बेंगलुरु के एक व्यक्ति के केस ने टैक्सपेयर्स को बड़ा सबक दिया है। अगर आप महंगी ज्वेलरी खरीदते हैं, तो सिर्फ पेमेंट करना काफी नहीं, बल्कि बिल और डॉक्यूमेंट संभालकर रखना भी जरूरी है। इनकमट टैक्स अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) ने हाल ही में 1.65 करोड़ रुपये की ज्वेलरी से जुड़े एक मामले में टैक्सपेयर के पक्ष में फैसला दिया है, जिसने यह साफ कर दिया कि सही डॉक्यूमेंटेशन न होने पर टैक्स विभाग मुश्किल खड़ी कर सकता है।
ये मामला 2019 का है जब इनकम टैक्स विभाग ने बेंगलुरु निवासी सुरेश (नाम बदला हुआ) के घर छापा मारा था। तलाशी के दौरान विभाग ने सोने और चांदी के जेवरात जब्त किए जिनकी कीमत करीब 1.65 करोड़ रुपये थी। विभाग का कहना था कि इन जेवरों के डॉक्यूमेंट सही नहीं थे, इसलिए इन्हें अस्पष्ट निवेश यानी Unexplained Investment माना गया।
सुरेश ने दावा किया कि यह ज्वेलरी उनकी पत्नी की है और उसने इन्हें बैंकिंग चैनल यानी क्रेडिट कार्ड और ऑनलाइन पेमेंट से खरीदा है। लेकिन जांच में पाया गया कि जो बिल उन्होंने दिखाए, वे जब्त की गई ज्वेलरी से मेल नहीं खा रहे थे। इसके बाद विभाग ने इसे सुरेश की इनकम में जोड़कर टैक्स वसूली के प्रोसेस को शुरू कर दिया।
सुरेश ने इस फैसले के खिलाफ अपील की और इनकम टैक्स आयुक्त ने उन्हें राहत दी। विभाग ने फिर मामला ITAT में ले जाया। वहां जांच के बाद न्यायाधिकरण ने कहा कि संबंधित ज्वेलरी पहले से ही सुरेश की पत्नी के इनकम टैक्स रिटर्न में दर्ज थी, इसलिए उसे दोबारा टैक्स करना गलत है।
ITAT ने कहा कि एक ही संपत्ति पर दो बार टैक्स लगाना अनुचित है। यह फैसला न सिर्फ सुरेश के लिए राहत लेकर आया, बल्कि उन कई टैक्सपेयर्स के लिए भी मिसाल है जो ऐसी ही परेशानी का सामना कर रहे हैं।
चार्टर्ड अकाउंटेंट सुरेश सुराना ने कहा कि महंगे गहनों या किसी भी कीमती चीज की खरीद पर हमेशा सही बिल, रसीद और पेमेंट का सबूत संभालकर रखना चाहिए। इससे भविष्य में टैक्स विभाग से कोई विवाद नहीं होगा और आपकी खरीदारी पूरी तरह वैलिड मानी जाएगी।