बैंक अकाउंट को आधार से लिंक करना जरूरी है। इसके अलावा ज्यादातर वित्तीय सेवाओं के लिए भी आधार कार्ड का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में कई सारे लोगों के मन में अक्सर ही इस बात का डर बना रहता है कि क्या आधार नंबर के जरिए बैंक अकाउंट हैक हो सकता है? इसके अलावा क्या आधार नंबर के जरिए इससे लिंक्ड दूसरे ऐप्स और सर्विसेज को भी हैक किया जा सकता है? ऐसे में आपके लिए भी इस बारे में डिटेल जानना जरूरी हो जाता है।
क्या आधार नंबर के जरिए हैक हो सकता है बैंक अकाउंट
एक्सपर्ट्स के मुताबिक सिर्फ किसी का आधार नंबर पता होने से बैंक अकाउंट को हैक करके पैसा नहीं निकाला जा सकता है। जब तक आप किसी के साथ अपनी ओटीपी शेयर नहीं करते हैं या स्कैनर डिवाइस पर अपनी उंगली बायोमेट्रिक / फेस आईडी / आईरिस का इस्तेमाल नहीं करते हैं तब तक आपका बैंक अकाउंट पूरी तरह से सेफ रहेगा। हालांकि कई सारी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साइबर अपराधियों ने प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार दस्तावेजों से उंगलियों के निशान की नकल करके लोगों के बैंक अकाउंट से आधार इनेबल पेमेंट सिस्टम (AEPS) का इस्तेमाल करते हुए पैसों को निकाल लिया था।
हरियाणा के तहसील से निकाले गए थे उंगलियों के निशान
साइबर अपराधियों ने दिसंबर 2022 में हरियाणा के पलवल में तहसील ऑफिस से व्यक्तियों के आधार नंबर और उंगलियों के निशान चुराए थे। सरकार ने आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली का उपयोग करके पैसे चुराने के लिए साइबर अपराधियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली तकनीकों का संज्ञान लिया है और इसलिए सुरक्षा प्रोटोकॉल को अपडेट भी किया गया है।
वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री डॉ. भागवत कराड ने 31 जुलाई, 2023 को लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में कहा था कि फिंगरप्रिंट-आधारित आधार प्रमाणीकरण के दौरान नकली/गमी फिंगरप्रिंट के उपयोग से एईपीएस धोखाधड़ी को रोकने के लिए, यूआईडीएआई एक इन-हाउस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस/मशीन लर्निंग तकनीक-आधारित फिंगर मिनुटिया रिकॉर्ड - फिंगर इमेज रिकॉर्ड (FMR-FIR)मोडैलिटी शुरू की है। इस प्रणाली के काम करने के तरीके के बारे में बताते हुए एक्सपर्ट्स ने कहा कि सभी एईपीएस लेनदेन यूआईडीएआई में आधार से जुड़े बायोमेट्रिक्स का उपयोग करके प्रमाणित किए जाते हैं। हालांकि, हाल ही में FIR-FMR नामक एक नई सुरक्षा तकनीक पेश की गई है।
यह तकनीक फिंगरप्रिंट वेरीफिकेशन पर आधारित है, जिसके बाद लोगों द्वारा सिलिकॉन का उपयोग करके नकली फिंगरप्रिंट बनाकर अज्ञात व्यक्तियों के बैंक खातों से पैसे निकालने के मामले सामने आए थे। यह तकनीक कैप्चर किए गए फिंगरप्रिंट की सजीवता की जांच करने के लिए उंगली की बारीकियों और उंगली की इमेज दोनों के संयोजन का इस्तेमाल करती है।
NPCI ने भी पेश किया है सेफ्टी प्रोटेकॉल
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने भी हाल ही में एक और सेफ्टी प्रोटोकॉल पेश किया था। इसके अलावा, एईपीएस लेनदेन को सुरक्षित बनाने के लिए, एनपीसीआई ने एक धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन (FRM) डेवलप किया है। यह एक रियम टाइम धोखाधड़ी निगरानी सॉलुशन है और बैंकों को वैल्यू एडेड सर्विस के तौर पर दिया जाता है।
क्या आधार बेस्ड पेमेंट है सेफ
बता दें कि जालसाजी के दो बड़ी वजहें होंती हैं। पहला कि जालसाज बैंकों और इस तरह के दूसरे वित्तीय संस्थानों के सर्वर को हैक कर लेते हैं। इसके अलावा वे ग्राहकों की जानकारी को रखने वाले डेटाबेस को भी हैक कर लेते हैं। वहीं दूसरी बड़ी वजह यह है कि कोई गलती से अपना डाटा जालसाजों को ट्रांसफर देता है और धोखाधड़ी का शिकार हो जाता है।