धान की खेती करने वाले किसानों के लिए अजोला किसी वरदान से कम नहीं है। यह एक जलीय पौधा होता है। घास की तरह यह पौधा दिखाई देता है। तालाब, पोखर और बाउली आदि में यह अपने आप उग आता है। फ्री में मिलने वाले इस घास के पौधे से किसानों को बहुत फायदा होता हैं। यह पौधा धान की खेती के दौरान न सिर्फ किसानों की यूरिया में बचत करता है, बल्कि फसल के उत्पादन में भी काफी मदद करता है। अजोला में 3.5 फीसदी नाइट्रोजन और कई तरह के कार्बनिक पदार्थ पाए जाते हैं। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। इसका इस्तेमाल पशुओं के चारे में रूप में भी किया जाता है।
अजोला में लिग्निन की मात्रा कम होती है। जिसकी वजह से पशु इसे आसानी से पचा लेते हैं। जानकारों का मानना है कि अजोला खिलाने से दुधारू पशुओं के दूध में बढ़ोतरी होती है। यह करीब 10 से 15 फीसदी तक हो सकती है। अजोला नियमित रूप से खिलाने से बकरी, सूअर, मुर्गी आदि के वजन में 25 से 30 फीसदी तक बढ़ोतरी होती है।
अजोला पानी में पनपने वाला छोटे बारीक पौधे की एक प्रजाति है। इसे वैज्ञानिक भाषा में जलीय फर्न कहा जाता है। यह शैवाल से मिलता-जुलती है। ये सामान्यतः धान के खेत या उथले पानी में उगाई जाती है, जो बहुत ही तेजी से बढ़ती है। इसकी छोटी-छोटी पत्तियां काफी सुंदर दिखाई देती हैं। कृषि विज्ञान केंद्र के एक्सपर्ट डॉ. एनपी गुप्ता ने लोकल 18 से बातचीत करते हुए कहा कि यह पौधा पशुओं के चारे के रूप में सबसे अच्छा है। इसमें शुष्क मात्रा के आधार पर 40 से 60 प्रतिशत प्रोटीन, 10 से 15 प्रतिशत खनिज औ 7 से 10 फीसदी एमिनो एसिड, जैव सक्रिय पदार्थ और जैव पोलिमर्स पाए जाते है। इसमें कार्बोहाइड्रेट और वसा की मात्रा काफी रहती है। ये पौधा खिलाने से दुधारू पशु के दूध में बढ़ोतरी होती है। खास बात यह है कि इसको उगाने के लिए नाम मात्र का खर्च आता है। कई जगह तो यह खुद भी आसानी से उग आता हैं।
घर पर ऐसे तैयार करें अजोला?
डॉ एनपी गुप्ता ने बताया कि अजोला की खेती कर सकते हैं। इसके लिए एक मीटर चौड़ी और 3 मीटर लंबी कंक्रीट की क्यारी बनाना होगा। जिसकी गहराई करीब 1 फिट रखें। उसके बाद उसमें नीचे थोड़ी मिट्टी डालने के बाद उसमें पानी भर दें। 200 से 400 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट रासायनिक खाद पानी में डाल दें। इसके बाद इसमें अजोला अपने आप उग आएगी। गुप्ता ने बताया कि इससे पहले दक्षिणी भारत में अजोला का प्रचलन था लेकिन अब उत्तरी भारत में भी इसकी काफी मांग बढ़ रही है।