लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी पर टैक्स के नियमों पर सीबीडीटी के सर्कुलर का आप पर पड़ेगा क्या असर?
फाइनेंस एक्ट, 2023 में कहा गया है कि लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी से मिले बोनस, मैच्योरिटी अमाउंट या सरेंडर वैल्यू को टैक्स के दायरे में लाया गया है। यह नियम 1 अप्रैल, 2023 को या उसके बाद जारी की गई पॉलिसी पर लागू होगा। टैक्स के दायरे में वही पॉलिसीज आएंगी, जिनका प्रीमियम पॉलिसी की अवधि में सालाना 5 लाख रुपये से ज्यादा होगा
CBDT ने इस मामले में स्थिति स्पष्ट करने के लिए 16 अगस्त को सर्कुलर जारी किया था। इसमें लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसीज से मिलने वाले अमाउंट पर टैक्स के नियमों के बारे में विस्तार से बताया गया है।
इस साल पेश बजट में लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी (Life Insurance Policy) से मिलने वाले अमाउंट पर टैक्स के नियमों में बदलाव किया गया था। पहले इस पैसे को टैक्स से छूट हासिल थी। फाइनेंस एक्ट, 2023 में कहा गया है कि लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी से मिले बोनस, मैच्योरिटी अमाउंट या सरेंडर वैल्यू को टैक्स के दायरे में लाया गया है। यह नियम 1 अप्रैल, 2023 को या उसके बाद जारी की गई पॉलिसी पर लागू होगा। टैक्स के दायरे में वही पॉलिसीज आएंगी, जिनका प्रीमियम पॉलिसी की अवधि में सालाना 5 लाख रुपये से ज्यादा होगा। CBDT ने इस मामले में स्थिति स्पष्ट करने के लिए 16 अगस्त को सर्कुलर जारी किया था। इसमें लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसीज से मिलने वाले अमाउंट पर टैक्स के नियमों के बारे में विस्तार से बताया गया है।
16 अगस्त को जारी सर्कुलर के मुताबिक, 1 अप्रैल, 2023 को या इसके बाद जारी पॉलिसीज को एलिजिबल (eligible) पॉलिसीज के रूप में क्लासिफायड किया गया है। एलिजिबल पॉलिसीज के बारे में सर्कुलर में जो स्पष्टीकरण दिए गए हैं, उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
1. लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी से मिला अमाउंट टैक्स के दायरे में आएगा अगर पॉलिसी का सालाना प्रीमियम 5 लाख लाख रुपये से ज्यादा है
2. अगर व्यक्ति के पास एक से ज्यादा पॉलिसीज हैं तो सिर्फ उस पॉलिसी से मिला अमाउंट टैक्स के दायरे में नहीं आएगा, जिसका प्रीमियम सालाना 5 लाख रुपये से कम होगा। टैक्स से यह छूट सेक्शन 10(10D) के तहत मिलेगी
3. अगर व्यक्ति के पास एक से ज्यादा पॉलिसीज हैं और व्यक्ति ने मैच्योरिटी पर किसी पार्टिकुलर पॉलिसी पर सेक्शन 10(10डी) के तहत एग्जेम्प्शन क्लेम नहीं किया है तो उस पॉलिसी पर 5 लाख रुपये की लिमिट के कैलकुलेशन के लिए विचार नहीं किया जाएगा
4. प्रीमियम में शामिल जीएसटी के अमाउंट को 5 लाख रुपये की लिमिट के कैलकुलेशन में शामिल नहीं किया जाएगा
5. लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी से नॉमिनी को मिला पैसा टैक्स के दायरे में नहीं आएगा
