।
1. घर का पूरा बजट सामने रखें
सबसे पहले दोनों पार्टनर अपनी पूरी फाइनेंशियल तस्वीर सामने रखें। इसमें इनकम, लोन, क्रेडिट कार्ड का बकाया, महीने के फिक्स खर्च, कभी-कभार आने वाले खर्च और माता-पिता या भाई-बहन की कोई जिम्मेदारी शामिल होनी चाहिए। मकसद किसी को जज करना नहीं, बल्कि यह समझना है कि पैसा कहां जा रहा है। कई कपल्स यह कदम छोड़ देते हैं और बाद में खर्च बढ़ने पर तनाव बढ़ जाता है। एक आसान तरीका है कि हर महीने एक तय मनी मीटिंग रखें, जहां दोनों एक ही बजट शीट देखकर बात करें।
2. इमरजेंसी और इनकम रुकने की तैयारी
बच्चे के साथ मेडिकल खर्च, ट्रैवल और अचानक इनकम रुकने जैसी स्थितियां आ सकती हैं। इसलिए यह तय करना जरूरी है कि इमरजेंसी फंड कितना होना चाहिए, कहां रखा जाए और किन हालात में इस्तेमाल होगा। फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इमरजेंसी फंड रोजाना के खर्च से अलग होना चाहिए, ताकि वह धीरे-धीरे खत्म न हो जाए। साथ ही यह भी तय करें कि अगर फंड इस्तेमाल हो जाए, तो उसे दोबारा कैसे बनाया जाएगा।
हेल्थ इंश्योरेंस में मैटरनिटी और न्यूबॉर्न कवरेज है या नहीं, यह जरूर चेक करें। साथ ही लाइफ और डिसेबिलिटी इंश्योरेंस पर बात करें। अगर कल से एक की इनकम बंद हो जाए तो घर कैसे चलेगा? इसके अलावा, नॉमिनी और बेनिफिशियरी की जानकारी अपडेट करना भी जरूरी है, क्योंकि पुरानी डिटेल्स बाद में बड़ी परेशानी बन सकती हैं।
4. चाइल्डकेयर और काम का मॉडल
बच्चा सिर्फ खर्च नहीं, बल्कि पूरी लॉजिस्टिक प्लानिंग है। डे-केयर, नैनी, बैक-अप केयर और ऑफिस के काम में बदलाव—सब पर पहले से बात करें। अगर पहली योजना फेल हो जाए तो दूसरा ऑप्शन क्या होगा, यह तय होना चाहिए।
घर, बच्चे की पढ़ाई, रिटायरमेंट और फैमिली सपोर्ट सब एक ही पैसों से पूरे होने हैं। इसलिए यह तय करना जरूरी है कि प्राथमिकता क्या होगी। कई कपल्स पहले एक मिनिमम मंथली इन्वेस्टमेंट तय करते हैं और बाकी प्लान उसके आसपास बनाते हैं।