Property: अपना घर होना हर भारतीय का सबसे बड़ा सपना माना जाता है। घर मतलब सुरक्षा, सेफ्टी और अपना छोटा-सा संसार.. लेकिन अब यह सपना पूरा करना पहाड़ चढ़ने जैसा हो गया है। प्रॉपर्टी एडवाइजरी फर्म Anarock की रिपोर्ट के मुताबिक कि 10 में से 8 भारतीय मानते हैं कि घर खरीदना अब बेहद मुश्किल हो गया है। सर्वे के मुताबिक 81% लोगों को लगता है कि घर लेना उनकी पहुंच से बाहर होता जा रहा है। वजह है लगातार बढ़ती प्रॉपर्टी की कीमतें। पहले लगता था कि सिर्फ बड़े शहरों जैसे मुंबई, दिल्ली या बेंगलुरु में ही घर महंगे हैं, लेकिन अब टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी दाम आसमान छूने लगे हैं।
रिपोर्ट में बताया गया कि सात बड़े शहरों में घरों की कीमतों में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। 2023 की दूसरी तिमाही में औसत दर 6,001 रुपये प्रति स्क्वायर फुट थी, जो 2025 की दूसरी तिमाही में 8,999 रुपये तक पहुंच गई। यानी महज दो साल में 50% का उछाल।
सर्वे में शामिल 62% लोगों ने कहा कि उन्हें सस्ती हाउसिंग मिल ही नहीं रहे। वहीं, 92% लोगों को प्रोजेक्ट की लोकेशन सबसे बड़ी दिक्कत लग रही है। इसका मतलब साफ है कि या तो घर बहुत महंगे हैं, या फिर दूर-दराज के इलाकों में हैं जहां रहना आसान नहीं।
Anarock के चेयरमैन अनुज पुरी ने बताया कि मुंबई जैसे बड़े शहरों में लोगों की चिंता सबसे ज्यादा है। यहां घरों की कीमतें सबसे तेजी से बढ़ी हैं। दिलचस्प बात यह है कि 39% लोग सीधे-सीधे दाम को सबसे बड़ी समस्या मानते हैं, जबकि 61% लोगों की टेंशन लोकेशन और प्रोजेक्ट से जुड़ी है। यानी उन्हें लगता है कि दाम तो ऊंचे हैं ही, लेकिन सही जगह पर घर मिलना और मुश्किल हो गया है।
सर्वे से एक और अहम बात सामने आई है। अब लोग 90 लाख से 1.5 करोड़ रुपये तक के घरों को ज्यादा देख रहे हैं। 36% लोगों ने यही बजट बताया। करीब 25% लोग 45 लाख से 90 लाख रुपये वाले घरों की तलाश में हैं।
इसके उलट, 45 लाख रुपये से कम कीमत वाले घरों की डिमांड तेजी से गिरी है। 2020 की पहली छमाही में 40% लोग इस बजट में घर चाहते थे, लेकिन 2025 में यह आंकड़ा घटकर सिर्फ 17% रह गया है।
कीमतें आसमान छू रही हैं, लेकिन लोग बड़े घर चाहते हैं। करीब 45% लोगों ने 3BHK फ्लैट्स को अपनी पहली पसंद बताया। छोटे घरों के मुकाबले बड़े घरों की मांग लगातार बनी हुई है। अनुज पुरी ने यह भी बताया कि देश के टॉप-7 शहरों में नए घरों की सप्लाई पिछले दो साल में घट गई है। 2023 की पहली छमाही में जहां 18% घर उपलब्ध थे, वहीं 2025 की पहली छमाही में यह घटकर सिर्फ 12% रह गया है।