कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्ट की 13 अक्टूबर को हुई मीटिंग में कई बड़े फैसले लिए गए। कुछ नियमों में छूट दी गई तो कुछ को थोड़ा कड़ा किया गया है। सबसे ज्यादा चर्चा और कंसर्न जिन फैसलों को लेकर है, वे हैं EPF से पूरा पैसा निकालने के लिए बढ़ाई गई अवधि और एक निश्चित मिनिमम बैलेंस हर वक्त रखने का नियम। सबसे पहले बात करते हैं उन नियमों की जिनमें ढील दी गई है।
EPFO के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्ट (CBT) ने सदस्यों को आंशिक निकासी यानि कि कुछ हद तक पैसा निकालने के नियमों में बड़ी छूट दी है। पात्र राशि के 100 प्रतिशत तक के विदड्रॉल को मंजूरी दे दी गई है। श्रम मंत्रालय ने बयान में कहा है कि अब EPFO सब्सक्राइबर अपने प्रोविडेंट फंड में एंप्लॉयी और एंप्लॉयर के हिस्से सहित पात्र बैलेंस का 100 प्रतिशत तक आंशिक निकासी के तहत निकाल सकेंगे। इसके अलावा सभी तरह की आंशिक निकासी के लिए मिनिमम सर्विस की अवधि को घटाकर 12 महीने कर दिया गया है।
विशेष परिस्थितियों में विदड्रॉल के लिए अब कारण बताने की जरूरत नहीं
इसके साथ ही आंशिक निकासी के जटिल 13 प्रावधानों को आसान बनाने हुए अब 3 कैटेगरी बनाई गई हैं। ये कैटेगरी हैं- आवश्यक जरूरतें जैसे कि बीमारी, शिक्षा, शादी; आवासीय जरूरतें और विशेष परिस्थितियां। शिक्षा के लिए अब EPFO सब्सक्राइबर 10 बार और शादी के मामले में 5 बार अपना EPF निकाल सकेंगे। अभी तक दोनों ही मामलों में केवल 3 बार ऐसा किया जा सकता था। विशेष परिस्थितियों में पैसे निकालने के लिए अब कारण बताने की भी जरूरत नहीं होगी। पहले कारण स्पष्ट करने होते थे, जैसे प्राकृतिक आपदा, एस्टेबिलिशमेंट या कंपनी का बंद होना, निरंतर बेरोजगारी, महामारी का प्रकोप आदि। इसके कारण अक्सर दावे खारिज हो जाते थे।
लेकिन अब कभी खाली नहीं रख सकेंगे EPF अकाउंट
EPFO ने यह भी तय किया है कि मेंबर्स को अपने कॉन्ट्रीब्यूशन अमाउंट का 25 प्रतिशत हमेशा मिनिमम बैलेंस के तौर पर EPF अकाउंट में बनाए रखना होगा। इससे रिटायरमेंट फंड जुट सकेगा। तय ब्याज मिलना जारी रहेगा। यह मिनिमम बैलेंस EPF खाते में हर वक्त बरकरार रहना चाहिए।
पूरा पैसा और पेंशन निकालने के लिए अब कितना करना होगा इंतजार
EPFO ने अब तय किया है कि अगर एंप्लॉयी या EPFO मेंबर बेरोजगारी की स्थिति में मैच्योरिटी से पहले EPF का पूरा पैसा निकालना चाहता है तो उसके बेरोजगार होने और पैसा निकालने के बीच की अवधि अब 12 महीने होनी चाहिए। यानि कि वह 12 महीने बाद ही फुल विदड्रॉल कर पाएगा। पहले यह अवधि 2 महीने थी। इसी तरह पूरी पेंशन निकालने के मामले में भी व्यक्ति को अब 2 महीने की बजाय 36 महीने का इंतजार करना होगा। EPFO CBT की मीटिंग की अध्यक्षता केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने की।
EPFO के CBT ने ‘विश्वास योजना’ भी लागू करने का फैसला किया है। इसका मकसद EPF कॉन्ट्रीब्यूशन में देरी पर लगने वाली पेनल्टी को कम करना और पेंडिंग मुकदमों को खत्म करना है। विश्वास योजना के तहत, पेनल्टी की दर को 1 प्रतिशत प्रति माह तक सीमित कर दिया गया है। यह योजना छह महीने के लिए लागू होगी और जरूरत पड़ने पर छह महीने के लिए आगे बढ़ाई जा सकती है।
इसके अलावा ‘इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक’ के साथ एक समझौता भी किया गया है। इसके तहत अब कर्मचारी पेंशन योजना, 1995 (ईपीएस-95) के पेंशनहोल्डर्स को घर पर ही डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट जारी किया जा सकेगा। हर सर्टिफिकेट के लिए फीस 50 रुपये होगी, जिसका बोझ EPFO उठाएगा।
EPF रिटर्न भरने की डेडलाइन बढ़ी
EPFO ने सितंबर महीने के लिए EPF रिटर्न या ECR (इलेक्ट्रॉनिक चालान-कम-रिटर्न) दाखिल करने की डेडलाइन एक सप्ताह बढ़ाकर 22 अक्टूबर, 2025 तक कर दी है। श्रम मंत्रालय के एक बयान में कहा कि एंप्लॉयर्स के लिए हर महीने की 15 तारीख तक ईसीआर जमा करना अनिवार्य है। ईपीएफओ ने एक संशोधित ECR प्रणाली शुरू की है, जो सितंबर, 2025 वेतन माह से लागू होगी। इसे अपनाने में आ रही कठिनाइयों को देखते हुए सितंबर वेतन माह के लिए ECR दाखिल करने की तारीख 22 अक्टूबर, 2025 तक बढ़ाने का फैसला लिया गया है।