Business Idea: हम आपको एक ऐसा बिजनेस आइडिया दे रहे हैं। जिसकी शुरुआत करते ही आपकी लॉटरी निकल पड़ेगी। यह एक ऐसा बिजनेस है। जिसमें बेहद कम लागत आती है और कमाई बंपर होती है। हम आपको बता रहे हैं फ्रोजन मटर का बिजनेस (Frozen Green Peas Business) के बारे में। मटर की मांग पूरे साल रहती है लेकिन हरा मटर सिर्फ ठंड के समय में ही मिलता है। शादी-विवाह और अन्य आयोजनों में फ्रोजन मटर की ही सब्जी और अन्य चीजें बनाई जाती हैं।
फ्रोजन मटर का बिजनेस अपने घर के छोटे से कमरे से ही शुरू कर सकते हैं। हालांकि, बड़े स्तर पर बिजनेस करना चाहते हैं तो 4000 से 5000 वर्ग फुट जगह की जरूरत पड़ेगी। वहीं, छोटे स्तर पर बिजनेस शुरू करने पर हरी मटर छीलने के लिए कुछ मजदूरों की जरूरत होगी। बड़े लेवल पर आपको मटर छीलने वाली मशीनों की जरूरत पड़ेगी। साथ ही कुछ लाइसेंस भी चाहिए होंगे।
अगर आप फ्रोजन मटर का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो आपको सर्दियों में किसानों से हरी मटर खरीदनी होगी। आमतौर पर ताजी हरी मटर फरवरी महीने तक आराम से मिल जाती है। फ्रोजन मटर का बिजनेस अपने घर के छोटे से कमरे से ही शुरू कर सकते हैं। किसानों से मटर खरीदने के बाद आप इन्हें छीलने, धोने, उबालने और पैकिंग आदि के लिए मजदूरों की आवश्यकता होगी। ऐसा नहीं है कि आपको एक साथ ही सारी मटर खरीदनी होगी। आप रोज मटर खरीदकर उन्हें प्रॉसेस कर सकते हैं।
फ्रोजन मटर का बिजनेस शुरू करने पर कम से कम 50-80 फीसदी तक मुनाफा मिल सकता है। किसानों से 10 रुपये प्रति किग्रा के दाम पर हरी मटर खरीद कर सकते हैं। इसमें दो किग्रा हरी मटर में करीब 1 किग्रा दाने निकलते हैं। अगर आपको बाजार में मटर की कीमत 20 रूपये प्रति किलोग्राम से मिलती है, तो आप इन मटर के दानों को प्रोसेस कर थोक में 120 रुपये प्रति किग्रा के भाव पर बेच सकते हैं। वहीं, अगर आप फ्रोजन मटर के पैकेट्स को सीधे रिटेल दुकानदारों को बेचते हैं, तो आपको ज्यादा मुनाफा होगा।
जानिए कैसे बनती है फ्रोजन मटर
फ्रोजेन मटर बनाने के लिए सबसे पहले मटर को छीला जाता है। इसके बाद मटर को करीब 90 डिग्री सेंटिग्रेट के तापमान में उबाला जाता है। फिर मटर के दानों को 3-5 डिग्री सेंटिग्रेट तक ठंडे पानी में डाला दिया जाता है, ताकि इसमें पाए जाने वाले बैक्टीरिया मर जायें। इसके बाद अगला काम इन मटर को करीब 40 डिग्री तक के तापमान में रखा जाता है। इससे की मटर में बर्फ जम जाए। फिर मटर के दानों को अलग-अलग वजन के पैकेट्स में पैक कर बाजार में पहुंचा दिया जाता है।