आइए इस सर्कुलर में बताई गई बातों को एक उदाहरण की मदद से समझने की कोशिश करते हैं। मान लीजिए शर्माजी ने कई पॉलिसीज ली हैं, जिनके प्रीमियम निम्नलिखित हैं:
पॉलिसी के नाम
A
B
C
इश्यू होने की तारीख
01.04.2022
01.04.2023
01.04.2024
प्रीमियम (रुपये में)
6,00,000
4,00,000
2,00,000
उपर्युक्त मामले में पॉलिसी A से मिला अमाउंट टैक्स के दायरे में नहीं आएगा, क्योंकि इसे 31 मार्च, 2023 से पहले जारी किया गया है। पॉलिसी B से मिला अमाउंट पर भी टैक्स नहीं देना होगा, क्योंकि इसका प्रीमियम सालाना 5 लाख रुपये से कम है। लेकिन पॉलिसी C से मिले अमाउंट पर टैक्स देना होगा, क्योंकि इस पॉलिसी की वजह से पॉलिसी B और C का एग्रीगेट प्रीमियम 5 लाीख रुपये को पार कर जाता है।
चुकाए गए प्रीमियम पर टैक्स के नियम
सीबीडीटी ने 16 अगस्त को ही नियम 11UACA को नोटिफाय किया है। यह एलिजिबल पॉलिसीज टैक्स के लिए अमाउंट के कैलकुलेशन के लिए है। नोटिफिकेशन के मुताबिक, अगर पॉलिसी की अवधि में पहली बार पॉलिसी से कोई अमाउंट मिलता है (जैसे बोनस या कैशबैक) तो उसके मिलने की तारीख तक चुकाए गए प्रीमियम में से उस अमाउंट को एडजस्ट किया जाएगा।
अगर पॉलिसी से कोई अमाउंट बाद में मिलता है तो प्रीमियम के रूप में चुकाया गया कुल अमाउंट जिसमें पहले एडजस्ट नहीं किया गया अमाउंट भी शामिल होगा, उस पर डिडक्शन की इजाजत होगी।
यहां सबसे अहम शर्त यह है कि पॉलिसी पर चुकाए गए प्रीमियम पर सेक्शन 80C या इनकम टैक्स के किसी दूसरे प्रावधान के तहत डिडक्शन का दावा नहीं किया गया होना चाहिए।
इसके लिए नोटिफिकेशन में एक फॉर्मुला दिया गया है:
पहली स्थिति (पहली बार) : फाइनेंशियल ईयर के दौरान अगर लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी से पहली बार अमाउंट मिलता है तो पिछले साल में इनकम पर टैक्स का कैलकुलेशन इस फॉर्मूला के हिसाब से होगा-
टैक्सेबल अमाउंट = A-B
A=साल के दौरान पॉलिसी से मिला अमाउंट (पहली बार)
B= उस तारीख तक पॉलिसी की अवधि में चुकाया गया कुल प्रीमियम, जिस पर डिडक्शन का दावा सेक्शन 80सी के तहत नहीं किया गया है
दूसरी स्थिति (पहली बार के बाद): उसी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत मिला अमाउंट जिसे पहले के साल में टैक्सेबल इनकम माना गया था:
टैक्सेबल अमाउंट= C-D
C= साल के दौरान लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी से मिला अमाउंट
D= लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी की अवधि में बाद के सालों में अमाउंट मिलने तक चुकाया गया प्रीमियम जिसमें प्रीमियम अमाउंट शामिल न हों-
(i) इनकम टैक्स एक्ट (सेक्शन 80सी) या किसी दूसरे प्रावधान के तहत डिडक्शन का किया गया दावा, या
(ii) इस रूल्स के पहले के किसी साल या सालों में अमाउंट 'B' या अमाउंट 'D' में शामिल
इंश्योरेंस पॉलिसी से मिली रकम टैक्सपेयर के कंप्यूटेशन में अदर सोर्स (Other Source) के तहत टैक्सेबल मानी जाएगी। हालांकि अगर पॉलिसीहोल्डर की मौत पर अमाउंट मिलता है तो वह टैक्स के दायरे में नहीं आएगा।
(अभिषेक अनेजा सीए हैं। वह इनकम टैक्स और पर्सनल फाइनेंस से जुड़े मामलें के एक्सपर्ट हैं)