CAIT ने 2025 में दीवाली 20 अक्टूबर को मनाने की सलाह दी है, ताकि देशभर में इस त्योहार को शास्त्रों और ज्योतिषीय गणना के अनुसार उचित समय पर मनाया जाए। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य आचार्य दुर्गेश तारे के मुताबिक, अमावस्या की प्रदोष व्यापिनी तिथि इस साल 20 अक्टूबर को है, जो दीवाली मनाने के लिए सबसे शुभ मानी जाती है।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के राष्ट्रीय महामंत्री और चांदनी चौक सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि दीवाली धार्मिक ही नहीं बल्कि व्यापारिक दृष्टि से भी भारत का महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन नए लेखा वर्ष की शुरुआत होती है और सभी व्यापारी मां लक्ष्मी-गणेश की पूजा कर समृद्धि की कामना करते हैं। इसलिए सही तिथि का निर्धारण जरूरी है। उन्होंने बताया कि 21 अक्टूबर को अमावस्या का प्रभाव केवल कुछ क्षणों के लिए रहेगा, इसलिए उसी दिन दीवाली मनाना सही नहीं है।
आचार्य तारे ने यह भी कहा कि जो अमावस्या प्रदोष और अर्धरात्रि दोनों काल में व्याप्त हो, वही मुख्य अमावस्या होती है। इस साल यह तिथि 20 अक्टूबर की रात पूरी तरह से लागू होती है, इसलिए कैट ने देशभर के व्यापारियों को 20 अक्टूबर को ही दीपावली मनाने की सलाह दी है। साथ ही उन्होंने त्योहार के अन्य कार्यक्रमों जैसे धनतेरस, नरक चतुर्दशी, गोवर्धन पूजा और भाई दूज की तिथियां भी निर्धारित की हैं।
इस निर्णय का फायदा न केवल धार्मिक अनुयायियों को होगा बल्कि व्यापारिक समुदाय को भी मिलेगा, क्योंकि दीवाली के दिन नए लेखा वर्ष की शुरुआत से व्यापार में वृद्धि होती है। व्यापारी इस पर्व को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं और माता लक्ष्मी-गणेश की पूजा कर अच्छे वित्तीय वर्ष की कामना करते हैं।
इस प्रकार, कैट की सलाह के अनुसार 2025 में दिवाली 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी, जिससे बाजार, व्यापार और परिवार के बीच एक सामंजस्य स्थापित होगा और त्योहार अपनी पारंपरिक और आध्यात्मिक भावना के साथ मनाया जाएगा।