Adultery Law: विवाहेत्तर संबंध के बारे में क्या कहता है कानून, पत्नी को मिलेगा गुजारा भत्ता और पति की प्रॉपर्टी में हक?

Coldplay Gate स्कैंडल से विवाहेत्तर संबंधों की वैधता और भारतीय कानून में एलिमनी और संपत्ति बंटवारे पर बहस तेज हुई है। बेवफाई से तलाक, एलिमनी और पत्नी के अधिकार कैसे प्रभावित होते हैं, एक्सपर्ट से जानिए विस्तार से।

अपडेटेड Jul 21, 2025 पर 3:29 PM
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भारत में अदालतें आमतौर पर पति की इनकम का 25% से 33% तक एलिमनी तय करती हैं।

Coldplay Gate Scandal: यूनिकॉर्न टेक कंपनी एस्ट्रोनॉमर (Astronomer) के CEO एंडी बायरन (Andy Byron)  और उनकी HR प्रमुख क्रिस्टीन कैबोट (Kristin Cabot) बीते सप्ताह एक कॉन्सर्ट के दौरान वायरल हुए 'किस कैम' मोमेंट के चलते कंट्रोवर्सी में आ गए हैं। यह वीडियो कोल्डप्ले के जुलाई 2025 कॉन्सर्ट का है, जहां दोनों को कैमरे पर एक-दूसरे के करीब देखा गया।

सोशल मीडिया पर मामला तब और गर्माया, जब बायरन की पत्नी मेगन केरिगन (Megan Kerrigan) ने अपने फेसबुक प्रोफाइल से 'Byron' सरनेम हटा दिया। हालांकि, एंडी बायरन और मेगन ने अपने रिश्ते पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन, इस छोटे से बदलाव ने रिश्ते में दरार और संभावित अलगाव की अटकलों को हवा दे दी है।

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इंटरनेट पर यह विवाद #Coldplaygate के नाम से ट्रेंड कर रहा है। लेकिन इस चर्चा का एक गंभीर पहलू यह भी है कि इसने भारत में बेवफाई, तलाक और एलिमनी यानी गुजारा-भत्ता से जुड़े कानूनों पर बहस को फिर से तेज कर दिया है।

भारतीय कानून बेवफाई और एलिमनी को कैसे देखता है?

भारत में अंतरिम या स्थायी एलिमनी देने का आधार मुख्य रूप से हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 24 और 25 पर टिका है। इसके अतिरिक्त, विशेष विवाह अधिनियम, पारसी विवाह और तलाक अधिनियम और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 की धारा 144 में भी समान प्रावधान हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने साल 2018 में Joseph Shine बनाम भारत संघ मामले में विवाहेत्तर संबंध (Adultery) को आपराधिक श्रेणी से हटा दिया था। हालांकि, सिविल कानून में यह अब भी तलाक का वैध आधार है। अदालत एलिमनी की रकम तय करते वक्त इसे गंभीरता से लेती है।

बेवफाई से कैसे तय होती है एलिमनी की रकम?

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता तुषार कुमार बताते हैं, 'बेवफाई अब भी सिविल मामलों में निर्णायक साबित हो सकती है। अगर पति की बेवफाई के आधार पर तलाक होता है, तो कोर्ट एलिमनी तय करते वक्त आमतौर पर पत्नी के पक्ष में नरमी बरतता है।'

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हालांकि कानून में कोई निर्धारित प्रतिशत नहीं है, पर भारतीय अदालतें आम तौर पर पति की शुद्ध मासिक आय का 25% से 33% तक एलिमनी तय करती हैं। अगर शादी लंबी चली हो, बच्चे हों या पति का व्यवहार बहुत आपत्तिजनक रहा हो, तो यह रकम बढ़ भी सकती है।

संपत्ति का बंटवारा: क्या नैतिकता मायने रखती है?

पश्चिमी देशों में 'community property' मॉडल है यानी तलाक के बाद संपत्ति का अपनेआप 50:50 बंटवारा होता है। लेकिन, भारत में संपत्ति का बंटवारा मालिकाना हक और आर्थिक योगदान के आधार पर होता है।

तुषार कुमार कहते हैं, 'बेवफाई जैसी नैतिक बातों से अलग कोर्ट यह देखता है कि किसने संपत्ति में कितना योगदान दिया। अगर कोई संपत्ति संयुक्त रूप से खरीदी गई हो या पत्नी का उसमें सीधा योगदान हो, तभी उसे उसका हिस्सा मिल सकता है।'

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क्या बेवफाई तलाक से जुड़ी शर्तों को प्रभावित कर सकती है?

अगर सीधे और साफ लफ्जों में कहा जाए, तो हां कर सकती है। Accord Juris में मैनेजिंग पार्टनर अलय रजवी (Alay Razvi) कहते हैं, 'संपत्ति तो मालिकाना हक के आधार पर बंटती है, लेकिन आचरण का असर एलिमनी पर साफ दिखता है। अगर पति दोषी हो, तो कोर्ट पत्नी के पक्ष में ज्यादा उदार हो सकता है। वहीं अगर पत्नी बेवफाई की दोषी साबित हो जाए, तो वह स्थायी एलिमनी से हाथ धो सकती है।”

इसलिए भले ही नैतिकता संपत्ति के बंटवारे में निर्णायक न हो, लेकिन एलिमनी पर इसका स्पष्ट प्रभाव पड़ सकता है।

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क्या बेवफा पत्नी एलिमनी की हकदार नहीं होती?

इस बात की काफी हद तक संभावना रहती है, लेकिन इसके लिए सबूत जरूरी हैं। रजवी बताते हैं, 'हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 25(3) के तहत अगर पत्नी 'विवाहेत्तर संबंध' में लिप्त पाई जाती है, तो कोर्ट स्थायी एलिमनी दिलाने से मना कर सकता है या पहले दी गई रकम वापस लेने का आदेश दे सकता है।”

हालांकि, इस तरह का फैसला तभी लिया जा सकता है, जब पति ठोस सबूत और गवाह पेश करे। सिर्फ अफवाह या शक से कुछ नहीं होता। अगर पत्नी आर्थिक रूप से असहाय है, तो धारा 24 के तहत अंतरिम एलिमनी मिल सकती है, लेकिन स्थायी एलिमनी विवाहेत्तर संबंध साबित होने पर खत्म की जा सकती है।

तुषार कुमार स्पष्ट करते हैं, 'जो पक्ष बेवफाई का आरोप लगा रहा है, उसी पर इसे साबित करने की जिम्मेदारी होती है। सबूत को ‘preponderance of probabilities’ यानी न्यायिक रूप से स्वीकार्य संभावना के स्तर पर खरा उतरना चाहिए। तभी कोर्ट उस आधार पर एलिमनी रद्द कर सकता है।'

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Suneel Kumar

Suneel Kumar

First Published: Jul 21, 2025 3:24 PM

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